Ego को तोड़ती हर घर की कहानी है Pihu, जिसमें दिखेगा दो साल की बच्ची का प्रभावी अभिनय

विनोद कापड़ी ने बताया कि पूरी कहानी 12 घंटे की है जो सुबह से शुरू होती है और शाम 7 बजे खत्म हो जाती है। इस दौरान की पूरी घटना को 96 मिनट में दर्शाने की कोशिश की गई है।

By Rahul soniEdited By: Publish:Wed, 15 Nov 2017 04:16 PM (IST) Updated:Sat, 18 Nov 2017 05:04 AM (IST)
Ego को तोड़ती हर घर की कहानी है Pihu, जिसमें दिखेगा दो साल की बच्ची का प्रभावी अभिनय
Ego को तोड़ती हर घर की कहानी है Pihu, जिसमें दिखेगा दो साल की बच्ची का प्रभावी अभिनय

राहुल सोनी, मुंबई। परिवार के सदस्यों के बीच कई बार कम्युनिकेशन गैप के कारण समस्याएं आने लगती हैं। एक दूसरे पर अविश्वास करने लगते हैं और उनके अंदर ईगो आ जाता है। इस ईगो को फिल्म पीहू की कहानी तोड़ती है और दर्शकों को इसे देखने के बाद लगेगा कि यह उनकी ही कहानी है। यह कहना है फिल्म पीहू के निर्देशक विनोद कापड़ी का जिन्होंने लंबे समय तक टीवी न्यूज़ इंडस्ट्री में रहने के बाद फिल्ममेकिंग में कदम रखा है। जागरण डॉट कॉम से एक्सक्लूसिव बातचीत में उन्होंने फिल्म के बारे में जानकारी दी। 

विनोद कापड़ी ने बताया कि, ''जब फिल्म को लेकर शुरूआत की थी तो सबसे बड़ी चुनौती यही थी कि दो साल की बच्ची से अभिनय कैसे करवाएंगे। चूंकि कहानी तो दिमाग में क्लीअर थी। यह पता था कि दो साल की बच्ची के साथ फिल्म करने जा रहे हैं जो कि असंभव सा है। स्क्रीनप्ले लिख दिया था। फिर एक समय लगा कि गलत कर रहा हूं, क्योंकि लगभग 44 साल का आदमी एक बच्चे के दिमाग में जाकर कहानी लिखने की कोशिश कर रहा है। यह अप्रौच गलत लगा क्योंकि बच्चे अनप्रिडिक्टेबल करते हैं। तो इसके बाद प्लान किया कि 6 महीने तक उस बच्ची को अॉब्जर्व करूंगा। इसके लिए बच्चे के पास 6 महीने तक रहा। उस समय बच्ची 1 साल 9 महीने की थी। रोज तीन से चार घंटे उसके साथ ही रहते थे। उसके पैरेंट्स से पता चला कि बच्ची बालकनी में खड़े होकर बात करना पसंद करती है। तो हमने फिल्म में भी एेसा ही करीब आठ मिनट का सीन भी रखा है।'' 

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विनोद कापड़ी ने बताया कि पूरी कहानी 12 घंटे की है जो सुबह से शुरू होती है और शाम 7 बजे खत्म हो जाती है। इस दौरान की पूरी घटना को 96 मिनट में दर्शाने की कोशिश की गई है।

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