'मुन्नाभाई एमबीबीएस' बनते-बनते रह गए थे शाह रूख़, अब बताई वो मजबूरी

शाह रूख़ से ये पूछा गया कि क्या उन्हें इस फ़िल्म को ठुकराने का अफ़सोस है, तो किंग ख़ान ने कहा, कि हर फ़िल्म एक्टर की क़िस्मत में लिखी होती है...

By मनोज वशिष्ठEdited By: Publish:Sat, 18 Mar 2017 06:18 PM (IST) Updated:Sat, 18 Mar 2017 06:39 PM (IST)
'मुन्नाभाई एमबीबीएस' बनते-बनते रह गए थे शाह रूख़, अब बताई वो मजबूरी
'मुन्नाभाई एमबीबीएस' बनते-बनते रह गए थे शाह रूख़, अब बताई वो मजबूरी

मुंबई। राजकुमार हिरानी की फ़िल्म मुन्नाभाई एमबीबीएस संजय दत्त के करियर की माइलस्टोन फ़िल्म मानी जाती है। अगर शाह रूख़ ख़ान ने हां कर दी होती, तो संजय मुन्नाभाई ना बन पाते। हालांकि अब शाह रूख़ का कहना है कि वो इस रोल को संजय से बेहतर नहीं कर पाते।

प्रोड्यूसर विधु विनोद चोपड़ा ने सबसे पहले फ़िल्म शाह रूख़ ख़ान को ऑफ़र की थी, मगर सेहत संबंधी कुछ दिक्कतों के चलते शाह रूख़ ने फ़िल्म करने से इंकार कर दिया। इसके बाद फ़िल्म संजय दत्त के पास चली गई। दिल के साफ़ गुंडे का ये रोल संजय दत्त के करियर की सबसे अच्छी याद बन गया। जब शाह रूख़ से ये पूछा गया कि क्या उन्हें इस फ़िल्म को ठुकराने का अफ़सोस है, तो किंग ख़ान ने कहा- ''हर फ़िल्म एक्टर की क़िस्मत में लिखी होती है। मुझे नहीं लगता कि मैं इसे इतने अच्छे से कर पाता, जितना संजय दत्त ने किया है। वो फ़िल्म में शानदार रहे।'' मुंबई के एक सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल में बोन मैरो ट्रांस्प्लांट और बर्थिंग सेंटर का नाम उनकी मां के नाम पर रखा गया है। शाह रूख़ इसी कार्यक्रम में मीडिया से बात कर रहे थे। 

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बीमारियों के लिए जागरूकता को लेकर सिनेमा की भूमिका पर उन्होंने कहा- "भारतीय सिनेमा में डॉक्टर्स को भगवान की तरह देखा जाता है। वो आख़िरी उम्मीद होते हैं और ये दिखाया भी जाता है। आजकल के नौजवान फ़िल्ममेकर्स सेहत या बीमारी से संबंधित कुछ भी दिखाने से पहले काफी रिसर्च करते हैं, जिससे लोगों तक संदेश पहुंचे।"  

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