गुजरात में शराब तस्करों की जब्त होगी संपत्ति
गुजरात में 20 लाख रुपये मूल्य से अधिक की शराब पकड़े जाने पर मनी लॉन्ड्रिंग के तहत मामला दर्ज कर शराब तस्करों की संपत्ति भी जब्त होगी।
अहमदाबाद, जेएनएन। गुजरात में अवैध शराब की हेराफेरी करने वालों की अब खैर नहीं है। पुलिस महानिदेशक शिवानंद झा ने 20 लाख रुपये मूल्य से अधिक की शराब पकड़े जाने पर मनी लॉन्ड्रिंग के तहत मामला दर्ज कर शराब तस्करों की संपत्ति भी जब्त करने के निर्देश दिए हैं। डीजीपी ने कहा कि भारत में बनी विदेशी ब्रांड की शराब पकड़े जाने पर पीएमएलए, आइपीसी के तहत मुकदमा दर्ज कर संपत्ति जप्त की जानी चाहिए।
महानिदेशक झा ने एक परिपत्र जारी कर राज्य के सभी रेंज पुलिस महानिरीक्षक, पुलिस उपमहानिरीक्षक, संयुक्त व अतिरिक्त पुलिस आयुक्तों को परिपक्ष जारी कर निर्देश दिया है कि पुलिस जब भी 20 लाख रुपये से अधिक की शराब जब्त करे तो इस मामले की जांच रेंज आइजी या डीआइजी निगरानी में की जाए और प्रोहिबिशन एक्ट के अलावा द प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट-2002 के तहत कार्रवाई करने के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को भी इसकी जानकारी दी जाए।
डीजीपी की ओर से दिए गए मार्गदर्शन में बताया गया है कि शराब तस्करी का मामला पीएमएलए के तहत नहीं आता हो, लेकिन प्रदेश में शराब घुसाने के लिए बुटलेगर चोरी की कार, नकली नंबर प्लेट, नकली दस्तावेज सहित जो अपराध होते है। ऐसे में बुटलेगरों पर भारतीय दंड संहिता की धाराएं लगाई जाती है, वो पीएमएलए के तहत कार्रवाई करने के लिए पर्याप्त है। शराब की तस्करी के जरिए कमाई गई राशि से खरीदी की गई संपत्ति को भी जब्त किया जाता सकता है।
गौरतलब है कि गुजरात हाईकोर्ट ने अवैध शराब पकड़े जाने के मामले में पुलिस की एक समान एफआइआर पर सवाल उठाते हुए इसे शराब कारोबारियों की मददगार बताते हुए पूछा कि समूचे गुजरात में शराब पकड़े जाने पर एक सी डिजाइन में पुलिस प्राथमिकी दर्ज करती है। हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसी हालत में राज्य सरकार का शराबबंदी कानून महज दिखावा लगता है। न्यायाधीश एसएच वोरा ने कहा कि गुजरात प्रोहिबिशन एक्ट की धारा 97 में अवैध शराब की हेराफेरी में शामिल अधिकारियों पर भी कार्रवाई की जानी चाहिए, सरकार जो नशाबंदी कानून का ठीक से अमल करना चाहती है तो एक समान डिजाइन की एफआइआर बंद कराए।