Women's day: महिलाओं ने सिनेमा में दिखाया डायरेक्शन का Power

इंटरनेशनल वुमंस डे के मौके पर हम आपको प्रसिद्ध महिला डायरेक्टर्स के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं जिन्होंने अपने निर्देशन से सिनेमा को एेसी फिल्में दी, जो हमेशा याद रखी जाएगी।

By Rahul soniEdited By: Publish:Thu, 08 Mar 2018 12:35 PM (IST) Updated:Fri, 09 Mar 2018 03:11 AM (IST)
Women's day: महिलाओं ने सिनेमा में दिखाया डायरेक्शन का Power
Women's day: महिलाओं ने सिनेमा में दिखाया डायरेक्शन का Power

मुंबई। आज पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर हर जगह सफलता का परचम लहरा रही महिलाएं समाज में व्याप्त उस मानसिकता को गलत साबित कर रही हैं जो सालों से थी कि महिलाएं वो कार्य नहीं कर सकती जो पुरुष कर सकते हैं। महिलाओं ने आज हर क्षेत्र में अपने कार्य और कौशल से शीर्ष स्थान हासिल किया है। बॉलीवुड और फिल्म मेकिंग भी एक एेसा महत्वपूर्ण क्षेत्र है जिसमें महिलाओं ने अभिनय और निर्देशन से लेकर फिल्मों के निर्माण तक खुद को साबित किया है और सिनेमा में अपना अहम योगदान दिया है। अंतराष्ट्रीय महिला दिवस (इंटरनेशनल वुमंस डे) के मौके पर हम आपको एेसी ही कुछ महिला डायरेक्टर्स के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं जिन्होंने अपने डायरेक्शन से सिनेमा को एेसी फिल्में दी, जो हमेशा याद रखी जाएगी। 

अॉलराउंडर फराह

शुरूआत करते हैं बॉलीवुड की सबसे प्रसिद्ध डायरेक्टर फराह खान से। फराह खान मशहूर डायरेक्टर होने के साथ-साथ कोरियोग्राफर और निर्माता भी हैं। उन्होंने फिल्मों में डायरेक्शन के साथ-साथ कई फिल्मों में कोरियोग्राफी भी की है। वे फिल्मों का निर्माण भी करती आई हैं। फराह ने बॉलीवुड के अलावा कई इंटरनेशनल प्रोजेक्ट्स में भी काम किया है। मैं हूं ना (2004), ओम शांती ओम (2007), तीस मार खान (2010) और हैप्पी न्यू ईयर (2014) जैसी फिल्मों का निर्देशन कर चुकी हैं। खास बात यह है कि, बॉलीवुड में फराह खान अॉल राउंडर हैं, चूंकि उन्होंने अपनी कुछ फिल्मों की स्क्रीप्ट खुद ही लिखी है। फराह फिल्म जोकर (2012) की निर्माता भी थीं। फराह फिल्मों के साथ कई रिएलिटी शोज़ में बतौर जज भी नजर आती हैं। अपनी स्किल से फराह ने बॉलीवुड को अलग-अलग प्रकार की फिल्में दी हैं। कोरियोग्राफी की बात करें तो कई प्रसिद्ध फिल्में जैसे जो जीता वही सिकंदर (1992), अंगार (1992), कभी हां कभी न (1993), विरासत (1997), बॉर्डर (1997), दिल तो पागल है (1997), कुछ कुछ होता है (1998) और कभी खुशी कभी गम (2001) जैसी फिल्मों में कोरियोग्राफी की है।

