गांधीजी ने कस्तूरबा के लिए खुद बुनी थी साड़ी, अब बनेगी थ्री डी इमेज

गांधी जी ने दो साडी बुनी थीं, जिसमें से एक यह है तथा दूसरी साडी कस्तूरबा के निधन के बाद उनके पार्थिव शरीर पर चढ़ाई गई थी।

By Sachin MishraEdited By: Publish:Wed, 20 Jun 2018 12:45 PM (IST) Updated:Wed, 20 Jun 2018 05:39 PM (IST)
गांधीजी ने कस्तूरबा के लिए खुद बुनी थी साड़ी, अब बनेगी थ्री डी इमेज
गांधीजी ने कस्तूरबा के लिए खुद बुनी थी साड़ी, अब बनेगी थ्री डी इमेज

शत्रुघ्न शर्मा, अहमदाबाद। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सानिध्य में आने के बाद कई लोगों का जीवन बदल गया। वहीं, उनकी छुई गई वस्तुएं आज हेरीटेज बन गई लेकिन गांधी आश्रम कस्तूरबा की एक साड़ी की थ्री डी इमेज तैयार करने की तैयारी कर रहा है, जिसको खुद गांधीजी ने कस्तूरबा के लिए बुना था। यह साड़ी साबरमती आश्रम प्रिजर्वेशन एंड मेमोरियल ट्रस्ट के पास सुरक्षित रखी हुई है।

गांधी हेरीटेज पोर्टल के आईटी हेड विराट कोठारी बताते हैं कि स्थित मेमोरियल ट्रस्ट व गांधी आश्रम के अभिलेख में महात्मा गांधी से जुड़े एक लाख से अधिक दस्तावेज, वस्तुओं के अलावा महात्मा गांधीजी की तैयार की गई खादी की साड़ी भी संरक्षित है, जिसे उन्होंने कस्तूरबा गांधी को उपहार में दिया था। गांधी जी ने दो साड़ी बुनी थीं, जिसमें से एक यह है तथा दूसरी साड़ी कस्तूरबा के निधन के बाद उनके पार्थिव शरीर पर चढ़ाई गई थी। गांधी आश्रम का थ्री डी इमेज तैयार करने के बाद आश्रम में गांधीजी की पत्नी कस्तूरबा की साड़ी की थ्री डी इमेज तैयार की जाएगी।

वर्ष 1915 में दक्षिण अफ्रीका से लौटकर गांधीजी ने इस आश्रम की स्थापना की थी। कस्तूरबा भी उनके साथ ही रहती थी। आश्रम की सहसंयोजक किन्नरी भट्ट बताती हैं कि करीब 1920 में गांधीजी कस्तूरबा के लिए अपने हाथ से खादी की एक सफेद साड़ी की बुनाई की, जिसके चारों ओर रंगीन चित्र भी बने थे। कस्तूरबा ने लंबे समय तक इस साड़ी को पहना बाद में यहीं साड़ी आश्रम की अमूल्य निधि बन गई। कोठारी बताते हैं कि अहमदाबाद, वर्धा आश्रम का थ्री डी इमेज के अलावा गांधी जी से जुड़ी छह वस्तुएं दो चरखे, दो डेस्क, अस्थि कुंभ व गांधी जी की छड़ी का भी थ्रीडी इमेज हेरीटेज पोर्टल पर उपलब्ध है।

यहां अभिलेख में एक लाख से अधिक दस्तावेज भी सुरक्षित हैं, जिन्हें जर्मनी के टिस्यू पेपर से संरक्षित किया गया है। यह दस्तावेज आगामी 50 से 100 साल तक सुरक्षित रहेंगे। वातानुकूलित 18 से 25 डिग्री के तापमान में सात तालों में बंद यह सभी दस्तावेज डिजिटल लॉकर सिस्टम से सेवन कवर प्रोसेस से संरक्षित हैं, जिन अलमारी में इन्हें रखा गया है, उसे 8 घंटे आग में जलाने पर भी दस्तावेज का कुछ नहीं बिगडेगा।

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