जम्मू-कश्मीर में अंबाला का जवान निर्मल सिंह शहीद, दादा ने दी थी फौज में भर्ती होने की ट्रेनिंग

जम्मू कश्मीर में एलओसी पर पाकिस्तान की ओर से की गई फायरिंग में अंबाला का जवान निर्मल सिंह शहीद हो गया। वह एक महीने पहले ही घर आया था। निर्मल सिंह अपने दादा व चाचा की प्रेरणा से फौज में गया था।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Fri, 22 Jan 2021 10:19 AM (IST) Updated:Fri, 22 Jan 2021 10:19 AM (IST)
जम्मू-कश्मीर में अंबाला का जवान निर्मल सिंह शहीद, दादा ने दी थी फौज में भर्ती होने की ट्रेनिंग
शहीद निर्मल सिंह व उसकी शादी की फाइल फोटो, जिसमें दादा भी दिख रहे हैं।

अंबाला [दीपक बहल]। जम्मू कश्मीर की कृष्णा घाटी में एलओसी पर शहीद हुए अंबाला शहर से सटे गांव जनसूई के निर्मल सिंह (हवलदार) को फौज में जाने के लिए दादा भगवान सिंह ने ही प्रेरित किया था। पांच साल की उम्र में ही निर्मल सिंह के पिता तरलोक सिंह की हादसे में मौत हो गई थी। दादा और चाचा फौज से ही रिटायर्ड थे, इसलिए निर्मल सिंह ने भी फौज में भर्ती होने की ठान ली थी।

करीब 16 साल पहले निर्मल सिंह की सेना में भर्ती हुई थी। वह नौ माह पहले ही एक महीने की छुट्टी पर घर अपने घर अंबाला आए थे। उस समय निर्मल सिंह ने कहा था कि अपनी सर्विस पूरी करने के बाद जल्द ही वह रिटायरमेंट लेकर घर लौटेंगे। गांव में वीरवार दोपहर करीब दो बजे निर्मल सिंह के शहीद होने की सूचना आ गई थी, लेकिन स्वजनों को पांच बजे के करीब इसका पता चला।

रिटायर्ड कैप्टन वजीर के मोबाइल पर आई खबर

जेएंडके राइफल्स से रिटायर्ड हुए कैप्टन वजीर सिंह भी जनसूई के रहने वाले हैं। वीरवार को दो बजे वजीर सिंह के मोबाइल पर निर्मल सिंह के शहीद होने की सूचना आई। सूचना अप्रत्याशित थी, इसलिए बुजुर्ग माता भजन कौर, पत्नी गुरविंदर को इसकी जानकारी नहीं दी गई। स्वजनों को बताया गया कि निर्मल सिंह चोटिल हो गया है और अस्पताल में दाखिल है। दो से तीन घंटे में परिवार को समझाना शुरू किया गया और बता दिया कि निर्मल सिंह देश के लिए शहीद हो गए हैं। निर्मल सिंह का एक बेटा तीन साल और बेटी सात साल की है।

आठवीं से दसवीं तक निर्मल सिंह के साथ पढ़ाई करने वाले राकेश कुमार ने बताया कि दादा से प्रेरणा मिलने के बाद ही वह फौज में जाने की बात करता था। निर्मल सिंह ने गांव के ही प्राइवेट स्कूल में दसवीं तक पढ़ाई की और बाद में सेना में भर्ती हो गया था। पढ़ाई के दौरान ही निर्मल सिंह राकेश को बताता था कि वह सेना में जाएगा।

ट्राली से गिरकर हुई थी पिता की मौत

निर्मल सिंह के पिता तरलोक सिंह मेहनत मजदूरी करते थे। करीब 26 साल पहले तूड़े वाली ट्राली से गिरकर उनकी मौत हो गई थी। इसके बाद दादा और मां ने ही निर्मल सिंह की परवरिश की थी। निर्मल सिंह रिटायरमेंट के बाद परिवार के साथ रहना चाहता था। 

पढ़ाई में होनहार था निर्मल : संजीव

शिक्षक संजीव ने बताया कि निर्मल सिंह को उन्होंने चार साल लगातार पढ़ाया है। वह एक निजी स्कूल में पढ़ाते थे और वहीं पर निर्मल सिंह भी पढ़ने आता था। सन 1996 से उन्होंने निर्मल को पढ़ाया था। पढ़ाई में वह काफी होनहार था, जबकि अन्य गतिविधियों में भी भाग लेता था।

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