24 सितंबर से शुरू हो जाएंगें श्राद्ध कर्म, पितृपक्ष 25 को होगा

जागरण संवाददाता, अंबाला: पितरों के प्रति श्रद्धा व नमन का पर्व श्राद्ध 24 सितंबर से पितरों के प्रति श्रद्धा व नमन का पर्व श्राद्ध 24 सितंबर से शुरू हो जाएंगे। पितृपक्ष का श्राद्ध 25 सितंबर को होगा। शास्त्रों के मुताबिक इस बार श्राद्ध में दुर्लभ योग माना जा रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 20 Sep 2018 12:58 AM (IST) Updated:Thu, 20 Sep 2018 12:58 AM (IST)
24 सितंबर से शुरू हो जाएंगें श्राद्ध कर्म, पितृपक्ष 25 को होगा
24 सितंबर से शुरू हो जाएंगें श्राद्ध कर्म, पितृपक्ष 25 को होगा

जागरण संवाददाता, अंबाला: पितरों के प्रति श्रद्धा व नमन का पर्व श्राद्ध 24 सितंबर से शुरू हो जाएंगे। पितृपक्ष का श्राद्ध 25 सितंबर को होगा। शास्त्रों के मुताबिक इस बार श्राद्ध में दुर्लभ योग माना जा रहा है। जो भी अपने पितरों की इसमें पूजा-अर्चना करता है तो उसे अनंत फल प्राप्त होगा। 24 से आरंभ होकर 9 अक्टूबर अमावस पितृ विसर्जन से समाप्त होंगे। बताया जाता है कि आश्विन कृष्णपक्ष (महालय) तथा कनागत नाम से जाने वाले इस पक्ष को कन्या राशि तक सूर्य में श्रेष्ठ माना जाता है, जोकि अबकि बार वर्षों बाद बन रहे हैं। इससे पितृ प्रसन्न हो जाएंगे। पंडित संजय भट्ट के मुताबिक 25 सितंबर से अश्विन कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा लगने पितृपक्ष में पितरों का पूजन-तर्पण उसी दिन से शुरू हो जायेगा। पितृपक्ष की जिन तिथियों पूर्वजों की मृत्यु हुई हो, यजमानों को उन्हीं तिथि पर अपने पित्तरों का तर्पण करना चाहिये।

----- तिथि भूलने पर अमावस्या को करें श्राद्ध

पंडित देव मित्र पांडेय हरे दरवाजे वाले ने बताया कि पार्वण श्राद्ध के लिए अपरान्ह व्यापिनी तिथि को लेना चाहिए। जिनकी मृत्यु तिथि का ज्ञान ना हो उनका श्राद्ध अमावस्या को करना चाहिए। मृतक का मृत्यु वाले दिन ही श्राद्ध करना चाहिए। अग्नि संस्कार करने वाले दिन श्राद्ध नहीं किया जाता। विष, शस्त्र आदि से अपमृत्यु वालों का श्राद्ध चतुर्दशी के दिन होता है।

----- श्राद्ध पूजन की विधि

- सुबह 11 बजकर 33 मिनट से 12 बजकर 21 मिनट के मध्य पितृपक्ष के श्राद्ध को बेहतर समय रहता है।

- सुबह स्नान व पूजन के बाद जजमान को पितरों का तर्पण के साथ ¨पडदान करना चाहिए।

- हथेली भर अनाज का ¨पड जौं के आटे या खीर या गौ दुग्ध के खोय बनाकर उसे पितरों को अर्पण करना चाहिए।

-गंगाजल, काले तिल, फूल-फल और दुग्ध आदि से तैयार व्यंजनों को अर्पण करना चाहिए।

- ब्राह्मण को भोज कराने के साथ उन्हें वस्त्र आदि दान देना चाहिए।

----- तिथि वार श्राद्ध

24 सितंबर सोमवार पूर्णिमा श्राद्ध

25 सितंबर मंगलवार प्रतिपदा श्राद्ध

26 सितंबर बुधवार द्वितीय श्राद्ध

27 सितंबर गुरुवार तृतीय श्राद्ध

28 सितंबर शुक्रवार चतुर्थी श्राद्ध

29 सितंबर शनिवार पंचमी श्राद्ध

30 सितंबर रविवार षष्ठी श्राद्ध

01 अक्टूबर सोमवार सप्तमी श्राद्ध

02 अक्टूबर मंगलवार अष्टमी श्राद्ध

03 अक्टूबर बुधवार नवमी श्राद्ध

04 अक्टूबर गुरुवार दशमी श्राद्ध

05 अक्टूबर शुक्रवार एकादशी श्राद्ध

06 अक्टूबर शनिवार द्वादशी श्राद्ध

07 अक्टूबर रविवार त्रयोदशी श्राद्ध, अनंत चतुर्दशी

08 अक्टूबर सोमवार सर्वपितृ अमावस्या

09 अक्टूबर मंगलवार अमावस पितृ विसर्जन

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