मप्र में फिर चुनाव बहिष्कार की गूंज, पिछले चुनाव में 39 केंद्रों में नहीं पड़ा था एक भी वोट

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में एक बार फिर मतदान का बहिष्कार करने की गूंज सुनाई देने लगी है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Tue, 23 Oct 2018 12:32 AM (IST) Updated:Tue, 23 Oct 2018 12:32 AM (IST)
मप्र में फिर चुनाव बहिष्कार की गूंज, पिछले चुनाव में 39 केंद्रों में नहीं पड़ा था एक भी वोट
मप्र में फिर चुनाव बहिष्कार की गूंज, पिछले चुनाव में 39 केंद्रों में नहीं पड़ा था एक भी वोट

भोपाल, नईदुनिया स्टेट ब्यूरो। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में एक बार फिर मतदान का बहिष्कार करने की गूंज सुनाई देने लगी है। कहीं एट्रोसिटी एक्ट के प्रावधान को लेकर विरोध हो रहा है तो कहीं सड़क, नाली और अन्य विकास कार्यो को लेकर बहिष्कार की चेतावनी दी जाने लगी है।

पन्ना हो या फिर नीमच, मतदान का बहिष्कार करने के बैनर जगह--जगह दिखाई देने लगे हैं। राजनीतिक दलों ने भले ही इन गांव या मोहल्लों के मतदाताओं की सुध न ली हो पर चुनाव आयोग सक्रिय हो गया है। दरअसल, 2013 के चुनाव में 28 विधानसभा क्षेत्र के 39 मतदान केंद्रों में एक भी वोट नहीं पड़ा था। ऐसी स्थिति फिर निर्मित न हो, इसके लिए चिन्हित क्षेत्रों में मतदाता जागरकता की टीमें पहुंचाई जा रही हैं।

मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी वीएल कांताराव का कहना है कि लोकतंत्र में मतदान सबसे बड़ा हथियार है, इसका उपयोग किया जाना चाहिए। हम मतदाताओं को यह बात समझाने का प्रयास कर रहे हैं। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय ने इस बार विधानसभा चुनाव में 80 फीसदी मतदान का लक्ष्य रखा है। इसके लिए एक-एक मतदान केंद्र के वोटिंग पैटर्न का अध्ययन किया गया। इसमें निकलकर आया कि पिछले विधानसभा चुनाव में मतदाताओं ने विभिन्न कारणों से मतदान का बहिष्कार किया था।

39 मतदान केंद्रों में जहां एक भी वोट नहीं डाला गया। वहीं, 27 केंद्रों में मतदान दस फीसदी से भी कम रहा। कई क्षेत्र ऐसे रहे, जहां 10 से 20 प्रतिशत ही मतदान हुआ। आयोग ने तय किया है कि 50 फीसदी से कम मतदान वाले क्षेत्रों में फोकस कर मतदाता जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।

संयुक्त मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी विकास नरवाल ने बताया कि जिलों में कहा गया है कि पिछले चुनाव में जहां एक भी वोट नहीं डाला गया था, वहां अभी से प्रयास करें। मतदाताओं को समझाया जाए कि लोकतंत्र में विरोध जताने का तरीका भी चुनाव ही है। मतदान करके आप व्यवस्था में आ जाते हैं। वहीं, नोटा भी विरोध दर्ज कराने का एक तरीका है। चुनाव आयोग ने संघषर्ष के बाद नोटा का अधिकार मतदाताओं को दिया है। पर्ची के साथ दिया जाएगा आमंत्रण उधर, चुनाव आयोग ने तय किया है कि मतदान पर्ची के साथ मतदाताओं को आमंत्रण पत्र दिया जाएगा। इसमें मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी या जिला निर्वाचन अधिकारी की ओर से मतदान की अपील की जाएगी।

2013 में यहां नहीं पड़ा था एक भी वोट
विधानसभा--मतदान केंद्र
सबलग़ढ़- खेडाडिगवार
अटेर- रानीपुरा
मेहगांव--चंद्रपुरा
सेवढ़ा,जरौली
भांडेर-कालीपुरा, पैता, प्यावल, पिपरौआकला
गुना--इकोदिया
अशोकनगर-सेमरी जुम्मन
बंडा----सिसनगुआ बुधाखे़ड़ा
राजनगर--अतर्रा
रैगांव--नकटी
मनगवां--बुदगवां और दुबगवां
धौहनी-अमेधिया और मझिगवां
पुष्पराजगढ़----ठाढपाथर
शहपुरा----बगडामल
लांजी----भरसाडोंगरी
परसवाड़ा----खारा
केवलारी----कोपीझोला
आमला--मंगरा
पिपरिया--मोहारीखुर्द
उदयपुरा--रजवाड़ा
कुरवाई--हरगनखे़ड़ी, झागर और आजम नगर
सिरोंज--हिनोतिया
सारंगपुर--डोबड़ाजोगी, पठारी और बुढनपुरा (इटावा) 
मांधाता--भमोरी
पंधाना--रोशनहर
महेश्वर--फिफरिया
तराना--खोकरिया
सुसनेर--नान्याखे़ड़ी और करकडिया

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