‘मैं इस देश में नहीं मरूंगा’, मेरी यादों में देव आनंद

आज भी यही लगता है कि वो कहीं नहीं गए हैं, यहीं कहीं आस-पास मौजूद हैं! बड़े अद्भुत और चार्मिंग व्यक्तित्व के थे देव साहब।

By Hirendra JEdited By: Publish:Mon, 03 Dec 2018 05:20 PM (IST) Updated:Tue, 04 Dec 2018 08:27 AM (IST)
‘मैं इस देश में नहीं मरूंगा’, मेरी यादों में देव आनंद
‘मैं इस देश में नहीं मरूंगा’, मेरी यादों में देव आनंद

- पराग छापेकर, मुंबई। आज देव आनंद की पुण्यतिथि है। मुझे आज भी याद है जब मैं नया-नया मुंबई आया था और तब मैं किसी को जानता भी नहीं था। एक दिन मैं यहां का फोन डायरेक्टरी देख रहा था, तभी मेरी नज़र एक नाम पर पड़ी। देव आनंद। देव आनंद नाम देखते ही मैं थोड़ा चहक उठा, क्योंकि हम बचपन से उनकी फ़िल्में देखते बड़े हुए हैं और उनका एक ज़बरदस्त क्रेज़ मुझ पर रहा है। वो बहुत प्यारे से लगते थे मुझे। तो जब मुझे उनका नंबर मिला तो ऐसे लगा जैसे कोई खजाना मिल गया है। मैंने उन्हें फोन मिला दिया।

किसी ने उठाया तो मैंने कहा कि- ‘क्या देव साहब से बात हो सकती है’? उधर से अपने चिरपरिचित अंदाज़ में जब देव साहब ने कहा कि हां बोल रहा हूं तो मैं सकपका सा गया। मुझे बिल्कुल ये उम्मीद नहीं थी कि फोन देव साहब खुद उठाएंगे। फिर मैंने खुद को संभाला और कहा कि सर मैं टीवी चैनल से बोल रहा हूं और आपका इंटरव्यू चाहिए। ये मेरी उनसे पहली बातचीत थी। उन्होंने कहा- ठीक है, परसों 11 बजे बंगले पर आ जाओ... तो हम भी अपनी पूरी टीम को लेकर पूरे ताम-झाम के साथ देव साहब के घर पहुंचे।

ये मेरा मुंबई में पहली बार किसी बड़े स्टार का इंटरव्यू का मौका था। हमने सेटअप लगाया और मुझे याद है मैंने उस दिन ब्लेज़र पहना हुआ था। फिर देव साहब आये और चाय पी की नहीं पूछते हुए उन्होंने मेरी तरफ देखा। उन्होंने कहा- 'जेंटलमैन यू आर लुकिंग हैंडसम! इसमें आप टाई लगा लीजिये।' मैं बगले झांकने लगा क्योंकि टाई तो थी नहीं। उनको समझ में आ गया, फिर वो अंदर गए और अंदर से तीन टाई लिए बाहर आये। और मुझसे अंग्रेजी में ही कहा कि- ‘आप कौन सी टाई चुनना पसंद करेंगे?’ मैं क्या कहता? कभी टाई-वाई से पाला भी नहीं पड़ा था तो देव साहब इस बात को भी समझ गए और उन्होंने खुद ही एक मैरून कलर की टाई चुनी और कहा कि ‘आई थिंक दिस कलर सूट्स यू’! ये कह कर उन्होंने टाई थमा दी और बांधने को कहा और अंदर चले गए।

अब ये नयी मुसीबत थी मेरे लिए। मैंने अपने कैमरामैन की तरफ देखा और वो सज्जन तो हमसे भी महान! कहने लगे कि सर खुली हुई टाई तो मैं आज पहली बार देख रहा हूं। खैर, थोड़ी देर बाद फिर देव साब आये और उन्होंने देखा कि टाई तो हाथ में ही है। उनको समझ में आ गया कि मुझे टाई बांधनी नहीं आती! उन्होंने कहा- ‘इट्स ओके, लेट मी असिस्ट यू’। और फिर उन्होंने मुझे टाई बांधी। आप इस बात से उनकी विनम्रता का अंदाजा लगा सकते हैं कि उन्होंने मुझसे ये नहीं कहा कि मैं आपको टाई बांध देता हूं, या मैं आपको टाई बांधना सिखाता हूं। उन्होंने कहा- ‘लेट मी असिस्ट यू’ और इस तरह से उन्होंने मुझे टाई बांधना सिखाया। इंटरव्यू के बाद जब मैं टाई निकालकर उन्हें देने लगा तो उन्होंने कहा- ‘ये तुम्हारे लिए मेरा गिफ्ट है’। और मुझे याद है उस दिन उन्होंने सबसे आखिर में एक बात और कही थी मुझसे कि- ‘मार्क माय वर्ड्स तुम जीवन में बहुत आगे जाओगे।’ उनकी ये बात मुझे याद रही। ये साल 1996 की बात है।

उसके बाद तो कई बार देव साहब से मिलना-मिलाना हुआ। उनके बर्थडे पर कई बार इंटरव्यूज़ किये। फिर बीच-बीच में भी मैं उनसे मिलता रहा। बात करता रहा। क्योंकि देव साहब की लत आपको लग गयी तो आप उससे मुक्त नहीं हो सकते। एक बार मैंने उनसे पूछा था कि देव साब एक बात बताइए कि आपके समय गुरु दत्त, राज कपूर, दिलीप कुमार, मनोज कुमार, शम्मी कपूर जैसे स्टार थे और इन सबके बीच आपने एक पैटर्न पकड़ा, जिस तरह से आप हाथ या पैर हिलाते हुए चलते थे या संवाद बोलते समय आपका हाथ और गर्दन जिस तरह से हिलता था, ये स्टाइल आपने कैसे पकड़ा? तो वो जैसे शर्म से लाल से हो गए वो और धीरे से कहा- ‘भई ऐसा ही हूं मैं’!! 

मुझे याद है निधन से तकरीबन साल, सवा साल पहले उन्होंने मुझसे कहा था कि- ‘मैं इस देश में नहीं मरूंगा।’ मैंने कहा भी था कि आप तो इस देश की अमानत हैं और आप इस तरह क्यों कह रहे हैं? उन्होंने कहा- ‘तुम समझते नहीं हो, अगर मैं यहां मर गया तो मैं हमेशा के लिए मर जाऊंगा लेकिन, अगर मैं कहीं और मरा तो देव हमेशा रहेगा!’ और ये चीज़ उनकी इतनी सटीक बैठी कि जब 3 दिसंबर 2011 को लंदन से उनके निधन की ख़बर आई तो एक पत्रकार के नाते हमने उसकी रिपोर्ट भी की। लेकिन, आज भी यही लगता है कि वो कहीं नहीं गए हैं, यहीं कहीं आस-पास मौजूद हैं! बड़े अद्भुत और चार्मिंग व्यक्तित्व के थे देव साहब। वैसा शायद ही कोई दूसरा होगा!

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