माता-पिता ही नहीं समाज के हर व्यक्ति का सम्मान करना संस्कार

बच्चे समाज की अहम कड़ी हैं, आने वाले कल को उन्हें ही संवारना है। इसलिए उनमें शुरू से ही अच्छे संस्कार बेहद जरुरी है। केवल घरों के अंदर माता-पिता व बड़े बहन, भाई का सम्मान करना ही संस्कार नहीं। जो अपने से बड़ों के साथ-साथ हर व्यक्ति को सम्मान की नजर से देखे और जरुरत पढ़ने पर उनका सहारा बने वो भी असली संस्कार होते है। संस्कारों का यह पाठ स्कूल शिक्षिका प्रतिमा विश्वास ने दैनिक जागरण द्वारा आयोजित संस्कारशाला में पढ़ाया गया। जोकि सोमवार छावनी के बीडी सीनियर सेकेंडरी स्कूल में लगाई गई।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 18 Sep 2018 01:45 AM (IST) Updated:Tue, 18 Sep 2018 01:45 AM (IST)
माता-पिता ही नहीं समाज के हर व्यक्ति का सम्मान करना संस्कार
माता-पिता ही नहीं समाज के हर व्यक्ति का सम्मान करना संस्कार

जागरण संवाददाता, अंबाला: बच्चे समाज की अहम कड़ी हैं, आने वाले कल को उन्हें ही संवारना है। इसलिए उनमें शुरू से ही अच्छे संस्कार बेहद जरुरी है। केवल घरों के अंदर माता-पिता व बड़े बहन, भाई का सम्मान करना ही संस्कार नहीं। जो अपने से बड़ों के साथ-साथ हर व्यक्ति को सम्मान की नजर से देखे और जरुरत पढ़ने पर उनका सहारा बने वो भी असली संस्कार होते है। संस्कारों का यह पाठ स्कूल शिक्षिका प्रतिमा विश्वास ने दैनिक जागरण द्वारा आयोजित संस्कारशाला में पढ़ाया गया। जोकि सोमवार छावनी के बीडी सीनियर सेकेंडरी स्कूल में लगाई गई। ग्यारहवीं व बारहवीं कक्षा के 100 बच्चों ने संस्कारशाला में भाग लिया। इसका मुख्य उद्देश्य समाज में संस्कार की जड़ों को मजबूत करना है। इस पहल को लेकर शिक्षिका द्वारा मौजूदा छात्रों को संस्कारों से सबंधित जहां कहानी सुनाई वहीं, छात्रों से संस्कार विषय पर कई सवाल-जवाब भी किए। छात्रों ने भी दैनिक जागरण की मुहिम से जुड़कर संस्कार की परिभाषा का व्याख्यान अपने अनुभव से भी किया। केवल इतना ही नहीं छात्रों ने अपने माता-पिता के सम्मान के साथ-साथ अपने संपर्क में आने वाले हर व्यक्ति का सम्मान करनी की भी शपथ ली। संस्कार शाला में गौतम, ट्विंकल, आदित्य, मोहन, अनिकेत, प्रीति, याशिका, डोली आदि छात्र मौजूद रहे।

-------- शिष्य की भलाई ही गुरु का कर्तव्य है: आनंद कंसल

संस्कारशाला में स्कूल ¨प्रसिपल आनंद कंसल ने ज्ञान बांटा। उन्होंने कहा कि घर के इलावा एक स्कूल ही है यहां संस्कारों का ज्ञान मिलता है। जहां गुरु अपने शिष्यों की हमेशा ही भलाई और उनसे अच्छे व्यवहार की उम्मीद रखता है। जिस व्यक्ति से जीवन में ज्ञान मिले तो हमें उसका बुरा नहीं मानना चाहिए। अक्सर बच्चे शिक्षक से पढ़ने वाली डांट व माता-पिता की बात का बुरा मान जाते हैं। इस बात से अंजान है उनकी डांट सिर्फ उनकी भलाई के लिए ही है। पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों को घरों में धार्मिक किताबों का भी अध्ययन करना चाहिए। जो उन्हें ज्ञान ही नहीं बल्कि संस्कार भी देंगी।

---- सवालों के बेबाक बोले छात्र सवाल - संस्कार की परिभाषा क्या हैं? जवाब - बड़ों का आदर व सम्मान करना, रोजाना सुबह उठकर उनके चरण स्पर्श करना। अगर बड़ों को जरुरत पड़े तो उनका मदद करना ही संस्कार है। जो उन्हें परिवार व स्कूल में आकर मिलते है। रणबीर, बारहवीं कक्षा के छात्र

------ सवाल - अच्छे व बुरे गुणों में अंतर? जवाब - किसी भी व्यक्ति को दुखी देखकर मदद के लिए हाथ बढ़ाना अच्छे गुणों में आता है, अगर उस व्यक्ति से कोई भी रिश्ता या काम न होने की बात समझकर वहां से चले जाना बुरे गुण में आता है। मनुष्य को हमेशा अच्छे गुणों के साथ चलना चाहिए। सलोनी, बारहवीं कक्षा की छात्रा।

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