एक साल ट्रॉमा सेंटर में बंद पड़ी एक्सरे मशीन, धक्के खा रहे मरीज

स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के जिला नागरिक अस्पताल में एक साल बीत जाने के बाद भी स्थायी रेडियोग्राफर की व्यवस्था नहीं हो पा रही है। लिहाजा एक्सरे के लिए मरीजों को दर-दर की ठोकरे खानी पड़ रही है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 08 Jan 2019 01:59 AM (IST) Updated:Tue, 08 Jan 2019 01:59 AM (IST)
एक साल ट्रॉमा सेंटर में बंद पड़ी एक्सरे मशीन, धक्के खा रहे मरीज
एक साल ट्रॉमा सेंटर में बंद पड़ी एक्सरे मशीन, धक्के खा रहे मरीज

जागरण संवादाता, अंबाला शहर : स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के जिला नागरिक अस्पताल में एक साल बीत जाने के बाद भी स्थायी रेडियोग्राफर की व्यवस्था नहीं हो पा रही है। लिहाजा एक्सरे के लिए मरीजों को दर-दर की ठोकरे खानी पड़ रही है। कुछ ऐसे ही हालात देखने को मिले सोमवार को जिला नागरिक अस्पताल में।

सुबह के करीब 11.40 बजे हैं। ओपीडी में चल रहे एक्सरे केंद्र में करीब 50 से ज्यादा मरीज एक्सरे के इंतजार में खड़े हैं। दो दर्जन मरीज कुर्सियों पर बैठकर बारी का इंतजार कर रहे हैं। कुछ मरीज एक्सरे मशीन कक्ष के भीतर ही बैठे हैं। हर किसी को एक्सरे करवाने की जल्दी है, लेकिन रेडियोग्राफर एक ही है। वो भी अस्थायी।

बता दें कि एक साल पहले ट्रमा सैंटर में 31 दिसंबर, 2017 को ट्रॉमा सेंटर में कमरा नंबर 28 में चल रही एक्सरे मशीन को बंद करना पड़ा था, लेकिन व्यवस्था बनाने के लिए ट्रामा सैंटर के रेडियोग्राफर को कुछ दिनों बाद यहा पर लगाया गया। जिसमें ट्रॉमा सेंटर की मशीन को बंद कर दिया गया और 28 नंबर कमरे में बंद हुई मशीन को चला दिया गया था। सितंबर माह में दूसरा रेडियोग्राफर भी रिटायर हो गया और दोनों मशीन बंद होने की नौबत आ गई। इसलिए रिटायरमेंट के बाद उसी रेडियोग्राफर को डी.सी. रेट पर रखा जा रहा है। ट्रॉमा सेंटर आपातकालीन में आने वाले मरीजों और ओपीडी में आने वाले मरीजों के एक्सरे का जिम्मा अब इसी कर्मी के कंधों पर है। इसलिए व्यवस्था बनाए से भी नहीं बन पा रही है। मजबूरन मरीजों को प्राइवेट एक्सरे कराने पड़ रहे हैं। नागरिक अस्पताल की पार्किंग में 48 घटे से बेसुध व्यक्ति, डाक्टरों ने नहीं किया कोई इलाज -चार दिन पहले भी इलाज के बाद चला गया था यह व्यक्ति, अब फिर बेसुध मिला तो नहीं दिया किसी ने ध्यान अंबाला : छावनी के नागरिक अस्पताल में मरीजों की जिंदगी से सरेआम खिलवाड़ किया जा रहा है। पिछले घटे से अस्पताल की पार्किंग में ही एक व्यक्ति बेसुध हालत में पड़ा है। लेकिन डाक्टर छोड़िए अस्पताल के किसी चतुर्थ कर्मी ने भी इसकी सुध लेना जरूरी नहीं समझा। जबकि अस्पताल चौकी पुलिस कर्मी के अलावा एक एंबुलेंस चालक ने भी इस बेसुध व्यक्ति के बारे में इमरजेंसी स्टाफ कर्मियों को बता दिया था लेकिन किसी ने इसकी मदद तक करना जरूरी नहीं समझा। वहीं देररात अस्पताल में एक अन्य युवक ने हंगामा करते हुए मरीज ही नहीं स्टाफ कर्मियों के साथ भी झगड़ा किया।

हुआ यूं कि अस्पताल परिसर में ही कार पार्किंग में कारों के अगली साइड एक व्यक्ति रविवार शाम से यहा लेटा हुआ था। सोमवार सुबह पार्किंग वाले कर्मियों ने उसे देखा और उठाने का प्रयास किया लेकिन वह नहीं उठा। ऐसे में दोपहर के समय एक एंबुलेंस चालक ने भी उसे उठाने का प्रयास किया परंतु नहीं उठने पर अस्पताल चौकी में इसकी सूचना दी। इसके बाद इमरजेंसी स्टाफ को इसके बारे में बताया लेकिन मदद के लिए आगे नहीं आया। बेसुध पड़े व्यक्ति के एक पैर में चोट लगी हुई थी, जबकि उसने कोई नशा भी नहीं किया हुआ था। इस बारे इमरजेंसी में डाक्टर को चेक करने के लिए कहा तो उसने जवाब दिया कि मेरा काम केवल अस्पताल के अंदर आने वाला मरीजों को चेक करने का है। देर शाम तक भी उक्त बेसुध पड़े व्यक्ति को अस्पताल परिसर में पड़े होने के बावजूद इलाज नहीं मिल पाया था। वहीं पता चला कि कुछ दिन पहले यह व्यक्ति यहा अपना इलाज कराने आया था और डाक्टर को चेक कराकर दवाई लेकर गया था। अब यह दोबारा यहा इस हालत में कैसे और क्यों पहुंचा इसका पता किसी को नहीं था। युवक ने इमरजेंसी में किया हंगामा

अस्पताल की इमरजेंसी में देररात उस समय हंगामा हो गया जब एक युवक ने यहाथ मरीजों के तिमारदारों और स्टाफ कर्मियों ने झगड़ा शुरू कर दिया। युवक ने अपने कपड़े फाड़ लिए और दो लोगों को तो गले से भी दबोच लिया था। सूचना मिलता ही अस्पताल चौकी से पुलिस कर्मी मौके पर पहुंचा और युवक को सिक्योरिटी गार्ड कर्मियों की मदद से अपने साथ लेकर आए। हालाकि इस युवक को दो दिन पहले रेलवे स्टेशन से यहा लाकर दाखिल करवाया गया था और इसका डाक्टर ने रुक्का भी दिया हुआ है। चौकी से इसकी सूचना जीआरपी थाने में दी हुई है, लेकिन अभी तक कोई इस युवकी की पूछताछ के लिए यहा अस्पताल में नहीं आया है।

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