इलाज के लिए पहुंचे मरीजों के हाथ लगा इंतजार, कई बैरंग लौटे

जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : समय : सुबह के 11 बजे, स्थान : जिला नागरिक अस्पताल। अस्पताल में म

By JagranEdited By: Publish:Mon, 29 Oct 2018 07:00 PM (IST) Updated:Mon, 29 Oct 2018 07:00 PM (IST)
इलाज के लिए पहुंचे मरीजों के हाथ लगा इंतजार, कई बैरंग लौटे
इलाज के लिए पहुंचे मरीजों के हाथ लगा इंतजार, कई बैरंग लौटे

जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : समय : सुबह के 11 बजे, स्थान : जिला नागरिक अस्पताल। अस्पताल में मुख्य गेट से प्रवेश करते ही दवा वितरण खिड़की और पंजीकरण खिड़कियों पर लोगों की भीड़ उमड़ी है। दो सिक्योरिटी गार्ड मरीजों को दिशा-निर्देश दे रहे हैं। इसी बीच कुछ मरीज खिड़की पर हंगामा करते हैं कि पहले उन्हें समझाओ जो सीधे ही अंदर से पर्ची बनवा रहे हैं। यही हाल दवा खिड़की पर था। शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. शुभज्योति प्रकाश अपने कमरे में नहीं हैं। पूछताछ में पता चला कि इमरजेंसी में उन्हें जाना पड़ा है। केवल एक ही शिशु रोग विशेषज्ञ होने के कारण अब उनकी ओपीडी प्रभावित हो रही है। मरीज उनके आने के इंतजार में लाइन में लगे हैं। यहां पर भी पहले मैं, पहले मैं की नौबत आई है। यही स्थिति फिजिशियन डॉ. अर्पिता गर्ग के कक्ष के बाहर की है। डॉ. अर्पिता वार्ड में अपने मरीजों को देख रही हैं। अब इनके कक्ष के बाहर मरीज सुबह 9 बजे से उनका इंतजार कर रहे हैं। कुछ तो इंतजार करते-करते सो भी गए हैं।

सुधार के लिए नहीं उठाए जा रहे कदम

शिशु रोग विशेषज्ञ और फिजिशियन दोनों पर अधिक दबाव रहता है। लेकिन आज तक इन दोनों के विकल्प के कोई बंदोबस्त नहीं हुए। दोनों सीनियर डॉक्टर हैं पब्लिक को भी इन पर सबसे ज्यादा भरोसा है। इसीलिए दोनों पर रोजाना अलग-अलग 120 से 150 तक मरीज पहुंचते हैं। यानी औसतन यह दोनों डॉक्टर 300 मरीजों की जांच करते हैं। यदि इनके विकल्प के रूप में दूसरे डाक्टर अस्पताल में बिठाए जाएं तो काफी हद तक स्थिति सुधर सकती है। एक-एक डाक्टर होने के कारण इन्हें कोर्ट केस, अस्पताल के दूसरे कार्य, वार्ड में मरीजों की जांच भी करनी होती है। इसीलिए मरीजों का दर्द ओर ज्यादा बढ़ जाता है। दूसरी ओर रजिस्ट्रेशन खिड़की और दवा वितरण खिड़की की संख्या बढ़ाई जा सकती है लेकिन इसके लिए आज तक कोई भी प्रयास नहीं किया गया। ओपीडी दो हजार की होने के बावजूद दो खिड़कियों से ही मरीज दवा ले सकते हैं। फोटो: 01

सुबह आठ बजे आया था

राजेश ने बताया कि सुबह 8 बजे आ गया था लेकिन अभी तक दवा नहीं मिली है। पहले तो पर्ची वाले अपने खासमखास की पर्ची भीतर से ही बनाते हैं फिर रही सही कसर डॉ. नहीं मिलने पर पूरी हो जाती है। स्वास्थ्य मंत्री के होते हुए यह हाल हैं अस्पताल के।

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फोटो: 02

मंत्री के जिले में भी बुरा हाल

ज¨तद्र ने बताया कि जब मंत्री के अस्पताल में यह हाल हैं तो दूसरे अस्पतालों की क्या हालात होती होगी, हमने सोचा था कि मंत्री अंबाला का होने के बाद अच्छा इलाज मिलेगा लेकिन यहां तो पहले से भी हाल बुरे हो गए हैं।

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