10 साल में भी इस्तेमाल नहीं कर पाए स्कूल मरम्मत के लिए आए 14 लाख

स्कूल के खंडहर भवन की मरम्मत के लिए सरकार ने करीब 14 लाख रुपये जारी किए थे। लापरवाही की हद तब हो गई, जब स्कूल ने इस राशि को 10 साल तक न तो इस्तेमाल किया और न ही वापस सरकार के खाते में जमा कराया।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 27 Dec 2018 01:33 AM (IST) Updated:Thu, 27 Dec 2018 01:33 AM (IST)
10 साल में भी इस्तेमाल नहीं कर पाए स्कूल मरम्मत के लिए आए 14 लाख
10 साल में भी इस्तेमाल नहीं कर पाए स्कूल मरम्मत के लिए आए 14 लाख

जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : स्कूल के खंडहर भवन की मरम्मत के लिए सरकार ने करीब 14 लाख रुपये जारी किए थे। लापरवाही की हद तब हो गई, जब स्कूल ने इस राशि को 10 साल तक न तो इस्तेमाल किया और न ही वापस सरकार के खाते में जमा कराया। यहां विद्यार्थी आज भी मौत के साये में पढ़ रहे हैं और स्कूल प्रशासन को फिक्र है न विभाग के अफसरों को। यह कारनामा है बीहटा के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय का। इस मामले का पर्दाफाश आरटीआइ में होने के बाद अब उच्चतर शिक्षा विभाग के निदेशक से कार्रवाई की मांग की गई है।

सरकार ने स्कूल के भवन की मरम्मत और निर्माण के लिए 14 लाख नौ हजार रुपये स्कूल बि¨ल्डग फंड में जमा कराए थे। उसका इस्तेमाल नहीं किया गया। यह जानकारी स्कूल के मौजूदा ¨प्रसिपल ने आरटीआइ के जवाब में दी है। महत्वपूर्ण यह रहा कि स्कूल को अगर इस फंड की जरूरत नहीं थी तो फिर इसे क्यों नहीं लौटाया गया? इसके विपरीत यह राशि स्कूल के बि¨ल्डग फंड में ही पड़ी रही। दूसरा पहलू यह भी था कि अगर स्कूल को पैसे की जरूरत ही नहीं थी तो फिर इसकी मांग ही क्यों की गई? अगर जरूरत थी तो फिर यह बजट खर्च क्यों नहीं हुआ? ठीक यही सवाल अब आरटीआइ से जानकारी जुटाने वाले सुनील ठाकुर ने निदेशक उच्चतर शिक्षा को लिखे पत्र में खड़े किए हैं। ठाकुर के मुताबिक अगर इस प्रकार लाखों रुपये के फंड को सालों तक दबाए रखा जा सकता है, तो संभव है कि कुछ और मामलों में भी ऐसा हुआ हो। उसकी विभाग निष्पक्ष जांच हो। जाहिर है संबंधित डीडीओ इंचार्ज ने इस प्रकार की हीलाहवाली अपने कार्यकाल में कई और जगह भी की होगी।

इस मामले में जवाबदेही तय हो

सुनील ठाकुर ने बुधवार को निदेशक को पत्र लिख पूरे मामले से अवगत कराते हुए इस मामले की जांच और लापरवाही के लिए जिम्मेदारी तय करने की मांग की है। संबंधित डीडीओ इंचार्ज के वक्त में मिले बजट और उनके इस्तेमाल की जांच की भी मांग की है। ठाकुर ने बताया कि अगर सरकार की कोई ग्रांट इस्तेमाल नहीं होती तो नियमानुसार उसे वापस भेजना चाहिए। हालांकि, यहां जाहिर है कि संबंधित की मंशा गलत है।

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