दिल्ली में बदल सकता है सरकारी दफ्तरों का समय, क्या प्रदूषण होगा कम; उठे सवाल

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने विश्व संसाधन संस्थान (डब्ल्यूआरआइ) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) ओपी अग्रवाल से मुलाकात की।

By Mangal YadavEdited By: Publish:Tue, 01 Oct 2019 03:05 PM (IST) Updated:Tue, 01 Oct 2019 03:05 PM (IST)
दिल्ली में बदल सकता है सरकारी दफ्तरों का समय, क्या प्रदूषण होगा कम; उठे सवाल
दिल्ली में बदल सकता है सरकारी दफ्तरों का समय, क्या प्रदूषण होगा कम; उठे सवाल

नई दिल्ली, जेएनएन। सर्दियों में फसल अवशेष जलने के दौरान वायु प्रदूषण और ट्रैफिक जाम में कमी लाने के लिए दफ्तरों का समय बदलने की मंशा से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को विश्व संसाधन संस्थान (डब्ल्यूआरआइ) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) ओपी अग्रवाल से मुलाकात की। अग्रवाल परिवहन और शहरी नीतियों से जुड़े मामलों के विशेषज्ञ हैं। पूर्व आइएएस ओपी अग्रवाल भारत सरकार में अर्बन ट्रांसपोर्ट डिवीजन के प्रमुख रह चुके हैं।

मुख्यमंत्री ने ओपी अग्रवाल से अनुरोध किया कि वह सरकारी विभागों में दफ्तरों के समय में बदलाव को लेकर विस्तृत योजना तैयार करें। मुख्यमंत्री ने उनसे पूछा कि किस तरह दिल्ली सरकार शहर में प्रदूषण और जाम की समस्या से राहत के लिए दफ्तरों का समय लचीला बनाने की योजना को प्रभावी तरीके से लागू कर सकती है। मुख्यमंत्री ने इच्छा जताई कि इस योजना में औद्योगिक संगठनों को भी शामिल किया जाए। ताकि, वे भी अपने यहां दफ्तरों के समय में बदलाव की योजना को लागू कर सकें।

मुख्यमंत्री ने कहा, दफ्तर आने जाने में बहुत से लोग रोजाना अपने वाहन का इस्तेमाल करते हैं। इससे दिल्ली के कई स्थानों पर जाम लग जाता है। वह ऐसी जगहों और मार्गो को चिह्न्ति कर इन मार्गो पर यात्रा करने वालों के लिए दफ्तर के समय में बदलाव की की संभावनाएं तलाशेंगे।

दिल्ली में वायु प्रदूषण कम करने की दिशा में राज्य सरकार ने अनेक प्रभावी कदम उठाए हैं। चार नवंबर से 15 नवंबर के बीच ऑड-इवेन लागू किया जाएगा। प्रदूषण कम करने के लिए सात ¨बदुओं वाले पराली पॉल्यूशन एक्शन प्लान को लागू किया जा रहा है। दिवाली पर एक मेगा लेजर शो का आयोजन किया जाएगा, ताकि लोगों को बिना पटाखे के त्योहार मनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। इस दौरान लोगों को मुफ्त में मास्क भी बांटे जाएंगे। प्रदूषण के लिहाज से बेहद गंभीर 12 स्थानों के लिए भी अलग से कार्ययोजना लागू की जा रही है।

उधर, यातायात नियमों में बदलाव के बाद जुर्माना बढ़ने से लोग वाहनों की प्रदूषण जांच कराने लगे हैं। राजधानी में एक सितंबर से लेकर 30 सितंबर तक 14 लाख 37 हजार 924 वाहनों की जांच के बाद प्रदूषण प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं। सितंबर से पहले यह संख्या करीब साढ़े चार लाख प्रतिमाह होती थी। वहीं सितंबर में मात्र छह दिन ऐसे रहे हैं, जब राजधानी में 40 हजार से कम वाहनों को प्रदूषण जांच प्रमाण पत्र जारी किए गए, जबकि 13 दिन ऐसे थे, जब 50 हजार से अधिक वाहनों को प्रदूषण जांच प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं।

परिवहन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक एक सितंबर से वाहनों के प्रदूषण की जांच कराने वाले लोगों की भीड़ जांच केंद्रों पर आनी शुरू हो गई।

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