अब चंडीगढ़ नहीं जाना पड़ेगा, छावनी के नागरिक अस्पताल में होगा पथरी का ऑपरेशन

अंबाला छावनी के नागरिक अस्पताल में अब चीर-फाड़ या ऑपरेशन के बिना ही मरीजों की पथरी निकाल दी जाएगी। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने एक्सट्रॉकारपोरियल शॉक वेव लिथोट्रिप्सी (ईएसडब्ल्यूएल) मशीन खरीदी ली है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 23 Jan 2019 01:14 PM (IST) Updated:Wed, 23 Jan 2019 01:14 PM (IST)
अब चंडीगढ़ नहीं जाना पड़ेगा, छावनी के नागरिक अस्पताल में होगा पथरी का ऑपरेशन
अब चंडीगढ़ नहीं जाना पड़ेगा, छावनी के नागरिक अस्पताल में होगा पथरी का ऑपरेशन

हरीश कोचर, अंबाला

अंबाला छावनी के नागरिक अस्पताल में अब चीर-फाड़ या ऑपरेशन के बिना ही मरीजों की पत्थरी निकाल दी जाएगी। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने एक्सट्रॉकारपोरियल शॉक वेव लिथोट्रिप्सी (ईएसडब्ल्यूएल) मशीन खरीदी ली है। मशीन अस्पताल में भी आ चुकी है। अब अगर किडनी में 7एमएम या इससे अधिक बड़ी पत्थरी है तो बिना चीरफाड़ के ही बाथरूम के जरिए बाहर निकल जाएगी। हालांकि मशीन को अभी इंस्टाल नहीं किया गया है। फरवरी में इसे शुरू कर मरीजों का इलाज करना भी शुरू कर दिया जाएगा। अभी यह मशीन केवल चंडीगढ़ पीजीआइ में है और अब अंबाला छावनी का नागरिक अस्पताल का प्रदेश का ऐसा पहला अस्पताल होगा जिसमें इस तकनीक से मरीजों की पत्थरी निकाली जाएगी। फिलहाल एक दिन में केवल 4 से 5 मरीजों को ही इलाज मिलेगा।

स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने मरीजों का रेफर से छुटकारा दिलाने और उन्हें राहत देने के लिए अपने गृहक्षेत्र नागरिक अस्पताल में ही यह मशीन मंगवाई है।

आमतौर पर किसी भी नागरिक अस्पताल में 7 एमएम से छोटी पत्थरी केवल दवाई देने से ही बाहर निकल जाती है। अगर 7 एमएम या इससे बड़ी पत्थरी होती है तो मरीजों को डॉक्टर चंडीगढ़ रेफर कर देते है। या कुछ मरीज निजी अस्पतालों में ऑपरेशन कराते हैं। अब अस्पताल में आने के बाद मरीज का सामान्य तौर पर अल्ट्रासाउंड और अन्य टेस्ट कराए जाएंगे। पत्थरी होने के बाद उसके साइज मुताबिक डॉक्टर पहले तो उसका सामान्य इलाज शुरू करेगी।

मशीन इस तरह पथरी निकालेगी

मशीन के अंदर मरीज को लेटाया जाएगा और करीब एक घंटे तक उसके अंदर ही रखा जाएगा। इस मशीन से अल्ट्रासोनिक साउंड की 2000 वेवस निकलेगी जो कि मरीज की किड्नी पर ही पड़ेगी। यह वेव किड्नी के अंदर मौजूद पत्थरी का चूरा कर देगा। यह प्रक्रिया सप्ताह में केवल एक ही बार की जाएगी और मरीज को दो से तीन बार सी¨टग दी जाएगी। इसके बाद पत्थरी चूर-चूर होकर बाथरूम के रास्ते बाहर आ जाएगी। अगर कोई टुकड़ा बाथरूम के रास्ते में कहीं फंस जाता है तो स्टंट डाला जाएगा जो रास्ते को साफ करेगी। इसके बाद पत्थरी रास्ता साफ होते ही बाहर आ जाएगी।

बिना ऑपरेशन के मिलेगा फायदा

एक्सट्रॉकारपोरियल शॉक वेव लिथोट्रिप्सी मशीन से बिना चीरफाड़ मरीज की पत्थरी बाथरूम के रास्ते निकल जाएगी। मशीन की वेवस किड्नी के अंदर मौजूद पत्थरी के बारीक टुकड़े कर देते है।

डॉ. मनोज वर्मा, सर्जन, नागरिक अस्पताल।

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