Remmlot Technology से लैस हैं भारतीय रेल इंजन, जानें इसकी खासियत

Remmlot Technology. पश्चिम रेलवे का साबरमती डीजल शेड अपना 69वां स्‍थापना दिवस मना रहा है इसकी तकनीकी क्षमता पश्चिम रेलवे की बड़ी ताकत मानी जाती है।

By Sachin MishraEdited By: Publish:Fri, 08 Nov 2019 02:15 PM (IST) Updated:Fri, 08 Nov 2019 02:15 PM (IST)
Remmlot Technology से लैस हैं भारतीय रेल इंजन, जानें इसकी खासियत
Remmlot Technology से लैस हैं भारतीय रेल इंजन, जानें इसकी खासियत

अहमदाबाद, शत्रुघ्‍न शर्मा। Sabarmati Diesel Shed. अहमदाबाद रेल मंडल का साबरमती डीजल शेड पैसेंजर व गुड्स ट्रेन के 204 डीजल लोको सार संभाल काम करता है। रेमलॉट तकनीक से अब वह कहीं भी खड़े इंजन की खराबी का पता लगाकर उसकी मरम्‍मत करा सकता है, इसके लोको यानि रेल इंजन सेमी हाईस्‍पीड गति से दौड़ने में सक्षम हैं।

पश्चिम रेलवे का साबरमती डीजल शेड अपना 69वां स्‍थापना दिवस मना रहा है, इसकी तकनीकी क्षमता पश्चिम रेलवे की बड़ी ताकत मानी जाती है। यहां 204 लोको यानि डीजल इंजन की सार संभाल का काम होता है जो हमसफर, सयाजीनगरी, सोमनाथ , कच्‍छ व जन्‍मभूमि एक्‍सप्रेस सहित देश की कई पैसेंजर व गुड्स ट्रेनों में लगते हैं। यहां वाई-एक से वाई-छह कैटेगरी में इंजन का मेंटेनेंस होता है, जो एक साल से लेकर छह साल तक होता है। वाई-छह वर्ग में इंजन के सभी कलपुर्जे बदलकर उसे फिर से नया कर दिया जाता है।

रेल मंडल के मुख्‍य जनसंपर्क अधिकारी प्रदीप शर्मा के मुताबिक, साबरमती डीजल शेड के इंजन की गति सीमा 120 से 160 किमी प्रति घंटा की है, जो सेमी हाई स्‍पीड ट्रेन वंदे भारत के लगभग बराबर है। तकनीकी विशेषज्ञों का दावा है कि भारतीय रेलवे के ट्रेक की खामियों व टेढ़े पन को दूर कर दिया जाए तो वर्तमान रेल इंजन भी सेमी हाई स्‍पीड ट्रेन के बराबर दौड़ सकती हैं।

रिमलॉट तकनीक से लैस हैं रेल इंजन

साबरमती डीजल शेड रिमोट मॉनिटरिंग एंड मैनेजमेंट ऑफ लोकोमोटिव्‍ज एंड ट्रेन रेमलॉट तकनीक जो जीपीआरएस की तरह काम करती है, के जरिए देश में कहीं भी दौड़ रहे या खड़े इंजन की खराबी का पता लगा सकता है। इंजन में लगे इस सिस्‍टम से डीजल शेड के कंट्रोल रूम को तुरंत मैसेज मिल जाता है और वह नजदीक की तकनीकी टीम को भेजकर उसकी मरम्‍मत कराने में भी सक्षम है। साबरमती डीजल शेड अब तक 2479 लोको पायलट को भी प्रशिक्षित कर चुका है। इसी साल 671 लोको पायलट को ट्रेंड किया गया, जो रेल इंजन की कई खामियों की मरम्‍मत करने में भी सक्षम है।

रेल इंजनों की खास बातें

रेल मंडल के उपमुख्‍य अभियंता जिशान अहमद के मुताबिक, हजारों टन के बोझ व माल को खींचने वाले लोको की शक्ति 3200 से 4500 हॉर्स्‍ पावर की होती है। सामान्‍यत इंजन 100 की गति सीमा से दौड़ता है, लेकिन इनकी गति सीमा 120 से 160 किमी प्रति घंटा होती है। ब्रेक के लिए इनमें एक से आठ तक नॉच होते हैं, इंजन के लिए एसए-नौ नॉच लगता है, जबकि पूरी ट्रेन के लिए ए-नौ नॉच लगता है। चालू इंजन एक घंटे में 25 लीटर डीजल खपत करता है, लेकिन अपनी पूर्ण गति से दौड़ते वक्‍त 400 लीटर डीजल प्रति घंटा खर्च करता है। रेल इंजन का डीजल टैंक 5500 से 6000 लीटर का होता है।

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