भारत-चीन के बीच तिब्बत एक राजनैतिक मुद्दा है: दलाई लामा

चीन की दमनकारी नीतियों के विरोध में भारत में शरण लेनेवाले तिब्बती धर्म गुरु दलाई लामा शुक्रवार को एक निजी कार्यक्रम में शामिल होने के लिए सूरत पहुंचे। यहां लामा ने देश के सबसे संवेदनशील मुद्दे धर्म परिवर्तन पर तिब्बत के इतिहास के जरिये अपनी राय रखते हुए कहा कि

By Rajesh NiranjanEdited By: Publish:Sat, 03 Jan 2015 01:09 AM (IST) Updated:Sat, 03 Jan 2015 01:36 AM (IST)
भारत-चीन के बीच तिब्बत एक राजनैतिक मुद्दा है: दलाई लामा

नई दुनिया ब्यूरो, सूरत। चीन की दमनकारी नीतियों के विरोध में भारत में शरण लेनेवाले तिब्बती धर्म गुरु दलाई लामा शुक्रवार को एक निजी कार्यक्रम में शामिल होने के लिए सूरत पहुंचे। यहां लामा ने देश के सबसे संवेदनशील मुद्दे धर्म परिवर्तन पर तिब्बत के इतिहास के जरिये अपनी राय रखते हुए कहा कि सहमति से होने वाला धर्म परिवर्तन गलत नहीं है। लेकिन, जबरन धर्म परिवर्तन करवाना गलत है।
धर्म गुरु लामा ने ईसाईयों द्वारा किए जानेवाले धर्म परिवर्तन पर विरोध जताया। दलाई लामा सूरत में शुक्रवार को पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे। दलाई लामा ने भारत और चीन के बढ़ते संबंध से तिब्बत की समस्या के हल पर कहा कि यह राजनैतिक मुद्दा है। उन्होंने यह भी कहा की दोनों देश जनसंख्या के लिहाज से काफी मजबूत हैं और एक-दूसरे को नुकसान नहीं पहुंचा सकते। हालांकि, लामा ने दोनों देश के लोगो को राजनेताओं के बजाय अपनी बुद्धि और विवेक से काम करने की सलाह दी।
धर्मगुरु लामा ने भारत के लोगो को गुजरात से सीख लेने की बात करते हुए कहा की गुजरात में जिस तरह से शराब पर पाबंदी है उसी तरह से अन्य राज्य भी अपने यहां इसे अपनाएं। इतना ही नहीं, भारतीय संस्कृति का बखान करते हुए लामा ने भारत को अपना गुरु और तिब्बत को निष्ठावान चेला भी बताया। विश्व शांति के लिए प्रयासरत दलाई लामा ने सरहद पर एक-दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोले खड़े भारत और चीन को साथ मिलकर रहने की सलाह भी दी।

chat bot
आपका साथी