मंत्री बनने के लिये जारी है भाजपा विधायकों का जोड़तोड़
मुख्यमंत्री के चयन को लेकर भाजपा विधायकों की शनिवार को होने वाली बैठक पर सबकी निगाहें टिकी हैं लेकिन, मंत्री बनने के लिए भी जोड़तोड़ कम नहीं है।
लखनऊ (जेएनएन)। मुख्यमंत्री के चयन को लेकर भाजपा विधायकों की शनिवार को होने वाली बैठक पर सबकी निगाहें टिकी हैं लेकिन, मंत्री बनने के लिए भी जोड़तोड़ कम नहीं है। भाजपा नेतृत्व ने क्षेत्रीय, जातीय और कैडर के साथ-साथ बाहर से आये लोगों का संतुलन बनाने पर भी जोर दिया है। भाजपा के वरिष्ठ विधायकों को प्राथमिकता मिलनी तय है। इनमें कुछ का नाम अंतिम समय में भी मुख्यमंत्री की रेस में चल रहा है।
भाजपा ने मंत्रियों के चयन के लिए प्रांत प्रचारकों, क्षेत्रीय अध्यक्षों और जिलाध्यक्षों तक की राय मांगी है। आर्थिक संभाग में बंटे चार हिस्सों में पश्चिम, पूर्वांचल, मध्य और बुंदेलखंड का प्रतिनिधित्व होना लाजिमी है। जातीय स्तर पर पिछड़ों के साथ सवर्ण और दलितों की नुमाइंदगी भी होनी है। गठबंधन के दोनों साझीदारों अपना दल सोनेलाल और भासपा को भी मंत्रिमंडल में स्थान मिलना तय माना जा रहा है। मंत्रियों की योग्यता पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। कैडरबेस कुछ युवाओं को भी मौका देने की रणनीति बनी है। इनमें पहली बार चुनाव जीते अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और युवा मोर्चा के नेताओं को मौका मिल सकता है।
दावेदारों में सुरेश खन्ना, हृदय नारायण दीक्षित, राधा मोहन दास अग्रवाल, सतीश महाना, पंकज सिंह, सिद्धार्थनाथ सिंह, श्रीकांत शर्मा, सूर्य प्रताप शाही, रामकुमार वर्मा, रविन्द्र जायसवाल, जगन प्रसाद गर्ग, धर्मपाल सिंह, राजेन्द्र सिंह उर्फ मोती सिंह, उपेन्द्र तिवारी, सुभाष त्रिपाठी, सुरेश राणा, दल बहादुर, सत्यप्रकाश अग्रवाल, कृष्णा पासवान, राजेश अग्रवाल, श्रीराम सोनकर, वीरेन्द्र सिंह सिरोही, गोपाल टंडन, बृजेश पाठक, आशीष सिंह, जटाशंकर त्रिपाठी, आरके पटेल, वेद प्रकाश गुप्ता, दारा सिंह चौहान, धर्म सिंह सैनी, रमापति शास्त्री, अक्षयवर लाल जैसे कई लोगों को अलग-अलग समीकरण की वजह से मौका मिल सकता है। नेता प्रतिपक्ष रह चुके स्वामी प्रसाद मौर्य हों या एनसीपी के दल नेता रहे पूर्व मुख्यमंत्री वीरबहादुर सिंह के पुत्र पूर्व मंत्री फतेहबहादुर सिंह और रालोद के दल नेता रहे दलवीर सिंह की दावेदारी सबसे मजबूत है।
संगठन और महिलाओं को प्राथमिकता
भाजपा इस बार संगठन और विधान परिषद से भी मंत्रियों का चयन कर सकती है। विधान परिषद सदस्य महेन्द्र सिंह का नाम सबसे आगे है। यज्ञदत्त शर्मा, भूपेन्द्र सिंह चौधरी, जयपाल सिंह व्यस्त को भी अवसर मिल सकता है। इनके अलावा संगठन से स्वतंत्र देव सिंह और विजय बहादुर पाठक को भी मौका मिल सकता है। भाजपा इस बार महिलाओं को मंत्रिमंडल में भरपूर भागीदारी दे सकती है। इनमें प्रदेश महामंत्री अनुपमा जायसवाल, मंत्री नीलिमा कटियार, महिला मोर्चा की अध्यक्ष स्वाती सिंह, अलका राय, सरिता भदौरिया, रानी पक्षालिका सिंह और रानी गरिमा सिंह को भी मौका मिल सकता है।
वरिष्ठों को विधानसभा अध्यक्ष का मौका
भाजपा ने वरिष्ठ विधायकों को अगर मुख्यमंत्री का मौका नहीं दिया तो उन्हें विधानसभा अध्यक्ष और संगठन से जुड़े महत्वपूर्ण पदों पर समायोजित किया जा सकता है।