प्रियंका-निक के दिल्ली रिसेप्शन में PM... एक दौर था, जब प्रियंका को कहा जाता था 'मनहूस'

ह्लाद कहते हैं कि जब प्रियंका मिस वर्ल्ड बनीं तो सबको लगा था कि उनकी फ़िल्मों में डायरेक्ट एंट्री हो जायेगी।मगर ऐसा नहीं हुआ। उनको मेहनत करनी पड़ी...

By Manoj VashisthEdited By: Publish:Mon, 03 Dec 2018 05:53 PM (IST) Updated:Wed, 05 Dec 2018 12:49 PM (IST)
प्रियंका-निक के दिल्ली रिसेप्शन में PM... एक दौर था, जब प्रियंका को कहा जाता था 'मनहूस'
प्रियंका-निक के दिल्ली रिसेप्शन में PM... एक दौर था, जब प्रियंका को कहा जाता था 'मनहूस'

अनुप्रिया वर्मा, मुंबई। प्रियंका चोपड़ा और निक जोनस आख़िरकार एक हो चुके हैं। प्रियंका और निक की शादी को लेकर कई तरह की बातें हो रही हैं। कहीं प्रियंका और निक के बीच उम्रे के बड़े फ़ासले पर कमेंट किये जा रहे हैं तो कहीं उनकी विदेशी च्वाइस पर सवाल खड़े किये जा रहे हैं। प्रियंका को जो करीब से जानते हैं, वो यह मानते हैं कि प्रियंका काफी सशक्त महिला हैं और यही उनकी ख़ूबी है, जो उन्हें औरों से अलग बनाती है। उन्होंने जब भी काम किया है अपनी शर्तों पर। अपनी पहचान भी शर्तों पर बनायी।

प्रियंका सिर्फ़ हिंदी फिल्मों की अभिनेत्री के रूप में सीमित नहीं रहीं, बल्कि उन्होंने अपनी बुद्धिमता से विदेशों में पंख फैलाने के साथ-साथ निर्माता के रूप में भी सफल उड़ान भरी है। एक ब्रांड के रूप में वह ग्लोबल फेस हैं तो एक बिज़नेस वुमन की परिभाषा को वह भलीभांति परिभाषित करती हैं। ऐसे में एड गुरु प्रह्लाद कक्कड़ ने जागरण डॉट कॉम से ख़ास बातचीत में प्रियंका की पूरी यात्रा के अहम पड़ावों को रेखांकित किया है। प्रह्लाद उन लोगों में से हैं, जिन्होंने प्रियंका को शुरू से देखा है, जब वो 'प्रियंका चोपड़ा' नहीं थीं।

प्रह्लाद मानते हैं कि 36 साल की उम्र में जहां हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री में यह आवधारणा है कि अभिनेत्रियों को फ़िल्में कम मिलने लगती हैं, प्रियंका व्यस्ततम अभिनेत्रियों में शामिल हैं। वहीं ब्रांड एंडॉर्समेंट के लिहाज़ से भी प्रियंका सबकी प्रिय बनी हुई हैं।

पहले दिन से ही धारा के विरुद्ध रहीं

प्रह्लाद का मानना है कि आमतौर पर हमारी इंडस्ट्री पागलों और बेवकूफों और कम अक्लमंदों की जमात है। उन मूर्खों के बीच भी प्रियंका ने अपनी ही शर्तों पर काम किया। दरअसल, प्रियंका के साथ उनका अधिक पढ़ा होना, अच्छे परिवार से आना, अच्छी जानकारी होना और सही तरीके से खुद को प्रेजेंट करना ही, उनके लिए बाधक बन रहा था। चूंकि यहां के लोग खुद से महारथी लोगों को पसंद तो करते नहीं हैं। अपना एकाधिकार समझते हैं। समझते हैं कि हीरोइन है तो कुछ भी करवा लो, लेकिन ऐश्वर्या के बाद कोई पहली लड़की आयी, जो किसी भी तरह से समझौते और चुपचाप रहकर काम करने वालों में से नहीं थी। सो, उस वक्त लोग उन्हें लेने से कतराते थे कि कल को उन्हें ही ना सीखना पड़े।

 

