हुई ऐसी गड़बड़ी कि चपरासी बन गया पीठासीन अधिकारी

कुछ कर्मचारियों ने शिकायत दर्ज कराई है कि उनकी ड्यूटी चार-चार जगह लग गई है।

By Rahul.vavikarEdited By: Publish:Fri, 26 Oct 2018 01:44 PM (IST) Updated:Fri, 26 Oct 2018 01:44 PM (IST)
हुई ऐसी गड़बड़ी कि चपरासी बन गया पीठासीन अधिकारी
हुई ऐसी गड़बड़ी कि चपरासी बन गया पीठासीन अधिकारी

भोपाल। सरकारी कर्मचारियों की चुनाव में ड्यूटी लगाने को लेकर इन दिनों गफलत की स्थिति बनी हुई है। गुरुवार को एक ऐसा मामला सामने आया, जिसमें चपरासियों की ड्यूटी पीठासीन अधिकारियों के रूप में लगा दी गई है। जबकि, क्लर्क लेवल के कर्मचारियों को पीठासीन अधिकारी बनाया जा सकता है। इधर, कुछ कर्मचारियों ने शिकायत दर्ज कराई है कि उनकी ड्यूटी चार-चार जगह लग गई है। लिहाजा, उन्हें यह समझ नहीं आ रहा है कि कौन सी ड्यूटी करें और कौन सी छोड़ दें।

दरअसल, इस बार कम्प्यूटर के जरिए रेडमली ड्यूटी लगाई जा रही है। इसके लिए चुनाव आयोग ने सभी विभागों से ऑनलाइन कर्मचारियों और अधिकारियों का डाटा मंगवाया था। इस दौरान करीब 36 हजार अधिकारियों और कर्मचारियों का डाटा विभिन्न विभागों से निर्वाचन आयोग को भेजा गया था। इसमें से चुनाव कार्य के लिए रेंडमली ड्यूटी लगाई गई है।

ताजा मामला नापतौल विभाग से संबंधित है। इसमें प्यून लेवल के कर्मचारी जैसे विक्रम सिंह, फरहान मसूद, खुशीलाल और अब्दुल मजीद की ड्यूटी पीठासीन अधिकारी के रूप में लगाई गई है। जबकि, अधिकारियों की ड्यूटी पी-2 लेवल पर लगाई गई है। वहीं, लिपिक आशीष बाथम की दो-दो जगह ड्यूटी लगा दी गई है। इस बारे में अधिकारियों का कहना है कि ऑनलाइन डाटा भेजते समय चपरासियों के पद नाम का स्पष्ट उल्लेख नहीं था। वहीं, कुछ कर्मचारियों का ग्रेड-पे भी क्लर्क लेवल का था, जिससे उन्हें पीठासीन अधिकारियों की सूची में डाल दिया गया। हालांकि, जो इसकी शिकायत कर रहे हैं, उनकी ड्यूटी हटाई जा सकती है।

प्रोफेसरों ने कहा पद की गरीमा का नहीं रखा ध्यान

प्रोफेसरों का कहना है कि चुनाव ड्यूटी लगाते समय हाईकोर्ट के निर्देशों का पालन नहीं किया गया है। लिहाजा, जूनियर अधिकारी डिप्टी कलेक्टर, एसडीएम और तहसीलदार के अंडर में वीवीपैट मशीनों के प्रदर्शन के लिए प्रोफेसरों की ड्यूटी लगाई गई है। प्रांतीय शासकीय महाविद्यालयीन प्राध्यापक संघ ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को इस संबंध में पत्र लिखकर ड्यूटी करने से इंकार भी किया है। संघ के अध्यक्ष कैलाश त्यागी ने बताया कि प्रोफेसरों के पद की गरिमा का ख्याल चुनाव ड्यूटी में नहीं रखा गया है।

डाटा में पदनाम स्पष्ट नहीं था

एनआईसी के जरिए मिले डाटा के आधार पर चुनाव ड्यूटी लगाई गई है। विभाग ने जानकारी भेजते समय पदनाम का स्पष्ट उल्लेख न करते हुए वेतनमान लिखा था। इस कारण कंम्यूटरमें डाटा फीड किया गया तो रेंडमली यह ड्यूटी लग गई। हालांकि, जो इसकी शिकायत कर रहे हैं उनकी ड्यूटी हटाई जा रही है - डॉ. सुदाम पी खाडे, कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी

chat bot
आपका साथी