बॉलीवुड में बनाया स्थान

अगर आपने फिल्म निल बटे सन्नटा और बरेली की बर्फी देखी है तो डायरेक्टर अश्विनी अय्यर तिवारी का नाम आपको हमेशा याद रहेगा। बतौर डायरेक्टर अश्विनी ने दर्शकों के दिलों में अलग नजरिये से फिल्म बनाकर जगह बनाई है। बात करें फिल्म निल बटे सन्नाटा (2016) की तो इस फिल्म से बॉलीवुड से डायरेक्शनल डेब्यू करने वाली अश्विनी अय्यर तिवारी ने निल बटे सन्नाटा को मां-बेटी के रिश्ते और पढ़ाई पर केंद्रित रखा था। वहीं, अश्विनी की दूसरी हिंदी फिल्म बरेली की बर्फी (2017) ने बॉक्स अॉफिस पर कमाल किया और दर्शकों को खूब हंसाया। इस फिल्म के लिए उन्हें फिल्मफेयर बेस्ट डायरेक्टर का खिताब भी मिला। दो ही फिल्मों का निर्देशन करने के बाद अश्विनी ने बॉलीवुड में अपना स्थान बना लिया है।

बॉलीवुड में प्रभावी एंट्री 

बॉलीवुड में शुरूआत से ही प्रभावी एंट्री करने वाली फीमेल डायरेक्टर्स की लिस्ट में एक और नाम अलंकृता श्रीवास्तव का है। उन्होंने अपनी फिल्म लिपस्टिक अंडर माई बुर्का (2017) को लेकर काफी संघर्ष किया। फिल्म रिलीज़ को लेकर कई मतभेद थे, लेकिन बॉलीवुड जगत का साथ मिला और फिल्म आखिरकार रिलीज़ हुई। अलंकृता ने शुरूआत फिल्म अपहरण (2005) से बतौर चीफ असिस्टेंट डायरेक्टर की थी। इसके बाद वो दिल दोस्ती एक्सेट्रा (2007), खोया खोया चांद (2007), राजनीति (2010) में बतौर एक्जीक्यूटिव और असोसिएट प्रोड्यूसर काम किया। इसके बाद अलंकृता ने खुद फिल्म लिपस्टिक अंडर माई बुर्का का सफल निर्देशन किया। इसमें औरतों की खुशी, ख्‍वाहिशें, कल्‍पनाएं, जुनून और महत्‍वाकांक्षाओं को बिना लाग लपेट के अलंकृता श्रीवास्तव ने पेश किया था।

डायरेक्शन और स्क्रिप्ट राइटिंग

जोयाअख्तर का नाम डायरेक्शन के साथ स्क्रीप्ट राइटिंग के लिए भी लिया जा सकता है। जोया ने अपनी फिल्मों के जरिए अलग कहानियों को रूपहले पर्दे पर दर्शाया है। मीरा नायर, टॉनी गर्बर और देव बेनेगल जैसे निर्देशकों को असिस्ट कर चुकीं जोया ने अपने डायरेक्शनल करियर की शुरूआत फिल्म लक बाय चांस (2009) से की थी। इसके बाद उन्होंने युवाओं के सपनों को लेकर फिल्म जिंदगी न मिलेगी दोबारा का निर्देशन किया। यह फिल्म दर्शकों के दिलों में जगह बनाने में कामयाब रही थी। इसके बाद जोया ने दिल धड़कने दो (2015) का निर्देशन किया था। अब जोया अपनी अगली फिल्म गली बॉय को लेकर व्यस्त हैं। जोया बतौर निर्देशक काफी सेंसिबल और संदेश देने वाली फिल्में निर्देशित करती हैं।

हमेशा याद रखा जाएगा

बॉलीवुड में शुरूआत से ही चुनिंदा महिला डायरेक्टर्स ने कहानियों को अपने बेहतरीन निर्देशन और सिनेमा की समझ से फिल्मों के जरिए दर्शकों के सामने पेश किया। इसमें रीमा कागती, दीपा मेहता, मीरा नायर, किरण राव, गौरी शिंदे, तनुजा चंद्रा और कल्पना लाजमी का नाम भी शीर्ष निर्देशिकाओं की लिस्ट में शुमार है। महिलाओं द्वारा सिनेमा को बेहतरीन योगदान दिया गया है जो कि हमेशा याद रखा जाएगा। 

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