गढ़ी-सांपला-किलोई में हुड्डा की साख व सियासत को भाजपा के नांदल की कड़ी चुनौती

Haryana Assembly Election 2019 मे गढ़ी-सांपला- किलोई में इस बार पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा की साख व सियासत को भाजपा के सतीश नांदल क़ड़ी चुनौती दे रहे हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Wed, 23 Oct 2019 03:50 PM (IST) Updated:Wed, 23 Oct 2019 03:50 PM (IST)
गढ़ी-सांपला-किलोई में हुड्डा की साख व सियासत को भाजपा के नांदल की कड़ी चुनौती
गढ़ी-सांपला-किलोई में हुड्डा की साख व सियासत को भाजपा के नांदल की कड़ी चुनौती

रोहतक, [ओपी वशिष्ठ]। Haryana Assembly Election 2019 गढ़ी-सांपला- किलोई सीट के चुनाव परिणाम पर हरियाणा के हर नेता व मतदाता की नजर है। यहां से पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा चुनाव लड़ रहे हैं, वहीं भाजपा ने इसी सीट को जीतने के लिए चुनाव में पूरी ताकत झोंक दी थी। हुड्डा की सियासत और साख को इस बार भाजपा प्रत्‍याशी सतीश नांदल की कड़ी चुनौती मिली है।

हुड्डा के प्रचार की कमान बेटे दीपेंद्र ने संभाली थी, भाजपा के राष्ट्रीय नेताओं के निशाने पर रहे हुड्डा

भूपेंद्र सिंह हुड्डा के समर्थकों का मानना है कि पूर्व मुख्‍यमंत्री मजबूत दिख रहे हैं। लेकिन, भाजपा के साइलेंट वोटर को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। बृहस्पतिवार को परिणाम आएंगे तो सभी तरह के कयासों पर विराम लग जाएगा। मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा में ही है। अन्य राजनीति दल और प्रत्याशी चुनावी दौड़ में काफी पीछे छूट चुके हैं।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा कांग्रेस आलाकमान से नेतृत्व की लड़ाई जीतने के बाद अब फिर से हरियाणा में सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं। लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद भूपेंद्र सिंह हुड्डा की इस चुनाव में अपने हल्के में साख दांव पर लगी हुई है। यहर कारण है कि उन्‍होंने गढ़ी-सांपला-किलोई में इस बार न तो प्रचार में कोई कसर नहीं छोड़ी।  उन्होंने फिर से चौधर लाने का नारा दिया। उनके चुनाव प्रचार की कमान उनके पुत्र पूर्व सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा संभाले हुए थे। उधर, भाजपा में प्रचार की कमान जहां प्रत्याशी सतीश नांदल ने खुद संभाला था और  सांसद डा. अरविंद शर्मा भी खूब पसीना बहाया। इतना ही नहीं रोहतक में राष्ट्रीय नेताओं से भाजपा ने हुड्डा को ही मुख्‍य निशाने पर रखा।

लोकसभा में गैर जाट कार्ड खेला, अब जाट पर खेला दांव   

भाजपा ने लोकसभा चुनाव में रोहतक लोकसभा सीट से गैर जाट कार्ड खेला और सफलता हासिल की। लेकिन विधानसभा चुनाव के समीकरणों को देखते हुए जाट सतीश नांदल पर दांव खेला। सतीश नांदल दो बार इनेलो की टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं और दोनों ही बार दूसरे नंबर पर रहे थे। अब देखना है कि भाजपा इस प्रयोग में कितना सफल हो पाती है।

इनेलो-जजपा का नहीं दिख रहा खास प्रभाव

गढ़ी-सांपला-किलोई में इंडियन नेशनल लोकदल प्रत्याशी का ही कांग्रेस के साथ मुकाबला रहता था। लेकिन इनेलो से जजपा निकलने के बाद इस चुनाव में खास प्रभाव नहीं है। इनेलो ने जहां एडवोकेट कृष्ण कौशिक को टिकट दिया, वहीं जजपा ने डा. संदीप हुड्डा को प्रत्याशी बनाया। लेकिन दोनों की प्रत्याशियों का चुनाव में कोई खास प्रभाव दिखा।       

हरियाणा गठन से लेकर अब तक रहे विधायक

चुनाव          विधायक                पार्टी           उपविजेता

1967       महंत श्रेयो नाथ           निर्दलीय         रणबीर सिंह हुड्डा

1968       रणबीर सिंह हुड्डा        कांग्रेस           महंत श्रेयो नाथ

1972       महंत श्रेयो नाथ          एनओसी         प्रताप सिंह हुड्डा

1977      हरिचंद  हुड्डा           जनता पार्टी       रणबीर सिंह हुड्डा

1982     हरिचंद हुड्डा            लोकदल         भूपेंद्र सिंह हुड्डा

1987     श्रीकृष्ण हुड्डा            लोकदल        भूपेंद्र सिंह हुड्डा

1991     कृष्णमूर्ति हुड्डा           कांग्रेस          श्रीकृष्ण हुड्डा

1996    श्रीकृष्ण हुड्डा            लोकदल        रामफूल सिंह

2000      भूपेंद्र सिंह हुड्डा          कांग्रेस          धर्मपाल सिंह

2005      श्रीकृष्ण हुड्डा            कांग्रेस          डा. प्रेम हुड्डा

2009     भूपेंद्र सिंह हुड्डा          कांग्रेस          सतीश नांदल

2014      भूपेंद्र सिंह  हुड्डा         कांग्रेस          सतीश नांदल

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