150 गांवों में ओलावृष्टि से 75 फीसद फसल खराब

जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : पहले भारी वर्षा फिर ओलावृष्टि से जिले के करीब 150 गांवा

By JagranEdited By: Publish:Fri, 16 Nov 2018 01:02 AM (IST) Updated:Fri, 16 Nov 2018 01:02 AM (IST)
150 गांवों में ओलावृष्टि से 75 फीसद फसल खराब
150 गांवों में ओलावृष्टि से 75 फीसद फसल खराब

जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : पहले भारी वर्षा फिर ओलावृष्टि से जिले के करीब 150 गांवों की 75 फीसद तक फसल तबाह हो गई। इनमें से अधिकतर गांव शहर व छावनी के रहे हैं। इन गांवों की संख्या जिले के कुल 470 गांवों की लगभग एक तिहाई है। ताज्जुब यह है कि इतनी तादाद में फसल तबाह हो जाने के बाद शहर व छावनी की मंडियों की आवक पर साल 2017 की आवक की तुलना में करीब पौने सात फीसद ही असर पड़ा है। यह आंकड़ा मोटी धान की खरीद का सीजन संपन्न होने के बाद सामने आया है। जिससे मंडियों में धान की आवक संदेह के घेरे में है कि इतना माल मंडी में कहां से पहुंचा। इससे यूपी व पंजाब का माला मंडियों में बेचे जाने को लेकर लगते रहे आरोपों को भी बल मिला है। वहीं, बराड़ा मंडी में डीसी ने पहले ही जांच बिठा दी है।

शहर अनाज मंडी में साल 2017 में 1 अक्टूबर से 15 नवंबर तक हुई सरकारी खरीद के तहत 28 लाख 55 हजार हजार 828 ¨क्वटल आवक व खरीद हुई। जबकि इस साल बृहस्पतिवार तक 27 लाख 12 हजार 631 ¨क्वटल मोटी धान की आवक है। जो कि बीते साल की तुलना में 1 लाख 43 हजार ¨क्वटल कम है। इसी प्रकार अनाज मंडी छावनी में साल 2017 में आवक 3 लाख 71 हजार ¨क्वटल रही जो कि इस साल 3 लाख 30 हजार ¨क्वटल रही। जो पिछले साल से महज 41 हजार ¨क्वटल कम रही। दोनों मंडियों की बात करें तो बीते साल जहां 32 लाख 26 हजार 828 ¨क्वटल आवक रही वहीं, इस साल 30 लाख 12 हजार 631 ¨क्वटल रही। जो कि 2 लाख 14 हजार 197 ¨क्वटल कम रही है। दोनों ही मंडियों में 5 नवंबर के बाद से सरकारी खरीद नहीं हुई है और अब आढ़ती अपने स्तर पर बासमती खरीद रहे हैं।

82 हजार हैक्टेयर धान क्षेत्र में एक तिहाई में 75 फीसद नुकसान

- जिले की कुल खेती योग्य भूमि लगभग 118000 हैक्टेयर है। इसमें से धान क्षेत्र 82 हजार हैक्टेयर यानी 2 लाख 5 हजार एकड़ है। इस क्षेत्र के अंतर्गत अंबाला शहर व छावनी के करीब 140 कृषि प्रधान गांव आते हैं। धान क्षेत्र 2.5 लाख एकड़ को 470 गांवों के अनुपात में विभाजित किया जाए तो औसतन प्रत्येक गांव में 436 एकड़ भूमि बनती है। प्रभावित डेढ़ सौ गांवों में लगभग 65 हजार 425 एकड़ भूमि बनती है। अगर इन गांवों में 75 फीसद तक नुकसान हुआ तो लगभग 49 हजार एकड़ धान क्षेत्र बर्बाद हुआ है। जो कि लगभग साढ़े 19 हजार हैक्टेयर बनता है। इस भूमि में 20 ¨क्वटल प्रति एकड़ नुकसान माना जाए तो यह 9 लाख 81 हजार 400 ¨क्वटल तक बनता है। जो एक तिहाई नुकसान बैठता है। वहीं, मंडी में आवक महज पौने सात फीसद तक प्रभावित है।

रिकार्ड चेक करने पर खेल उजागर होना तय

मंडी में धान बेचने के लिए किसान का पैन कार्ड, जमाबंदी की नकल, बैंक खाता व पास बुक की अनिवार्यता की हुई है। जबकि इन नियमों को सीजन लगभग बीत जाने के बाद लागू किया गया। इससे पहले माल की खरीद फरोख्त में खूब खेल हुआ है। एक आढ़ती ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि ओलावृष्टि वाले गांवों से आवक चेक कराई जाए। इससे साफ पता चल जाएगा कि माल कहां से आया। इस मामले में मंडी प्रशासन व एजेंसियों ने खुलकर खेल किया है। इन वर्ड व आउट वर्ड गेट पास के नाम पर जमकर धांधली हुई। पंजाब व यूपी आदि का माल जमकर बेचा गया।

शहर में करीब 4 हजार एकड़ पर असर हुआ

मार्केट कमेटी शहर की सचिव आशा के मुताबिक शहर मंडी में लगभग 4 हजार एकड़ पर ही ओलावृष्टि का असर पड़ा है। उस अनुपात में धान की आवक 1.41 लाख ¨क्वटल तक कम है जबकि प्रदेश की दूसरी मंडियों में आवक कहीं ज्यादा है।

40-40 साल से आढ़तियों पर धान लेकर आते हैं पंजाब के किसान

डीएफएससी निशांत राठी के मुताबिक अंबाला के आढ़तियों के पास पंजाब के किसान 40-40 साल से आ रहे हैं। हालांकि, किसानों के लिए आधार कार्ड, पैन कार्ड, बैंक खाता अनिवार्य है।

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