Sanak- Hope Under Siege Review: विद्युत जाम्वाल का धांसू एक्शन है ना... और भी कुछ चाहिए? पढ़ें पूरा रिव्यू

Sanak Review कनिष्क वर्मा निर्देशित सनक- होप अंडर सीज का प्लॉट मुख्य रूप से लगभग 5 घंटों के घटनाक्रम को समेटे हुए है। विद्युत जाम्वाल का किरदार विवान आहूजा एमएमए यानी मिक्स्ड मार्शल आर्ट प्रशिक्षक है। पत्नी अंशिका मैत्रा के साथ मुंबई में रहता है।

By Manoj VashisthEdited By: Publish:Fri, 15 Oct 2021 01:32 PM (IST) Updated:Sat, 16 Oct 2021 07:02 AM (IST)
Sanak- Hope Under Siege Review: विद्युत जाम्वाल का धांसू एक्शन है ना... और भी कुछ चाहिए? पढ़ें पूरा रिव्यू
Vidyut Jammwal on film poster. Photo- Instagram

मनोज वशिष्ठ, नई दिल्ली। एक्शन फ़िल्मों में काम करने वाले कलाकार भले ही हादसों के रिस्क में रहें, मगर व्यवसाय के लिहाज़ से यह सबसे सुरक्षित जॉनर माना जाता है। इसीलिए, भारतीय फ़िल्म इंडस्ट्री की हर भाषा में इस जॉनर पर लगातार फ़िल्में बनती रही हैं और फ़िल्मकार तरह-तरह की कहानियों में एक्शन को पिरोते रहे हैं।

अब डिज़्नी प्लस हॉटस्टार पर आयी विद्युत जाम्वाल की फ़िल्म 'सनक- होप अंडर सीज' में अस्पताल के अंदर हॉस्टेज सिचुएशन की कहानी में एक्शन को पिरोया गया है या यूं कहें कि एक्शन के अंदर कहानी को पिरोया गया है। सनक विशुद्ध विद्युत जाम्वाल ब्रैंड की फ़िल्म है, जिसमें असली-सा लगने वाले एक्शन की भरमार है, मगर भावनात्मक मोर्चे पर फ़िल्म कमज़ोर रह जाती है। 

कनिष्क वर्मा निर्देशित 'सनक- होप अंडर सीज' का प्लॉट मुख्य रूप से लगभग 5 घंटों के घटनाक्रम को समेटे हुए है। विद्युत जाम्वाल का किरदार विवान आहूजा एमएमए यानी मिक्स्ड मार्शल आर्ट प्रशिक्षक है। पत्नी अंशिका मैत्रा के साथ मुंबई में रहता है। समंदर के किनारे शादी की तीसरी एनिवर्सरी सेलिब्रेट करते समय रोमांटिक लम्हों के बीच अंशिका अचानक बेहोश हो जाती है। 

अस्पताल में पता चलता है कि अंशिका को दिल की एक दुर्लभ बीमारी है। गनीमत यह है कि सर्जरी से ठीक हो सकती है। सर्जरी के लिए 70 लाख रुपयों की ज़रूरत होती है। विवान, पत्नी अंशिका को बहुत प्यार करता है। पैसों का इंतज़ाम कहीं से नहीं हो पाता तो अपना घर बेच देता है और अस्पताल में पत्नी की भर्ती करवा देता है। सर्जरी सफल रहती है।

 

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रिकवरी के बाद आख़िर वो दिन आ जाता है, जब अंशिका को अस्पताल से छुट्टी मिलेगी। मगर, तभी अस्पताल में पेसमेकर सर्जरी के लिए भर्ती हुए एक हाई प्रोफाइल आर्म्स डीलर अजय सिंह को छुड़ाने के लिए देसी-विदेशी आतंकवादियों की एक टीम साजू के नेतृत्व में अस्पताल पर धावा बोलती है और मरीज़ों को बंधक बना लेती है। इस अप्रत्याशित परिस्थिति को विवान किस तरह हैंडल करता है, फ़िल्म इन्हीं घटनाक्रमों के साथ आगे बढ़ती है। 

