सिनेमा का आर्किटेक्ट

मुंबई। अभिनेता चंदन रॉय सान्याल की चर्चा विशाल भारद्वाज की फिल्म 'कमीने' से होने लगी थी। उसके बाद उन्होंने कई छोटी भूमिकाएं भी की, लेकिन मिखाइल जैसी चर्चा किसी किरदार को नहीं मिली। जल्द ही उनकी सोलो अभिनेता के तौर पर पहली फिल्म 'प्राग' रिलीज हो रही है। उनसे बातचीत के अंश

By Edited By: Publish:Thu, 05 Sep 2013 01:40 PM (IST) Updated:Thu, 05 Sep 2013 01:53 PM (IST)
सिनेमा का आर्किटेक्ट

मुंबई। अभिनेता चंदन रॉय सान्याल की चर्चा विशाल भारद्वाज की फिल्म 'कमीने' से होने लगी थी। उसके बाद उन्होंने कई छोटी भूमिकाएं भी की, लेकिन मिखाइल जैसी चर्चा किसी किरदार को नहीं मिली। जल्द ही उनकी सोलो अभिनेता के तौर पर पहली फिल्म 'प्राग' रिलीज हो रही है। उनसे बातचीत के अंश-

'प्राग' क्या है?

यह एक मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से लिखी गई और बनाई गई फिल्म है। इसमें मैं चंदन नामक एक लड़के का किरदार निभा रहा हूं जो पेशे से आर्किटेक्ट है। चंदन अपने रिसर्च पेपर के सिलसिले में प्राग जाता है। वहां एक जर्मन लड़की के प्रति वह आकर्षित होता है। यह किरदार निभाते हुए मुझे अंदाज आया कि एक आर्किटेक्ट में अपने काम को लेकर कितना समर्पण भाव होता है।

इसके रिफरेंस प्वाइंट क्या रहे?

क्रिस्टन बेल की एक फिल्म आई थी द मशीनिस्ट, जो मुझे निर्देशक आशीष शुक्ला ने सुझाई थी। उसे देखने के बाद मुझे आर्किटेक्ट की जीवनशैली का अंदाज लगा। फिर मुझे प्रदीप कृष्णन की फिल्म 'एनी' के बारे में पता चला जिसमें शाहरुख खान के साथ ही अरुंधति रॉय ने भी अभिनय किया है। यह पूरी फिल्म आर्किटेक्ट के जीवन की ही कथा कहती है। उसको देखकर मैंने अपने अभिनय के आयाम निर्धारित किए।

फिल्म के बनने की प्रक्रिया बताएं?

'कमीने' रिलीज हो गई थी और लोग मुझे पहचानने लगे थे। 'प्राग' के ही लेखक हैं सुमित सक्सेना, जिनकी छत पर मैं नाटक की रिहर्सल किया करता था। वहींआशीष ने मुझसे इस फिल्म का जिक्र किया था। मैंने कहानी सुनी और हां कर दी क्योंकि 'कमीने' के बाद मुझे किसी छोटी फिल्म का बड़ा रोल नहीं मिला, लेकिन बड़ी फिल्म के छोटे रोल कई मिले। मैं अच्छा काम करना चाहता था। सबसे बड़ी बात कि 'प्राग' के सभी यूनिट सदस्यों की औसत आय तीस साल से कम है, तो शूटिंग में भी दिक्कत नहीं हुई। फिल्म का 85 फीसदी हिस्सा प्राग में और बाकी का दिल्ली के कॉलेज ऑफ प्लानिंग ऐंड आर्किटेक्चर में शूट हुआ है। कुछ हिस्सा हमने मुंबई में भी फिल्माया है।

इन दिनों फिल्में ही कर रहे हैं थिएटर नहीं?

दो साल से तो थिएटर नहीं कर पाया हूं, लेकिन मेरी एक थिएटर कंपनी है। नए लोग आकर यहां परफॉर्म करते हैं। मैंने पिछली कमाई का एक बड़ा हिस्सा थिएटर में लगा दिया है। अब पैसे खत्म हो गए हैं तो फिल्मों से थोड़ा-बहुत कमाने के बाद फिर से अपने मन का काम करना चाहूंगा। फिलहाल इन दिनों अब्बास टायरवाला की फिल्म 'मैंगो' की शूटिंग कर रहा हूं। इस बीच कंप्यूटर पर एडिटिंग भी सीख रहा हूं।

सप्तरंग टीम

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