फिल्‍म रिव्‍यू: लोकेशन और इमोशन से भरी 'सनम रे'(2.5 स्‍टार)

दिव्या खोसला कुमार की 'सनम रे' मनोरंजन की ऐसी थाली बन गई है, जिसमें मनोरंजन के व्यंजनों की भरमार है, लेकिन सब कुछ थोड़-थोड़ा है। और यह थाली ढंग से सजी भी नहीं है। फिल्म का गीत-संगीत बेहतर है।

By Tilak RajEdited By: Publish:Fri, 12 Feb 2016 03:40 PM (IST) Updated:Sat, 13 Feb 2016 05:40 AM (IST)
फिल्‍म रिव्‍यू: लोकेशन और इमोशन से भरी 'सनम रे'(2.5 स्‍टार)

-अजय ब्रह्मात्मज

प्रमुख कलाकार- पुलकित सम्राट, यामी गौतम, उर्वशी रोतेला

निर्देशक- दिव्या खोसला कुमार

संगीत निर्देशक- अमाल मलिक, जीत गांगुली, मिथुन

स्टार- 2.5 स्टार

कस्बों और छोटे शहरों से निकल कर कमाई और कामयाबी की लालसा में महानगरों में मशीन बन रहे युवक-युवतियों को जब तक जिंदगी के छूट चुके मीठे पलों का अहसास होता है, तब न लौटने की स्थिति रहती है और न युवा ऊर्जा बचती है। ऐसे ही एक पहाड़ी कस्बे से संबंधों और प्रकृति की नैसर्गिकता छोड़ कर महानगर आया आकाश कंज्यूमर कल्चर की होड़ में शामिल हो चुका है। टारगेट अचीव करने की कोशिश में उसे अंदाजा भी नहीं रहता कि वह क्या खो रहा है?

सनम रे

निजी जिंदगी में कमतरी की भावना उसे और भंगंर बना रही है। परिवार, पेशा और पैसों के बीच फंसे आकाश जैसी जिंदगी जीने को मजबूर लाखों-करोड़ों युवक-युवतियों को 'सनम रे' का म्यूजिकल संदेश है कि जिंदगी थोड़ी ठहर कर जी जाए और संबंधों को उचित महत्व दिया जाए तो आसपास में खूबसूरती फैल सकती है।

दिव्या खोसला कुमार ने अपनी कहानी के लिए नदी, पहाड़, बर्फ और प्राकृतिक सौंदर्य के खूबसूरत लोकेशन खोजे हैं। इस फिल्म की खूबसूरती गुनगुना प्रभाव छोड़ती है। कंफ्यूज और एंबीशियस आकाश अपने प्रवासों में अचानक छूट चुके क्षणों को हासिल करने और प्यार पाने की कोशिश करता है। स्वार्थ से बनाए संबंध में उसे अपनी कमी नजर आती है। वह प्यार की पवित्रता की चाहत में भटकता है।

दिव्या खोसला कुमार ने आकाश, श्रुति और मिसेज पाब्लो जैसे चरित्रों के जरिए प्यार के अहसास की भिन्नता जाहिर की है। उन्होंने आज के समाज की प्रेम संबंधी विसंगतियों को किरदारों के व्यवहार और प्रतिक्रियाओं से जाहिर किया है।

रोचक विषय की यह फिल्म चरित्रों के निर्वाह और गठन की कमी से प्रभावशाली नहीं रह जाती। फ्लैशबैक और बार-बार ट्रैक बदलने के शिल्प में अलग किस्म की रोचकता बढ़ती है। उसके लिए किरदारों पर लेखक की मजबूत पकड़ जरूरी है। 'सनम रे' में एक साथ बहुत कुछ कहने और दिखाने की कोशिश में लेखक-निर्देशक ने हर तरह के इमोशन ठूंस दिए हैं। फिल्म में बहुत कुछ है, लेकिन उसे समुचित जगह और सजावट नहीं मिली है।

फिल्म में अनेक इमोशनल जंप हैं। फिल्म ठहराव के आग्रह से आरंभ होती है, लेकिन खुद ही बिखर जाती है। कलाकरों में यामी गौतम प्रभावित करती हैं। उन्हें अनेक इमोशनल सीन मिले हैं। रोमांस और डांस-सॉन्ग के दृश्यों में उर्वशी रोतेला आकर्षित करती हैं। उन्होंने ऐसे दृश्यों के लिए आवश्याक तैयारी की है। समस्या पुलकित सम्राट की है। वे बार-बार अपनी पृथक स्वाभाविकता छोड़ कर सलमान खान की छवि ओढ़ लेते हैं। उन्हें खुद के विकास के लिए सलमान ग्रंथि से निकलना चाहिए। कमीज उतारने से लेकर घूरने और भौं चढ़ाने तक में वे सलमान खान की नकल करते नजर आते हैं। इस फिल्म में उनके पास अवसर थे।

फिल्म के आरंभ में ही पार्टी सॉन्ग में आईं दिव्या खोसला कुमार अपनी डांस प्रतिभा से चौंकाती हैं। उन्हें खुद पर्दे पर आने में देरी नहीं करनी चाहिए। दिव्या खोसला कुमार की 'सनम रे' मनोरंजन की ऐसी थाली बन गई है, जिसमें मनोरंजन के व्यंजनों की भरमार है, लेकिन सब कुछ थोड़-थोड़ा है। और यह थाली ढंग से सजी भी नहीं है। फिल्म का गीत-संगीत बेहतर है। टी-सीरिज के होम प्रोडक्शन और दिव्या खासेला कुमार के निर्देशन में बनी इस फिल्म का संगीत पॉपुलर मिजाज का होना ही चाहिए था।

अवधि- 120 मिनट

abrahmatmaj@mbi.jagran.com

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