सात माह की बच्ची के पेट से गर्भ निकाला

स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ हेमंत भट्ट बताते हैं कि बीते 500 वर्ष में अब तक ऐसे करीब 150 केस का ही मेडिकल जर्नल में उल्लेख मिलता है।

By Sachin MishraEdited By: Publish:Wed, 28 Feb 2018 01:43 PM (IST) Updated:Wed, 28 Feb 2018 01:43 PM (IST)
सात माह की बच्ची के पेट से गर्भ निकाला
सात माह की बच्ची के पेट से गर्भ निकाला

शत्रुघ्न शर्मा, अहमदाबाद। शायद इस बात पर किसी को यकीन ना हो और सात माह की बच्ची के पेट से आॅपरेशन कर गर्भ निकालने की बात गले भी नहीं उतरे, लेकिन सिविल अस्पताल के चिकित्सकों ने गत दिनों ऐसा ही एक आॅपरेशन कर बच्ची के पेट में जन्म से पल रहे ऐसे गर्भ से मुक्ति दिलाई।

गुजरात के छोटा उदेपुर के मोती सिंह की सात माह की बेटी पिंसा पिछले कुछ माह से एक अजीब बीमारी से जूझ रही थी। चिकित्सकों को प्रिंसा के पेट फूलने का कारण समझ नहीं आ रहा था। गत सप्ताह मोतीसिंह अपनी बेटी को लेकर अहमदाबाद के सिविल अस्पताल पहुंचे। जहां सोनोग्राफी व विविध जांच के बाद बाल रोग विभाग के चिकित्सक डॉ राकेश जोशी खुद चौंक गए। बच्ची के पेट में एक गर्भ पल रहा था, चिकित्सकों ने एक सफल आॅपरेशन कर बच्ची के पेट से करीब तीन सौ ग्राम की गांठ निकाल दी। बाल रोग विभाग के मुख्य चिकित्सक डॉ जोशी बताते हैं कि करीब 5 लाख मामलों में एक बार ऐसी स्थिति बनती है, जिसे मेडिकल भाषा में फीटस टू फीटस कहा जाता है।

प्रिंसा के माता पिता को जब इसके बारे में बताया तो पहली बार उनके कुछ समझ ही नहींआया लेकिन शरीर विज्ञान की इस अजब मुसीबत से चिकित्सकों ने उनहें निजात दिला दिया।

स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ हेमंत भट्ट बताते हैं कि बीते 500 वर्ष में अब तक ऐसे करीब 150 केस का ही मेडिकल जर्नल में उल्लेख मिलता है। महिला के गर्भ धारण करते समय जुडवां बच्चों की स्थिति बनती है लेकिन उनमें से एक ही भ्रूण विकसित होता है और दूसरा भ्रूण पहले के शरीर में ही समा जाता है चूंकि उसे भी रक्त की सप्लाई मिलती है लेकिन ह्रदय व मस्तिस्क नहीं बनता व खाने की फीडिंग नहीं मिलती जिससे वह कुछ विकसित होकर अटक जाता है। डॉ हेमंत कहते हैं कि इस प्रकार के केस को वेनिसिंग ट् वीन भी कहा जाता है।

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