रिहा होते संजय दत्त ने तिरंगे को किया सलाम, बहन बोली-काश, पिता जिंदा होते

अभिनेता और बॉलीवुड के 'मुन्नाभाई' संजय दत्त आज आजाद हो गए। यरवदा जेल के इस कैदी नंबर 16656 को करीब 42 माह की सजा काटने के बाद आज रिहा कर दिया गया।

By Pratibha Kumari Edited By: Publish:Thu, 25 Feb 2016 10:13 AM (IST) Updated:Thu, 25 Feb 2016 12:35 PM (IST)
रिहा होते संजय दत्त ने तिरंगे को किया सलाम, बहन बोली-काश, पिता जिंदा होते

पुणे। अभिनेता और बॉलीवुड के 'मुन्नाभाई' संजय दत्त आज आजाद हो गए। यरवदा जेल के इस कैदी नंबर 16656 को करीब 42 माह की सजा काटने के बाद आज रिहा कर दिया गया। संजय दत्त को गैर कानूनी रूप से हथियार रखने के लिए पांच साल की कैद की सजा सुनाई गई थी। वे मई 2013 से जेल में बंद थे और पैरोल पर कई बार जेल से बाहर भी आए थे।

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बाहर निकलकर संजय दत्त ने जेल में लगे तिरंगे को सलाम किया। उनके चेहरे से खुशी साफ झलक रही थी। उन्होंने कहा कि वे प्रशंसकों की वजह से जेल से बाहर हैं। अभिनेता को लेने उनकी पत्नी मान्यता दत्त और फिल्म निर्माता राजकुमार हिरानी के साथ कुछ दोस्त मुंबई से पुणे आए थे। सभी स्पेशल चार्टर प्लेन से मुंबई रवाना हुए, जहां संजय दत्त सबसे पहले सिद्धिविनायक मंदिर में दर्शन किए।

हालांकि संजय दत्त की रिहाई से ठीक एक दिन पहले बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है। याचिका प्रदीप भालेराव ने दायर की है, जिस पर सोमवार को सुनवाई की जानी है। अपुष्ट खबरों के मुताबिक, इस पर आज भी सुनवाई हो सकती है।

बहन को याद आए पिता

संजय दत्त की रिहाई पर बहन प्रिया दत्त ने कहा, '23 साल का इंतजार आज खत्म हो गया। काश पिता (सुनील दत्त) जिंदा होते।'

103 दिन की राहत और 450 रुपए संजय दत्त को 103 दिन की राहत मिली है। साथ ही उन्होंने जेल में काम करते जो कमाई की, उसके 450 रुपए भी लेकर बाहर आए। यह रुपए उन्होंने जेल में बतौर अर्ध-कुशल कर्मचारी कमाए हैं।संजय दत्त ने यूं तो अपनी सजा के दौरान 38,000 रुपए कमाए, लेकिन इसमें से उन्होंने अधिकतर राशि रोजमर्रा की जरूरतों पर खर्च कर दी है। वैसे यरवदा जेल का स्टाफ अभी उनको मिली सैलेरी का हिसाब पूरा करने में लगा है।संजय दत्त जेल में पेपर बैग्स बनाया करते थे। उन्हें लगभग 50 रुपए रोज मेहनताना मिलता था।'जेल की कैंटिन में ही उनका ज्यादातर पैसा खर्च हुआ है। सिर्फ 450 रुपए बचे हैं, जो उन्हें जेल से बाहर जाते वक्त मिलेंगे। पहले तो उन्हें 35 रुपए रोज मिलते थे, एक सितंबर से यह रकम पचास रुपए रोज हुई।

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