कलियुग में केवल दान ही प्रधान

जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : महामण्डलेश्वर स्वामी कमलानंद गिरी ने शहर के सेक्टर-7 स्थित श्री नीलकंठ

By Edited By: Publish:Sun, 21 Jun 2015 07:55 PM (IST) Updated:Sun, 21 Jun 2015 07:55 PM (IST)
कलियुग में केवल दान ही प्रधान

जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : महामण्डलेश्वर स्वामी कमलानंद गिरी ने शहर के सेक्टर-7 स्थित श्री नीलकंठ महादेव मंदिर में आयोजित श्रीमदभागवत कथा ज्ञान के तीसरे दिन ज्ञान की डुबकिया लगवाते हुए कहा कि यदि हमारा आचार विचार शुद्ध होगा तो कभी भी कलियुग हमारे अन्दर प्रवेश नहीं कर सकता।

उन्होंने कहा कि कलियुग में केवल दान ही प्रधान है। सतयुग में धर्म के चार पैर थे, त्रेता में सत्य चला गया, द्वापर में सत्य व तप न रहे और कलियुग में तो सत्य, तप और पवित्रता तीनों चले गए। जीव केवल दान देकर और भगवान का नाम जप कर ही अपने जीवन को दिव्य बना सकता है। उन्होंने कहा कि जिसने अपने मन पर नियंत्रण कर लिया वह संत है। राजा परीक्षित ने मन पर नियंत्रण किया तभी उन्हे शुकदेव जैसे महापुरुष मिले। स्वामी ने कहा विदुर की अगाध भक्ति के कारण भगवान श्रीकृष्ण ने दुर्योधन के शाही भोजन को त्याग कर विदुर के घर साधारण भोजन किया। कर्दम और देवाहूति के तपश्चर्या और आतुरता के कारण भगवान उनके यहा पुत्र रूप में आए। भगवान ने धु्रव के रूप में सुनीति के घर जन्म लिया जिसने अल्प आयु में ही प्रभु की गोद प्राप्त कर ली। माता अनुसुइया को नारी जाति का आभूषण बताते हुए स्वामी कमलानंद ने कहा कि पतिव्रता और धर्मपरायणता के कारण उन्होंने ब्रह्म, विष्णु, महेश को छह-छह मास शिशु बना दिया। नाम जप से अजामिल जैसे पापी ने भी मृत्यु के बाद भगवान का धाम पा लिया।

उन्होने कहा कि जो प्रेम और भाव से प्रभु का भजन करते हैं वे निश्चित रूप से परमात्मा को प्राप्त करते हैं। उन्होंने प्ररेणा देते हुए कहा कि नियम, जप व तप में जरा भी दिखाया नहीं होना चाहिए। यह सब पर्दे में ही होना चाहिए। राजेन्द्र बंसल, विनोद कुमार, नरेश अग्रवाल, सोहन लाल कपूर, संजय गुप्ता, सतीश छाबड़ा, प्रकाश चन्द गुप्ता, जोगिन्द्र बजाज ने पुष्प माला पहनाकर स्वामी जी का स्वागत किया एवं महेन्द्र पाल गुप्ता, अरूण गर्ग, ओम प्रकाश कुमार, राजकुमार, संदीप सचदेवा, राजीव उप्पल, बृजभूषण, वरुण अग्रवाल एवं रोशन छाबड़ा ने आरती की।

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