जीवन के विरोधाभास में पैदा होती है खूबसूरत कॉमेडी

मुंबई। डांस व कॉमेडी के लिए मशहूर अभिनेता जावेद जाफरी की इन दिनों चर्चा में हैं अपनी फिल्म 'वार छोड़ न यार' को लेकर। आमतौर पर बॉर्डर की पृष्ठभूमि पर आधारित फिल्मों में तनाव नजर आता है, पर इस फिल्म में कॉमेडी है। जावेद जाफरी से बातचीत के अंश: बहुत लंबे ब्रेक लेकर काम करते है

By Edited By: Publish:Fri, 11 Oct 2013 02:06 PM (IST) Updated:Fri, 11 Oct 2013 04:07 PM (IST)
जीवन के विरोधाभास में पैदा होती है खूबसूरत कॉमेडी

मुंबई। डांस व कॉमेडी के लिए मशहूर अभिनेता जावेद जाफरी की इन दिनों चर्चा में हैं अपनी फिल्म 'वार छोड़ न यार' को लेकर। आमतौर पर बॉर्डर की पृष्ठभूमि पर आधारित फिल्मों में तनाव नजर आता है, पर इस फिल्म में कॉमेडी है। जावेद जाफरी से बातचीत के अंश:

बहुत लंबे ब्रेक लेकर काम करते हैं आप?

मेरा काम लोग नोटिस कम करते हैं। मैं तो लगातार पच्चीस सालों से काम कर रहा हूं। 'बेशरम' में मैं मौजूद था। अब 'वार छोड़ न यार' में दर्शक मुझे देखेंगे। यह एक कंटेट ड्रिवेन फिल्म है। जिसमें मैं एक पाकिस्तानी सैन्य अधिकारी की भूमिका में हूं। मेरा साथ दे रहे हैं संजय मिश्रा। बॉर्डर पर हम दोनों की तैनाती होती हैं। वहीं पर हमारा आमना-सामना हिंदुस्तानी फौज और उनके अधिकारी बने शर्मन जोशी से होता है।

यह कॉमेडी फिल्म है, जबकि बॉर्डर को लेकर हमेशा तनाव की बात की जाती है?

आप इस बात को समझिए, जिसके जीवन में तनाव होता है, क्या वह हमेशा ही ऐसे रहता होगा? फौज की नौकरी हाई टेंशन जॉब है। ऐसे में हम कभी उनके हल्के-फुल्के पलों का न देख पाएं और न ही हमें कभी दिखाने की आवश्यकता महसूस की गई। जीवन का सबसे खूबसूरत हास्य या व्यंग्य तभी पैदा होता है जब हम विरोधाभासों में या उलझनों में जी रहे होते हैं। हमारे निर्देशक फराज हैदर ने भी इस बात को महसूस किया। उन्होंने मुझे कहानी सुनाई और मैंने तुरंत हां की दी।

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'बूगी-वूगी' फिर से शुरू हो रहा है लेकिन शो के निर्माता होते हुए भी आप शो का हिस्सा नहीं है?

हां, मैं शो का निर्माता था, लेकिन बाद में 'बूगी वूगी' पूरी तरह से चैनल की जिम्मेदारी बनकर रह गया था। मैंने कभी भी चैनल प्रबंधन के फैसलों में हस्तक्षेप करने की भी कोशिश नहीं की। लेकिन अब जब डांस रिएलिटी शो का दौर अपने चरम पर है तो मैं भी चाहता हूं कि कोई ऐसा शो आए जो मैं कर सकूं। मैं टीवी पर अभी भी काम कर रहा हूं, लेकिन अभिनय के क्षेत्र में नहीं। मैं लगातार कार्टून किरदारों को आवाज देता रहता हूं।

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इतने सालों से लगाता काम करने के बाद एक अभिनेता के तौर पर क्या सोचकर पटकथा का चयन करते हैं। बोरियत नहीं होती?

हम लोग तो काम करने ही आए हैं। जीने का कुछ तो उद्देश्य होना चाहिए। किसी का उद्देश्य पैसा कमाना होता है, किसी का परिवार के साथ वक्त बिताना होता है और किसी का दोस्तों के साथ मिलकर अच्छा काम करना। मैंने अधिकतर काम दोस्तों के साथ किया है। 'बूगी-वूगी' से लेकर अब तक के मेरे काम का विश्लेषण करेंगे, तो आप समझ पाएंगे। मैं लगातार काम करते रहना चाहता हूं। खुद को व्यस्त रखना, आपको पास्ट में झांकने का मौका नहीं देता। इसके बावजूद मैं मानता हूं कि हममें से हर एक की स्मृतियों में थोड़ा-बहुत ही सही सुख तो होता ही है।

(सप्तरंग टीम)

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