हाईटेक हो रहा परिषद चुनाव, बदला-बदला है प्रचार का ढ़ंग

सोनू जांगड़ा, चरखी दादरी 22 मई को दादरी नगर परिषद के लिए होने वाले चुनाव के लिए बढ़ती सरगर्मियों

By Edited By: Publish:Thu, 05 May 2016 01:01 AM (IST) Updated:Thu, 05 May 2016 01:01 AM (IST)
हाईटेक हो रहा परिषद चुनाव, बदला-बदला है प्रचार का ढ़ंग

सोनू जांगड़ा, चरखी दादरी

22 मई को दादरी नगर परिषद के लिए होने वाले चुनाव के लिए बढ़ती सरगर्मियों के बीच नगर के सभी 21 वार्डो में प्रत्याशियों ने संपर्क, प्रचार अभियान शुरू कर दिया है। हालांकि नामांकन पत्र वापस लेने के लिए निर्धारित तिथि 12 मई के बाद ही स्थिति साफ हो सकेगी लेकिन उससे पूर्व भी विशेषकर शिक्षित युवा प्रत्याशी इस बार अन्य प्रचार साधनों के साथ साथ सोशल मीडिया का भी सहारा ले रहे है। बदले चुनावी प्रचार के नजारे के बीच इन दिनों दिखाई दे रहा है कि जहा उम्मीदवार घर-घर दस्तक दे रहे हैं, वहीं वे देर रात को खाली होने पर हाईटेक तरीके से भी चुनाव प्रचार कर रहे हैं। कोई व्हाट्सअप पर वोटों की अपील कर रहा है तो कोई एसएमएस और फेसबुक के जरिए मतदाताओं को लुभाने में लगा हुआ है। कई दावेदारों ने अपनी फेसबुक प्रोफाइल को चेंज कर दिया है तथा अब अपील वाली फोटो अपलोड कर ली है। वहीं जिन प्रत्याशी के फेसबुक एकाउंट नहीं थे, ऐसे उम्मीदवारों ने अपने अकाउंट बना लिए हैं। जो अपनी दिनभर की गतिविधिया फेसबुक पर डाल देते हैं। फेसबुक के अलावा उम्मीदवार व्हाट्सएप से भी अपना चुनाव प्रचार कर रहे हैं। हालांकि अभी चुनाव चिन्ह आवंटित नहीं हुए है लेकिन प्रत्याशी अपने वार्ड का नाम बताते हुए वोटों की अपील कर रहे है। वार्डो में चुनाव मैदान में उतरने वाले प्रत्याशी फेसबुक, व्हाट्सअप के जरिए संबंधित क्षेत्रों की जनसमस्याओं को बखूबी से उठा रहे है। यहीं नहीं वे बिजली, पेयजल, सड़क, सीवरेज, सफाई, स्ट्रीट लाइट इत्यादि को लेकर विकास कार्यो का अपना पुख्ता नजरिया भी हाइटेक तरीके से मतदाताओं के सामने रख रहे है।

प्रत्याशियों ने बदला तरीका

बदलते समय के साथ नगर परिषद के चुनाव में चुनाव प्रचार का तरीका भी बदल रहा है। पार्षद पद के प्रत्याशी अपना प्रचार हाइटेक तरीके से कर रहे हैं। इसके लिए वे सोशल साइट जैसे फेसबुक व व्हाट्सअप आदि का प्रयोग कर रहे हैं। अनेक उम्मीदवारों ने फेसबुक पर अपनी योजनाओं को पोस्ट किया है, वहीं व्हाट्सअप पर कइयों ने अपना गु्रप बना लिया है। इनका खर्च भी कुछ नहीं होता। जिसके कारण इसको चुनावी खर्चे में शामिल भी नहीं किया जा सकता।

व्हाट्सअप पर बनाए ग्रुप

फेसबुक के अलावा व्हाट्सअप पर गु्रप बनाकर वोटरों के मोबाइल नंबरों को जोड़कर दावेदारों ने मेरा पार्षद या खुद के नाम से ग्रुप बना रखे हैं। जिसमें वे रोज मैसेज डालकर वोटों की अपील भी कर रहे हैं।

लोक संगीत का भी सहारा

नगर परिषद चुनाव में सोशल मीडिया के साथ साथ प्रत्याशी अपने प्रचार के लिए लोक संगीत का भी सहारा ले रहे है। कई प्रत्याशियों ने तो अपने मोबाईल में आम जन से की जाने वाली अपील, वायदे गीत भजनों के माध्यम से लोड कर लिए है जो उन्हें संपर्क करने वालों को सुनाई देते है।

बच रहा चुनाव का खर्च

सोशल साईटों द्वारा प्रचार बहुत ही सस्ता, सुंदर व टिकाऊ है। इस पर खर्चा न के बराबर लगता है, वहीं इसके खर्च की फाइल भी नहीं जमा करानी पड़ती, क्योंकि नेट पैक को केवल वह प्रचार के लिए ही इस्तेमाल नहीं कर रहा।

नहीं होती है निगरानी

निर्वाचन आयोग की ओर से बैनर, होर्डिग्स पोस्टर आदि के जरिये होने वाले खर्च की सीमा भले ही तय कर ली गई हो, लेकिन सोशल मीडिया पर होने वाले प्रचार के नियंत्रण पर कोई व्यवस्था नहीं है। पिछले पंचायती राज चुनावों में भी प्रशासन द्वारा चेतावनी जरूर जारी की गई, लेकिन कहीं कोई कार्रवाई होने की सूचना नहीं मिली।

chat bot
आपका साथी