व्हाट्सएप ने मिलाए 38 साल पुराने सहपाठी
जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : सोशल माध्यमों का सही इस्तेमाल हो तो फिर रिश्तों को माला के
जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : सोशल माध्यमों का सही इस्तेमाल हो तो फिर रिश्तों को माला के मोतियों की तरह भी पिरो सकते हैं। ¨जदगी में सोशल मीडिया के इस सुखद दखल को बनारसी दास हाई स्कूल छावनी के 1979 बैच के दसवीं कक्षा के विद्यार्थियों से अच्छी तरह शायद की कोई समझ पाए। बेंगलूरमें बैठे एक दोस्त ने करीब दो साल पहले पुराने सामान व दस्तावेजों को खंगालते हुए अपने दसवीं कक्षा के पास आउट सहपाठियों की ब्लैक एंड व्हाइट फोटो देखी तो उसने व्हाट्स एप ग्रुप को मिलने का माध्यम बनाया। सब पुराने दोस्तों से मिलने की चाह में बनाए गए इस व्हाट्स एप ग्रुप में एक एक 31 लोगों को जोड़ लिया। शनिवार रात ये सभी दोस्त इकट्ठे हुए लेकिन अपने जीवित बचे गुरुजनों का सम्मान करना नहीं भूले। आखिर जहां वे आज खड़े हैं इन गुरुजनों की ही देन हैं। इस बार नई बात यह थी कि जब पहले मिले थे तो खुद बच्चे थे लेकिन अब सभी बच्चे वाले हो चले थे। कोई मुंबई से आया तो कोई चंडीगढ़ से लेकिन इस बार पत्नियां भी साथ थी।
छावनी के क्लोव नाइटी नाइन रिसोर्ट में इन सहपाठियों ने अपने गुरुजन मास्टर नरेंद्र ¨जदल व मास्टर राजेंद्र कुमार के पांव छूकर आर्शीवाद लिया और शॉल भेंट कर अपना सम्मान व्यक्त किया। मेडिकल उपकरण के व्यवसायी राकेश चौधरी के मुताबिक बेंगलूर में रहने वाले उनके दोस्त एंव व्यवसायी आशीष अग्रवाल को कुछ तलाशते हुए 10वीं के सहपाठियों की फोटो हाथ लगी थी। जिसके बाद उन्होंने एक दूसरे से मुलाकात के इरादे से व्हाट्स एप ग्रुप बनाया।
बड़े आदमी बन गए लेकिन स्कूल की छोटी-छोटी बातें रखी याद
शनिवार रात को जब सब सहपाठी एक साथ हुए तो अब सबके चेहरे बदल चुके थे। सतीश अब डॉक्टर सतीश गोयल बन चुके थे, जो ¨हदुस्तान लीवर के रिसर्च एंड डेवलपमेंट में वाइस प्रेसिडेंट बन चुके थे। विक्रम खांडेकर खादी ग्रामोद्योग में असिस्टेंट डायरेक्टर, प्रमोद गर्ग उद्योगपति, अरूण कांत अब जिला खेल अधिकारी अंबाला, इंद्रपीत गुजराल अब व्यवसायी, विकास अब डॉ. विकास भटेजा, राकेश चौधरी मेडिकल उपकरण कारोबारी, दलजीत ¨सह लेखा अधिकारी कार्यालय में, नवतेज सेठी रेलवे में, कृष्ण कुमार पीएनबी, पवन गोयल एसबीआई, राजेंद्र गोयल बैंक आफ महाराष्ट्र में अफसर बन चुके थे। राजीव गुप्ता व अरूण गुप्ता उद्यमी के तौर पर स्थापित हो चुके थे। भले ही अब सब बड़े आदमी बन गए थे लेकिन अपने बचपन की छोटी छोटी बातों व अठखेलियों को याद करना नहीं भूले।
जो नहीं पहुंचे उन्हें भेजी वीडियो
जो लोग इस कार्यक्रम में नहीं पहुंच पाए थे उनके साथ भी सालों बाद जुटी इस टोली ने मस्ती के पल सांझे किए। वीडियो मैसेज के माध्यम से अपने दोस्तों के साथ वो पल सांझा किए। इनमें से कई लोग विदेश में भी थे । वहीं, पत्नियों ने भी एक दूसरे को जाना। इस दौरान किसी ने कविता सुनाई तो किसी ने गीत सुना कर यादों को ताजा किया।