प्रहलाद कहते हैं कि यह प्रियंका की खूबी रही कि शुरुआती दौर से ही उसने हमेशा समानता पर बात की है। ऐसा नहीं है कि अब कामयाब महिला हो गयी हैं तो ऐसी सोच रखने लगी हैं। शुरुआती दौर में भी वह सवाल करती थी।वह कहती थी और खुद को मानती भी थी कि वह किसी से कम नहीं है। प्रह्लाद को प्रियंका की सबसे बड़ी खूबी लगती है कि उनका इंडस्ट्री में कोई भी गॉडफादर नहीं रहा है। खुद से वह लगी रहीं और भिड़ी रहीं। प्रियंका को प्रह्लाद एटम बम मानते हैं, जिसमें काफ़ी ताकत होती है।

लुक नहीं मास्टर माइंड से बनीं ग्लोबल स्टार

प्रहलाद कहते हैं कि वह उनके लुक नहीं, उनकी सोच समझ के कायल रहे हैं और वह उनकी इस बात को लेकर काफी रिस्पेक्ट करते हैं। वह कहते हैं कि भारत में ही ऐसा होता है कि हीरो 18 साल की लड़की के साथ भी काम कर सकते हैं। कॉलेज बॉय का भी किरदार कर सकते हैं लेकिन जब यहां अभिनेत्री की शादी हो जाती है या 30 साल की हो जाती है तो उन्हें कहा जाता है कि आप अपना बोरिया बिस्तर समेट लो। लेकिन प्रियंका ने अपनी सूझबूझ से काम किया है। उन्हें पता था कि यहां उनके लिए आने वाले समय में अलग तरह के किरदार लिखे जाने लगेंगे। उनकी उम्र से अधिक वाले किरदार भी लिखे जायेंगे। आप गौर करें कि हॉलीवुड में ज्यादातर अच्छे किरदार अभिनेत्रियों को 30 की उम्र के बाद ही निभाने का मौक़ा मिलता है। ऐसे में उन्होंने विस्तार किया। ख़ास बात यह रही कि उन्हें सही वक्त पर प्रोजेक्ट्स भी मिले और वह अब ग्लोबल फेस बनीं। अब चूंकि वह बड़ा नाम हॉलीवुड में भी बन चुकी हैं, उन्हें वापस भारत आकर काम करने में कोई परेशानी नहीं होगी और उन्हें उनके मन का काम मिलेगा।

निक को लेकर सोच समझ कर ही लिया होगा फै़सला

प्रहलाद कहते हैं कि लोग होते कौन हैं उन्हें कहने वाले कि किससे शादी करो, किससे नहीं। हो सकता है कि उन्हें कोई राइटपर्सन मिलता। उनकी उम्र का मिलता, लेकिन जिससे वह प्यार ही नहीं करतीं, तो क्या वह शादी निभ जाती? प्रियंका शुरू से ऐसी रही हैं। उन्होंने अचानक से कोई निर्णय नहीं लिया होगा। काफ़ी समझदारी से और सोच समझ कर वह शादी कर रही हैं। चूंकि वह वाकई में प्यार करती हैं निक से। चूंकि वह रिस्क टेकर हैं। वह इसमें भी चांस ले रही हैं। प्रहलाद का मानना है कि वह काफी प्रैक्टिकल हैं। वह ज़बर्दस्ती किसी रिलेशनशिप में नहीं रहने वाली हैं।

मिस वर्ल्ड बनने के बाद शुरु हुआ संघर्ष

प्रह्लाद कहते हैं कि जब प्रियंका मिस वर्ल्ड बनीं तो सबको लगा था कि उनकी फ़िल्मों में डायरेक्ट एंट्री हो जायेगी।मगर ऐसा नहीं हुआ। उनको मेहनत करनी पड़ी, क्योंकि हमारी इंडस्ट्री में अधिक अंग्रेजी बोलने वाली, पढ़ी-लिखी, स्मार्ट लड़कियों को कम ही मौके़ मिलते हैं। चूंकि कम स्मार्ट लड़कियों को लोग मैनिपुलेट कर सकते हैं, लेकिन प्रियंका कभी बेवकूफ नहीं थीं। उनको बेवकूफ बनाना मुश्किल था। वह स्मार्टेस्ट मॉडल थी। प्रियंका काफ़ी पढ़ती थीं और उन्होंने दुनिया देखी थी, तो जो लोग उस वक्त थे, उससे ज्यादा पढ़ी लिखी थीं। लिटरेट थीं, तो लोग उन्हें लेने में असहज होते थे।

