समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्‍यता की उम्‍मीद, समर्थक संस्‍थाएं लेंगी संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान का सहारा

मानवेंद्र सिंह का कहना है कि राष्‍ट्रीय स्‍वयं सेवक संघ के सरसंघ चालक मोहन भागवत खुद महाभारत के एक चरित्र के समलैंगिक होने का उल्‍लेख कर चुके हैं इससे पता चलता है कि यह प्राचीन काल से चला आ रहा है इसे आधुनिक विक्रति बताकर खारिज नहीं किया जाना चाहिए।

By Jagran NewsEdited By: Publish:Wed, 22 Mar 2023 08:25 PM (IST) Updated:Wed, 22 Mar 2023 08:25 PM (IST)
समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्‍यता की उम्‍मीद, समर्थक संस्‍थाएं लेंगी संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान का सहारा
सामाजिक कार्यकर्ताओं को उम्‍मीद है कि समलैंगिक विवाह को संवैधानिक मान्यता मिलेगी।

शत्रुघ्‍न शर्मा, अहमदाबाद। समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्‍यता देने के संबंध में देश में चल रही बहस तथा उच्‍चतम न्‍यायालय की ओर से इस मामले को 5 जजों की संवैधानिक पीठ को भेजे जाने के बाद इसकी मांग कर रहे सामाजिक कार्यकर्ताओं को उम्‍मीद है कि जल्‍द उनको संवैधानिक मान्यता मिल जाएगी।

किन्‍नर समाज को भी इससे बडा संबल मिलेगा। केंद्र सरकार इसके समर्थन में नहीं है लेकिन सामाजिक कार्यकर्ता मानवेंद्र सिंह कहते हैं कि राष्‍ट्रीय स्‍वयं सेवक संघ के सरसंघ चालक मोहन भागवत अपने एक बयान में प्राचीन भारत में ऐसे संबंधों की पुष्टि कर चुके हैं।

कानूनी मान्‍यता मिलने से समाज में आएगा बदलाव: मानवेंद्र सिंह

गुजरात में समलैंगिकों के संवैधानिक अधिकार के लिए लक्ष्‍य ट्रस्‍ट चला रहे राजपीपला के पूर्व राजपरिवार के सदस्‍य मानवेंद्र सिंह गोहिल अमरीका के सिएटल में अपने साथी ड्यूक ऐंद्रे रिचर्डसन से समलैंगिक विवाह कर चुके हैं।

ओपेरा विन्‍फ्रे के शो के अलावा कई विदेशी शो में भाग ले चुके मानवेंद्र का कहना है कि किसी भी देश के विकास व सम्रद्धी का पैमाना उसके नागरिकों के अधिकार व खुशी के पैमाने से होता है। भारत में बड़ी संख्‍या में समलैंगिक हैं अगर उनको कानूनी मान्‍यता मिल जाती है तो समाज व लोगों की सोच में भी बदलाव आएगा।

समलैंगिक विवाह को लेकर न्यायालय गंभीर: मानवेंद्र

मानवेंद्र का कहना है कि राष्‍ट्रीय स्‍वयं सेवक संघ के सरसंघ चालक मोहन भागवत खुद महाभारत के एक चरित्र के समलैंगिक होने का उल्‍लेख कर चुके हैं, इससे पता चलता है कि यह प्राचीन काल से चला आ रहा है इसे आधुनिक विक्रति बताकर खारिज नहीं किया जाना चाहिए। उनका यह भी कहना है कि उच्‍चतम न्‍यायालय की ओर से समलैंगिक विवाह के मामले को संविधान पीठ के 5 न्‍यायाधीश को सौंपा जाना अपने आप में इस विषय की गंभीरता को व्‍यक्‍त करता है।

उनका कहना है कि धारा 377 जो समलैंगिकता को अपराध मानती बताती थी, उसे न्‍यायालय ने समाप्‍त कर दिया है तब भी भारत सरकार ने इस पर आना कानी की लेकिन उसके पक्ष में कोई ठोस सबूत नहीं दे सकी। वैसे भी समलैंगिक युवाओं का जबर्दस्‍ती अन्‍यत्र विवाह कराने से परिवारों में कलह होगा व कईयों की जिंदगी खराब होगी।

मानवेंद्र का कहना है कि समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्‍यता मिल जाती है तो देश के कई युवाओं की जिंदगी बच जाएगी। उनका यह भीकहना है कि परिवार नामक संस्‍था व समाज को इससे नुकसान बताना केवल आशंका भर है, इनको बच्‍चों को दत्‍तक लेने का अधिकार भी मिला तो वे बेहतर अभिभावक साबित होंगे। उनका दावा है कि सरकार के पास ऐसा कोई दावा या तथ्‍य नहीं है जो समलैंगिक विवाह को समाज व संस्‍क्रति विरुद्ध साबित करता हो। धारा 377 की तरह इस मामले में भी केंद्र को अपने रुख को बदलना पडेगा।

18 अप्रेल को केंद्र सरकार को अपना जवाब पेश करना है

दुनिया में अब समलैंगिकों की संख्‍या करोडों में है तथा उनके अधिकारों को मान्‍यता देने से समाज में शांति, सुख के साथ आर्थिक रूप से सम्रद्धी आएगी। ऐसे दंपत्‍ती मिलकर काम कर सकेंगे तथा देश की तरक्‍की में भागीदार बनेंगे। किन्‍नर समाज को भी इससे बडा संबल मिलेगा, यह समाज अभी तक देश में उपेक्षित है। आगामी 18 अप्रेल को केंद्र सरकार को अपना जवाब पेश करना है, इसके बाद यह स्‍पष्‍ट होगा कि देश में समलैंगिक विवाह भारत में कानूनी मान्‍यता है अथवा नहीं।

2018 से धारा 377 समाप्‍त

उच्‍चतम न्‍यायालय के 5 न्‍यायाधीश की खंडपीठ ने वर्ष 2018 में नवतेज जोहार विरुद्ध भारत सरकार मामले की सुनवाई करते हुए धारा 377 को समाप्‍त कर दिया था जो समलैंगिक संबंधों को गैरकानूनी बताती थी। न्‍यायालय ने इसे एक तरह का भेदभाव मानते हुए अपना निर्णय दिया था।

जानें क्या कहा था भागवत ने

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघ चालक मोहन भागवत ने महाभारत के दो चरित्र हंस और डिम्भक का ज़िक्र करते हुए उनके बीच समलैंगिक संबंधों का इशारा किया था। ये दोनों राजा जरासंध के शक्तिशाली सेनापति थे।

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