Happy birthday Kailash Kher: एक ऐसा गायक जिसकी आवाज के हैं हर उम्र के कायल, जानें कैलाश खेर का संघर्ष

कैलाश खेर उन सूफी गायकों में से एक हैं जिनकी आवाज के कायल हर उम्र के संगीत प्रेमी हैं। उन्होंने अपनी रूहानी आवाज से भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में खूब नाम कमाया है। सूफियाना खूबसूरत आवाज के राजा कैलाश खेर यूं ही नहीं बन गए।

By Anand KashyapEdited By: Publish:Tue, 06 Jul 2021 05:27 PM (IST) Updated:Wed, 07 Jul 2021 07:38 AM (IST)
Happy birthday Kailash Kher: एक ऐसा गायक जिसकी आवाज के हैं हर उम्र के कायल, जानें कैलाश खेर का संघर्ष
बॉलीवुड के दिग्गज सूफी गायक कैलाश खेर, तस्वीर- Instagram: kailashkher

नई दिल्ली, जेएनएन। कैलाश खेर उन सूफी गायकों में से एक हैं जिनकी आवाज के कायल हर उम्र के संगीत प्रेमी हैं। उन्होंने अपनी रूहानी आवाज से भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में खूब नाम कमाया है। सूफियाना खूबसूरत आवाज के राजा कैलाश खेर यूं ही नहीं बन गए। एक गायक के तौर पर उनका संघर्ष 13 साल की उम्र में ही शुरू हो गया था। उत्तर प्रदेश के मेरठ में जन्मे कैलाश खेर का जन्म 7 जुलाई 1973 को हुआ था।

बचपन से संगीत का शौक रखने वाले कैलाश खेर ने छोटी उम्र में ही अपना घर छोड़ने का फैसला कर लिया और सूफी संगीत को अपना जीवन समर्पित कर दिया। इसके बाद कैलाश खेर ने संगीत के कई गुन सीखे, लेकिन जिंदगी जीने के लिए उन्हें आर्थिक संघर्ष का भी सामना करना पड़ा। यही वजह रही कि कैलाश खेर बच्चों को संगीत का ट्यूशन देना शुरू कर दिया, जिससे उनका हर रोज अभ्यास भी होने लगा।

 

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इसके बाद भी कैलाश खेर की जिंदगी में संघर्ष ने साथ नहीं छोड़ा। उन्हें बहुत बार रिजेक्शन्स का भी सामना करना पड़ा। 'अल्लाह के बंदे' (फिल्म-वैसा भी होता है 2, साल 2003) के इस गायक को हर तरफ से निराश होकर साल 1999 में अपने एक दोस्त के साथ बिजनेस करने का फैसला करना पड़ा। व्यापार में काफी घाटा हुआ। यह घाटा कैलाश खेर को डिप्रेशन की ओर लेकर चला गया। हालात यह हुए कि उन्होंने सुसाइड तक करने का मन बना लिया था।

इसके बाद साल 2001 आया, दिल्ली यूनिवर्सिटी से पढ़ाई पूरी कर कैलाश खेर उम्मीद के शहर मुंबई चले गए। खाली जेब और घिसी हुई चप्पल पहने संघर्ष कर रहे कैलाश में संगीत के लिए कमाल का जूनून था। एक दिन उनकी मुलाकात संगीतकार राम संपत से हुई। उन्होंने कैलाश को कुछ रेडियो जिंगल गाने का मौका दिया और फिर कहते हैं न कि प्रतिभा के पैर होते हैं, वो अपना मंजिल तलाश ही लेती है। देखते ही देखते कैलाश खेर ने अपनी आवाज से संगीत के जहां को जीत लिया।

 

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'मेरे निशान' (फिल्म ओएमजी, साल 2012) कहते हुए कैलाश खेर ने कई सदाबहार गाने गए। उन्होंने 'तेरी दिवानी', 'संया', 'तौबा तौबा' और 'चांद सिफारिश' जैसे कई शानदार गाने गाए हैं। कैलाश खेर सूफी के अलावा फिल्मी गानों से भी दर्शकों के दिलों को जीत चुके हैं। अपनी गायकी के लिए 'पद्मश्री' सम्मान से सम्मानित कैलाश ने हिंदी में 500 से ज्यादा गाने गाए हैं। इसके अलावा उन्होंने तमाम क्षेत्रीय भाषाओं में भी गाने गाए हैं। 'तेरी दीवानी' कैलाश के लोकप्रिय गानों में से एक है। कैलाश का 'कैलाशा' नाम से अपना बैंड भी है जो नेशनल और इंटरनेशनल शोज करता है।  

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