शहीद गुरसेवक के पिता बोले- अभी तो एक बेटा और है फौज में , पोते को भी भेजूंगा

शहीद गुरसेवक को पिता सुच्चा सिंह को बेटे की शहादत का दुख तो है लेकिन गर्व भी है। उन्‍होेंने कहा कि बेटे ने देश के लिए जान दी है। ,एक बेटा चला गया तो क्‍या दुश्‍मनों से लडने के लिए दूसरा बेटा तो सेना में है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Mon, 04 Jan 2016 12:24 PM (IST) Updated:Tue, 05 Jan 2016 04:46 PM (IST)
शहीद गुरसेवक के पिता बोले- अभी तो एक बेटा और है फौज में , पोते को भी भेजूंगा

अंबाला। शहीद गुरसेवक को पिता सुच्चा सिंह को बेटे की शहादत का दुख तो है लेकिन गर्व भी है। उन्होेंने कहा कि बेटे ने देश की रक्षा के लिए अपनी जान दी है और इस पर हमें फख्र है। अब अपने पोते को भी सेना में भर्ती कराएंगे। सुच्चा सिंह भी सेना में अपी सेवा दे चुके हैं और उनका बड़ा बेटा हरदीप भी सेना में है। गुरसेवक उनके छाेटे पुत्र थे।

सुच्चा सिंह ने कहा, एक बेटा शहीद हो गया तो क्या, देश की सेवा के लिए उनका दूसरा बेटा अभी सेना में है। पोते को भी देश की सेवा के लिए फौज में भर्ती कराना चाहूंगा। उन्होंने बताया कि गुरसेवक का सपना देश की सीमा पर भारत मां की सेवा करने का था। वह बचपन से ही देश सेवा की बातें किया करता था। उसकी सोच और जज्बा देख सभी को यकीन था कि वह देश के लिए कुछ बड़ा करेगा।

उन्होंने बताया कि उनके दो बेटे हैं। वह खुद भी ए डिफेंस रेजीमेंट में सिपाही थे, लेकिन कुछ कारणों से नौकरी छोड़ आए और गांव में खेती करने लगे। बड़ा बेटा हरदीप सिंह सेना में भर्ती हो गया। उसकी पोस्टिंग धर्मशाला में सेना के 59 इंजीनियर बटालियन में है। छोटा बेटा गुरसेवक भी एयरफोर्स में भर्ती हो गया था।

उन्होंने बताया कि गुरसेवक ने उसने दसवीं कक्षा तक गांव के ही गवर्नमेंट सीनियर स्कूल में पढ़ाई की। इसके बाद बारहवीं अंबाला शहर एसए जैन स्कूल में दाखिला लिया। शहर के ही डीएवी कॉलेज से स्नातक किया। बचपन से कबड्डी जैसे खेलों में दिलचस्पी होने के कारण गुरसेवक में काफी फुर्ती थी। पढ़ाई के साथ ही वह सेना की तैयारी करने लगा था। उसका चयन एयरफोर्स के लिए हो गया। साढ़े चार साल बाद प्रमोशन के साथ ही उसे कोपल विंग (सीपीएल) में शामिल कर लिया गया।



मंत्री समेत अधिकारियों ने दी शहीद के परिवार को सांत्वना
गुरसेवक के गांव गरनाला में परिजनों को ढांढस बंधाने के लिए लोगों का तांता लगा रहा। स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज, प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री निर्मल ङ्क्षसह ने गुरसेवक ङ्क्षसह परिजनों को सांत्वना दी। चौधरी निर्मल ङ्क्षसह ने सरकार से मांग की कि शहीद की याद में अंबाला में स्मारक बनाया जाए।

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परिजनों को 20 लाख की वित्तीय मदद
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने वायु सेना के गरूड़ कमांडो शहीद गुरसेवक सिंह की शहादत पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने शहीद के परिजनों को 20 लाख रुपए की वित्तीय सहायता देने की घोषणा भी की है।

मेहंदी का रंग भी नहीं पड़ा फीका और मिट गया सुहाग
नोट : पूरी कापी बदली गई है।
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फक्र है कि बेटे ने अपने सपने को पूरा किया और देशसेवा करते हुए भारत मां के लिए शहीद हो गया।
-सुच्चा सिंह, (शहीद गुरसेवक के पिता
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गुरसेवक की शहादत पर पूरे हरियाणा को गर्व है। देश की रक्षा के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले रणबांकुरे सदा अमर रहते हैं।
-मनोहर लाल, मुख्यमंत्री हरियाणा
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स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि
गुरसेवक ङ्क्षसह की शहादत पर पूरे देश को गर्व है। उसने प्राण न्योछावर कर आतंकवादियों के मंसूबों को विफल करने में अहम भूमिका अदा की है।
--अनिल विज, स्वास्थ्य मंत्री, हरियाणा



गरनाला के गुरसेवक सिंह की शादी गत 19 नवंबर को रोपड़ (पंजाब) स्थित कुराली गांव की जसप्रीत कौर के साथ हुई थी। कुछ दिन पहले 28 दिसंबर को ही गुरसेवक परिजनों और पत्नी के साथ तीन दिन की छुट्टी काटकर ड्यूटी पर लौटे थे। जाने वक्त पत्नी से वादा किया था कि अगली बार छुट्टी पर आएगा तो उसकी भाई की शादी के लिए खूब शॉङ्क्षपग करेगा।
गुरसेवक के पिता सुच्चा ङ्क्षसह ने बताया कि बेटा नए साल से महज तीन दिन पहले ही ड्यूटी पर आदमपुर के लिए रवाना हुआ था। इससे पहले वह 24 नवंबर को घर आया था और 28 नवंबर को वापस लौट गया था। वह बताते हैं कि गुरसेवक का रिश्ता तो डेढ़ साल पहले ही हो गया था लेकिन लड़की का भाई विदेश में था जिस कारण शादी में देरी हुई। गुरसेवक ड्यूटी पर गया तो जसप्रीत कौर भी मायके चली गई।
गुरसेवक के शहीद होने की खबर उसे देने की किसी को हिम्मत नहीं हो रही थी। कलेजे पर पत्थर रखकर सुच्चा सिंह ने बहू के परिजनों को दुखभरी खबर दी तो वहां मातम छा गया। कुछ समय बाद शहीद की पत्नी व उसके परिजन जब गरनाला पहुंचे तो चारों ओर केवल रुदन की आवाज थी। गांव में चारों ओर जैसे सन्नाटा पसरा हुआ था।
गुरसेवक की मां अमरीक कौर सुबह से ही उसके फोटो को छाती से लगाकर बस रो-रोकर उसे बुला रही थी। सात साल का भतीजा चाचू के खोने पर आंसू नहीं रोक पा रहा था। उसके बड़े भाई का बेटा हर्षप्रीत शहीद गुरसेवक का अपने घर में सबसे लाड़ला था।

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बचपन से देशसेवा करना ही बनाया था मुख्य लक्ष्य
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