जिनका हर शब्द बना गीत, वह थे निशब्द

जिनके लिखे गीत करोड़ों लोगों को जिंदगी की मुश्किलों से लड़ना सिखाते रहे, जिनके गीत देश पर मर मिटने के लिए प्रेरित करते रहे उनकी

By rohitEdited By: Publish:Fri, 17 Oct 2014 08:41 AM (IST) Updated:Fri, 17 Oct 2014 08:44 AM (IST)
जिनका हर शब्द बना गीत, वह थे निशब्द

जागरण संवाददाता, दक्षिणी दिल्ली। जिनके लिखे गीत करोड़ों लोगों को जिंदगी की मुश्किलों से लड़ना सिखाते रहे, जिनके गीत देश पर मर मिटने के लिए प्रेरित करते रहे उनकी जुबां आज खामोश थी। अपने बेटे संकल्प आनंद व बहू नरेश नंदिनी की मौत के बाद मशहूर गीतकार संतोष आनंद बृहस्पतिवार को लोधी रोड स्थित श्मशान घाट पर घंटों खामोश बैठे रहे। दोनों की चिता से उठती लौ मानों अंदर से उन्हें जला रही हो। कुछ देर बाद जब दर्द आंसुओं में घुलकर बाहर निकला तो दर्द का सैलाब उमड़ पड़ा। उन्होंने कहा, मैंने व्हील चेयर पर जिंदगी बिता दी लेकिन इतना असहाय आज पहली बार हुआ हूं। सोचा था बेटा मुझे कंधा देगा। मगर पिता को जब बेटे को कंधा देना पड़े तो इससे बड़ा गम और क्या होगा।

संकल्प व नंदिनी को जैसे ही मुखाग्नि दी गई, वह फूट-फूटकर रोने लगे। उन्होंने कहा अब किसके लिए जीना। ईश्वर मुझे भी अपने पास बुला ले तो अच्छा है। उनका विलाप देख वहां मौजूद लोगों की आंखें छलक उठी। 75 वर्षीय संतोष आनंद को उनके रिश्तेदारों व साथियों ने बड़ी मुश्किल से संभाला। वह बार-बार बेटे व बहू का नाम ले रहे थे। वह कह रहे थे अगर बेटे को कुछ तकलीफ थी तो उसने मुझे क्यों नहीं बताया। एक बार कहा तो होता।

..उनका रोना अच्छा नहीं लग रहा

अंतिम संस्कार के दौरान संतोष आनंद के पुराने दोस्त व हास्य कवि सुरेंद्र शर्मा भी मौजूद थे। उन्होंने बताया कि संतोष जी को वह करीब 45 सालों से जानते हैं। उनके बेटे को भी अच्छी तरह से जानते थे। उन्होंने कहा, मैने संतोष जी को खूब हंसाया है। आज उनका रोना मुझे अच्छा नहीं लग रहा। संकल्प के बहनोई शैलेंद्र, मामा राधेलाल, रिश्तेदार विक्की शर्मा व श्रवण के आंसू भी थमने का नाम नहीं ले रहे थे। वहीं, संकल्प की बहन शैली आनंद व श्वेता आनंद का भी रो-रोकर बुरा हाल था।

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