गर्मी में झुलसती रही गर्भवती महिलाएं, गोयल की लताड़ के बाद भी नहीं सुधरे अस्पताल के हालात

जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : स्थान जिला नागरिक अस्पताल। समय सुबह के साढ़े 11 बजे। उमस भर

By JagranEdited By: Publish:Mon, 30 Jul 2018 08:19 PM (IST) Updated:Mon, 30 Jul 2018 08:19 PM (IST)
गर्मी में झुलसती रही गर्भवती महिलाएं, गोयल की 
लताड़ के बाद भी नहीं सुधरे अस्पताल के हालात
गर्मी में झुलसती रही गर्भवती महिलाएं, गोयल की लताड़ के बाद भी नहीं सुधरे अस्पताल के हालात

जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : स्थान जिला नागरिक अस्पताल। समय सुबह के साढ़े 11 बजे। उमस भरी गर्मी से सांसे तक लेने में दिक्कतें हो रही हैं। पसीने से मरीज गीले हुए हैं। अस्पताल में सब जगह पंखे चल रहे हैं लेकिन स्त्री रोग विशेषज्ञ रूम के बाहर वाली लाइन में एक पंखे को छोड़कर शेष सभी छह पंखे बंद हैं। यहीं पर गर्भवती महिलाएं अपनी बारी का इंतजार कर रही हैं। कुछ ऐसे ही हाल वे¨टग रूम के भी हैं। वे¨टग रूम भी गर्भवती महिलाओं से खचाखच भरा हुआ है। विधायक असीम गोयल की लताड़ के बावजूद अस्पताल में सामान्य स्थिति नजर नहीं आ रही है। यहां से कुछ आगे बढ़ते ही टीकाकरण कक्ष है। यहां पर भी मरीजों आ रहे हैं और जा रहे हैं। यह मरीज एंटी रैबीज के टीके लगवाने के लिए पूछताछ करने आए हैं, लेकिन अस्पताल में टीके ही नहीं हैं। रोजाना जिला नागरिक अस्पताल में करीब 50 लोगों को औसतन कुत्ता काटने पर एंटी रैबीज के इंजेक्शन लग रहे थे जोकि पिछले कई दिनों से बंद हैं क्योंकि यहां टीके ही नहीं हैं। लिहाजा यहां से मरीज बैरंग लौटने को मजबूर हैं।

माथे पर छाई रही ¨चता की लकीरें, नंबर के लिए एक से डेढ़ घंटे का इंतजार

फीजिशियन अर्पिता गर्ग से दवा लेने के लिए मरीजों की कतार लगी हुई है। लेकिन डाक्टर अर्पिता पहले ओपीडी में मरीजों को देखती हैं उसके बाद सुबह 11 बजे के करीब ही ओपीडी में आ पाती हैं। इसी कारण पहले 11 बजे तक मरीज उनका इंतजार करते हैं। एक-एक मरीज का नंबर आता है। औसतन वह 100 मरीजों को देखती हैं। कुछ मरीज तो घंटे से ज्यादा इंतजार के चलते स्वेटर बुन रहे हैं।

डी-सील हुई मशीन, कमरा भी मिला लेकिन चलने पर संशय

लंबे इंतजार के बाद पुरानी अल्ट्रासाउंड मशीन डी-सील कर दी गई। दैनिक जागरण द्वारा मुद्दा उठाए जाने के बाद मशीन को रखने के लिए चार नंबर कमरा भी तय कर लिया गया है। लेकिन अब मशीन के वर्किंग पर सवाल खड़े हो गए हैं। दरअसल जिस मशीन को 7 माह पहले डी-सील किया गया था वह 10 साल पुरानी है। डी-सील के बाद जब मशीन को मैकेनिक ने चलाकर देखा तो वह नहीं चली। इसके बाद इसमें डलने वाले पुर्जे की कीमत का पता किया गया। इसकी कीमत 30 हजार रुपये है। लेकिन यह पुर्जा डलने के बाद भी मशीन चलेगी इसको लेकर मैकेनिक भी आश्वस्त नहीं हैं। अभी स्वास्थ्य विभाग इस बात को लेकर मंथन कर रहा है कि यह पुर्जा डलवाया जाए या नहीं। अलबत्ता अभी भी दो-दो डाक्टर होने के बावजूद एक ही अल्ट्रासाउंड मशीन पर अल्ट्रासाउंड हो रहे हैं। इसीलिए दो डाक्टरों का मरीजों को कोई लाभ नहीं मिल रहा।

वर्जन

अल्ट्रासाउंड मशीन को ठीक कराने के लिए मैकेनिक को बोल दिया गया है। एंटी रैबीज के टीकों की डिमांड भी भेजी गई है। जल्द ही उपलब्ध करा दिए जाएंगे। पंखे क्यों नहीं चल रहे इस बारे में भी पता किया जाएगा।

डॉ. पूनम जैन, पीएमओ।

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