सनक का लेखन आशीष पी वर्मा ने किया है। फ़िल्म की सबसे बड़ी दिक्कत इसका सपाट नैरेटिव है, जिसकी वजह से फ़िल्म पूरी तरह प्रेडिक्टेबल हो जाती है और हॉस्टेज ड्रामा में जिस तरह का रोमांच महसूस होना चाहिए, वो नहीं होता। प्लॉट में एक-दो ट्विस्ट डाले गये हैं, मगर वो नाकाफ़ी लगते हैं। इसलिए रोमांच की सारी ज़िम्मेदारी फ़िल्म के एक्शन दृश्यों पर आ गयी है, जो इस फ़िल्म का मकसद भी लगता है।

विद्युत जाम्वाल मौजूदा पीढ़ी के उन कलाकारों में शामिल हैं, जो अपनी शारीरिक भाषा, संरचना और दाव-पेंचों से एक्शन को पर्दे पर विश्वसनीय बना पाते हैं। इसमें अतिश्योक्ति नहीं कि विद्युत एक्शन फ़िल्मों का पर्याय बन गये हैं और यह कहना भी ग़लत नहीं होगा कि विद्युत ने अपनी निजी कोशिशों से भारतीय सिनेमा में एक्शन के दृश्यों को सुधारा है।

सनक का एक्शन विश्सनीय तो है, मगर कुछ दृश्यों को छोड़कर नवीनता का एहसास नहीं होता। फ़िल्म में विद्युत ज़्यादातर कॉम्बेट वाले अंदाज़ में ही दिखे हैं, इसीलिए आतंकवादी टीम में कुछ ऐसे विदेशी कलाकार लिये गये हैं, जो विद्युत के साथ मिलकर एक्शन के दृश्यों को कामयाबी के साथ कोरियोग्राफ कर सकें।

 

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लेखक-निर्देशक ने विद्युत के किरदार विवान को एक आम एमएमए ट्रेनर के तौर पर गढ़ा है, जो हाथ-पैरों से फाइट तो कर सकता है, मगर हथियारों के मामले में कच्चा है और किरदार के इस पहलू का दृश्य संयोजन में ध्यान रखा है। इसीलिए, विवान गन चलाता तो है, मगर उसका निशाना ठिकाने पर कम ही लगता है।

फ़िल्म में चंदन रॉय सान्याल ने आतंकी सरगना साजू के किरदार में ठीक काम किया है। इस किरदार की अप्रत्याशित सोच प्रभावित करती है। उन्हें कुछ दिलचस्प संवाद और दृश्य मिले हैं, जिनका चंदन ने भरपूर फायदा उठाया है। हालांकि, ऐसे किरदार भी देसी-विदेशी फ़िल्मों में ख़ूब नज़र आते रहे हैं। बंगाली सिनेमा की अभिनेत्री रुक्मिणी मैत्रा ने इस फ़िल्म से हिंदी सिनेमा में क़दम रखा है।

अंशिका के किरदार में विद्युत के साथ उनकी कैमिस्ट्री अच्छी लगी है। पुलिस ऑफिसर जयति भार्गव के किरदार में नेहा धूपिया का काम ठीक है। हालांकि, फ़िल्म के मुख्य एक्शन में उनकी कोई भूमिका नहीं है। स्क्रीनप्ले में सिचुएशंस को इस तरह गढ़ा गया है कि सारा दारोमदार विद्युत के ऊपर है। कनिष्क वर्मा ने फ़िल्म का लुक और फील स्टाइलिश रखा है। 117 मिनट की फ़िल्म तेज़ घटनाक्रम की वजह से बोर तो नहीं करती, मगर असर भी नहीं छोड़ती।

 

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कलाकार- विद्युत जाम्वाल, रुक्मिणी मैत्रा, नेहा धूपिया आदि।

निर्देशक- कनिष्क वर्मा

निर्माता- विपुल शाह

अवधि- 117 मिनट

रेटिंग- **1/2 (ढाई स्टार)

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