मैं सपनों के पीछे भागती नहीं उन्हें जीती हूं : निमरत
फिल्म 'लंचबॉक्स' की हीरोईन निमरत कौर ने कहा कि वे सपनों के पीछे भागती नहीं, बल्कि अपने सपने को जीती हैं। निमरत ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि लंचबॉक्स जैसी फिल्म करके उनका एक सपना तो पूरा हो गया लेकिन वे इस बात से दुखी हैं कि लंचबॉक्स जैसी मेच्यौर फिल्म ऑस्कर के लिए नामांकित नहीं हुईं।
मुंबई। फिल्म 'लंचबॉक्स' की हीरोइन निमरत कौर ने कहा कि वे सपनों के पीछे भागती नहीं, बल्कि अपने सपने को जीती हैं। निमरत ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि लंचबॉक्स जैसी फिल्म करके उनका एक सपना तो पूरा हो गया लेकिन वे इस बात से दुखी हैं कि लंचबॉक्स जैसी मेच्यौर फिल्म ऑस्कर के लिए नामांकित नहीं हुई।
निमरत ने एक अखबार को दिए इंटरव्यू में कहा कि उन्हें इस बात का दुख नहीं है कि गुजराती फिल्म 'द गुड रोड' ऑस्कर के लिए चुनी गई लेकिन इस बात की नाराजगी भी है कि जहां लंचबॉक्स को देश, विदेश और समीक्षकों ने इतना सराहा वहां भारतीय फिल्म जूरी की समझ को क्या हो गया कि वे इस फिल्म को उसका हक नहीं दिला पाए।
निमरत ने कहा कि वे अपने सपनों के पीछे भागती नहीं हैं बल्कि उन्हें हर पल जीने की कोशिश करती हैं। उन्होंने कहा, 'मैं हमेशा से ही ऐसा एक किरदार निभाना चाहती थी। इस फिल्म ने मुझे अपने आपसे मिलाया है।' निमरत ने बताया कि उन्होंने फिल्म का किरदार निभाने के लिए कितनी तैयारियां की थीं। 'मुझे उस बोरिंग, मध्यम वर्गीय, अबला नारी की तरह बनने के लिए खुद को अंदर से तैयार करना पड़ा है। जब तक किसी किरदार को आप दिल से महसूस नहीं करोगे आप उसमें जान नहीं डाल सकते हैं। मैंने ऐसा ही किया। औरत की उस पीड़ा को जब वो अपने रोजमर्रा के जीवन में इतना उलझ जाती है कि खुद की खूबसूरती को पहचान नहीं पाती है, आईने में अपना चेहरा देखना भूल जाती है। वो खुद तो क्या बल्कि जब उसका पति भी उसे नजर अंदाज करने लगता है तब उसे अपनी अहमियत का एहसास होता है।'
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