झज्जर के भापड़ौदा में जन्मे प्रसिद्ध वैज्ञानिक डा. जगजीत सिंह के निधन से शोक की लहर

जागरण संवाददाता बहादुरगढ़ भारतीय मूल के विश्व विख्यात वैज्ञानिक डा. जगजीत सिंह का 93 वर्ष की आयु में अमेरिका में निधन हो गया। उनका अंतिम संस्कार 16 जुलाई को सम्मान और हिदू रीति रिवाज के अनुसार अमेरिका में ही होगा। वे मूल रूप से बहादुरगढ़ (झज्जर) के गांव भापड़ौदा के रहने वाले थे और अमेरिका के प्रख्यात शोध केंद्र नासा में स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन के प्रमुख वैज्ञानिक रहे। उनके निधन की सूचना से यहां शोक की लहर दौड़ गई।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 13 Jul 2019 02:12 AM (IST) Updated:Sat, 13 Jul 2019 06:37 AM (IST)
झज्जर के भापड़ौदा में जन्मे प्रसिद्ध वैज्ञानिक डा. जगजीत सिंह के निधन से शोक की लहर
झज्जर के भापड़ौदा में जन्मे प्रसिद्ध वैज्ञानिक डा. जगजीत सिंह के निधन से शोक की लहर

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ : भारतीय मूल के विश्व विख्यात वैज्ञानिक डा. जगजीत सिंह का 93 वर्ष की आयु में अमेरिका में निधन हो गया। उनका अंतिम संस्कार 16 जुलाई को सम्मान और हिदू रीति रिवाज के अनुसार अमेरिका में ही होगा। वे मूल रूप से बहादुरगढ़ (झज्जर) के गांव भापड़ौदा के रहने वाले थे और अमेरिका के प्रख्यात शोध केंद्र नासा में स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन के प्रमुख वैज्ञानिक रहे। उनके निधन की सूचना से यहां शोक की लहर दौड़ गई। डा. जगजीत सिंह का जन्म झज्जर जिले के गांव भापड़ौदा के किसान परिवार में 20 मई 1926 को हुआ था। पिता का नाम शुभराम और माता का नाम धनकौर था। 1943 में उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा लायलपुर (अब पाकिस्तान में) से पास की। संयुक्त पंजाब में प्रथम स्थान प्राप्त किया और छात्रवृत्ति पाई। विज्ञान स्नातक एवं स्नातकोत्तर की डिग्री पंजाब विश्वविद्यालय से प्राप्त की। न्यूक्लीयर फिजिक्स में पीएचडी इंग्लैंड से प्राप्त की। ये रही उपलब्धियां प्रतिभावान एवं कुशाग्र बुद्धि होने के कारण पंजाब विश्वविद्यालय से उन्होंने 1943-47 तक छात्रवृत्ति प्राप्त की। वेस्ट वर्जीनिया स्टेट यूनिवर्सिटी में 1965 तक एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में सेवाएं दी। कॉलेज ऑफ द विलियम्स एंड वेरी में 1965 से 67 तक अध्यापन कार्य किया। 1972 से 1998 तक ओल्ड डोमिनियन यूनिवर्सिटी में फिजिक्स के प्रोफेसर रहे। 16 विद्यार्थियों को एमएस और पीएचडी के लिए गाइड किया। नासा में वरिष्ठ शोध वैज्ञानिक के रूप में लैंगली शोध केंद्र से 1978 तक जुड़े रहे। 1978 से 1994 तक इंस्ट्रूमेंट रिसर्च डिवीजन में चीफ साइंटिस्ट के रूप में कार्य किया। सन 1994 से 1998 तक एक्सपेरिमेंटल एंड टेक्नोलॉजी डिवीजन में मुख्य वैज्ञानिक रहे। जबकि 1998 से 2000 तक नासा लैंगली रिसर्च सेंटर के शोध निर्देशक के रूप में कार्य किया। डॉ सिंह की 246 साइंटिफिक रिसर्च पेपर प्रकाशित हुए। दुनिया के 30 प्रमुख शोध संस्थानों में उन्होंने भाषण दिए। उन्हें अपोलो अचीवमेंट अवॉर्ड, नासा फ्लैग अवॉर्ड, नाशा स्पेशल ग्रुप सर्टिफिकेट मोमेंट अवॉर्ड, 6 टेक्नोलॉजी यूटिलाइजेशन अवॉर्ड, 5 यूनाइटेड स्टेट सिविल सर्विस तथा आउटस्टैंडिग प्रोफेशनल्स अवॉर्ड मिले। 10 यूनिवर्सिटी स्टेट पेटेंट्स उनके नाम से है। देश में परमाणु लैब का दिया था सुझाव : बताते हैं कि डा. जगजीत सिंह न्यूक्लीयर फिजिक्स शोध पूर्ण कर इंग्लैंड से वापस भारत आए। यहां उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से मुलाकात की और देश में ही न्यूक्लीयर लैब स्थापित कर शोध का प्रस्ताव किया। लेकिन जवाहरलाल नेहरू ने देश की खराब आर्थिक स्थिति का हवाला देकर असमर्थता जाहिर की। इसके बाद डा. सिंह ने अमेरिका का रूख किया। गांव और देश के प्रति उनका गहरा लगाव था। पैतृक गांव भापड़ौदा में कई बार आए थे। उन्होंने शादी नहीं की। उनका कहना था कि उन्होंने तो विज्ञान से ही शादी कर रखी है।

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