प्रियंका को माना जाता था मनहूस 

प्रह्लाद कहते हैं कि वह फटाक से मुंंह पर अपनी ही फ़िल्म के बारे में बोल देती थीं कि ये फ़िल्म नहीं चलेगी तो सबको लगता था कि कल की आयी लड़की, इसकी औकात क्या है। हमें कैसे बोल सकती है। फ़िल्म रिलीज़ भी नहीं हुई है, तो ऐसे में जब फ़िल्म फ्लॉप होती थी, तो उन्हें मनहूस माना जाता था।

नेगेटिव किरदार का जोख़िम

प्रहलाद कहते हैं कि जिस दौर में अभिनेत्रियों को लांच होने के लिए पॉज़िटिव और ग्लैमरस किरदार ही चाहिए थी. वहां भी प्रियंका ने ऐतराज में नेगेटिव किरदार निभाया और वह वर्क कर गया. फिल्म में उन्होंने कनविक् शन के साथ काम किया. काफी समय के बाद ऐसी फिल्म आयी, जिसमें हीरो की नहीं हीरोइन की चर्चा हुई. प्रहलाद कहते हैं कि वह स्ट्रेट फॉरवर्ड हमेशा से रही है. एक वक्त पर लोग उसके नाम पर उसे ही ठगते जा रहे थे. लेकिन फिर उसने स्मार्टली काम शुरू किया और खुद से प6ोडयूर्स से बातचीत करके फिल्म लॉक करना शुरू किया.

सिंगिंग पहली च्वाइस, हॉलीवुड का सफर

 

प्रह्लाद कहते हैं कि सिंगिंग को लेकर प्रियंका हमेशा से सीरियस रही हैं और उसकी पहली पसंद सिंगिंग थी। आप देखें कि एक दौर होता है कि आप बहुत कामयाब हो जाते हैं। उसके बाद आप बाकी चीज़ों को बैक सीट पर रख देते हैं, लेकिन स्टारडम होने के बावजूद एक समय पर उन्होंने सिंगिंग को तवज्जो दी। प्रह्लाद कहते हैं कि शुरुआती दौर में वह अपने पैसे अंग्रेजी गानों और जैज़ पर ख़र्च करती थी। वह नेचुरल सिंगर है। प्रियंका की कामयाबी की यह भी ख़ास बात रही कि अंग्रेजी भाषा पर पकड़ रही और लोग कभी नहीं पकड़ पाते थे कि वह कहां से हैं। उनकी भाषा, उच्चारण इतनी अच्छी कैसी है. यह भी हॉलीवुड में उनके लिए फायदेमंद रहा कि उन पर वहां के लोगों को अधिक काम नहीं करना पड़ा.

रीजनल फिल्मों से पहचान

प्रहलाद कहते हैं कि खास बात यह भी रही कि जब वह प्रोडयूसर बनीं तो उन्होंने हिंदी फ़िल्मों की तरफ रुख़ नहीं किया। चूंकि वह जानती थीं कि यहां पहले से ही महारथी बैठे हैं और उनके काम में काफ़ी दखलअंदाज़ी होगी। ऐसे में उन्होंने वैसी फ़िल्मों को तवज्जो देना शुरू किया, जहां अब तक काम ही नहीं हो रहा था। गौर करें तो वह पहली अभिनेत्री होंगी, जो इतने रीजनल लैंग्वेज में काम कर रही हैं। वह चूंकि वर्ल्ड स्तर पर भी इसका महत्व समझती हैं और इस सिनेमा का महत्व समझती हैं। यही वजह है कि उनकी रीजनल फ़िल्में भी अच्छी पहचान बना रही हैं और वह कर्मशियल फ़िल्मों की तरफ़ रुख़ नहीं कर रही हैं। यह भी उन्हें अलग बनाती हैं।

ब्रांड वैल्यू

प्रह्लाद का मानना है कि ब्रांड एनंडॉर्समेंट के रूप में उन पर लोगों का विश्वास और पुख्ता हुआ है। उन्हें मैच्योर ब्रांड और विश्वसनीय ब्रांड के रूप में जमकर लोग फेस बनायेंगे। जिन प्रोडक्ट्स की विश्वसनीयता और ड्यूरेबिलिटी दर्शानी हो। वैसे ब्रांड के लिए वह परफेक्ट च्वाइस हैं। साथ ही ब्यूटी के साथ ब्रेन वाले ब्रांड्स, पॉवरफुल वुमन की पहचान देने वाले प्रोडक्ट्स की भी प्रियंका पसंद बनी रहेंगी।

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