PM मोदी ने उठाया कच्‍ची कॉलोनियाें का मामला, मालिकाना हक पर कहा- यह न्‍यू इंडिया की सोच

पीएम मोदी ने झुग्‍गी झोंपड़ी का मामला उठाया है। उन्‍होंने कहा कि दिल्ली में 1700 से ज्यादा कॉलोनियों में रहने वाले लोगों को दशकों तक उनके घरों का मालिकाना हक नहीं मिला था।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Tue, 28 Jan 2020 09:13 PM (IST) Updated:Wed, 29 Jan 2020 07:32 AM (IST)
PM मोदी ने उठाया कच्‍ची कॉलोनियाें का मामला, मालिकाना हक पर कहा- यह न्‍यू इंडिया की सोच
PM मोदी ने उठाया कच्‍ची कॉलोनियाें का मामला, मालिकाना हक पर कहा- यह न्‍यू इंडिया की सोच

नई दिल्‍ली, ऑनलाइन डेस्‍क। दिल्‍ली में चुनावी माहौल में शाहीन बाग के प्रदर्शन की काफी चर्चा हो रही है। हर पार्टी इसे उठा रहा है। अब इसके बाद पीएम मोदी ने झुग्‍गी झोंपड़ी का मामला उठाया है। उन्‍होंने कहा कि दिल्ली में 1700 से ज्यादा कॉलोनियों में रहने वाले लोगों को दशकों तक उनके घरों का मालिकाना हक नहीं मिला था। यह न्यू इंडिया की सोच है, जिसने दिल्ली के 40 लाख लोगों के जीवन से उनकी सबसे बड़ी चिंता को दूर कर दिया है। हमारी सरकार के फैसले का लाभ हर धर्म, हर जाति के लोगों को होगा।

दिल्‍ली की झुग्‍गी झोंपड़ी में आबादी का एक बड़ा तबका रहता है। इसलिए भाजपा इसे उठा रही है। अनुमान के मुताबिक 40 लाख लोगों को खुश करने के लिए भाजपा ने मालिकाना हक देने का मुद्दा एक बार फिर चुनावी हवा में उठाया है।

इधर, भाजपा नेता और अखिल भारतीय सफाई मजदूर संघ के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष संजय गहलोत सोमवार को समर्थकों के साथ आप में शामिल हो गए। पार्टी मुख्यालय में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उन्हें टोपी व पटका पहना कर पार्टी की सदस्यता दिलाई। मुख्यमंत्री ने भरोसा दिया कि सरकार बनने पर वह सफाई कर्मियों को पक्का करने के लिए एमसीडी पर दबाव बनाएंगे। पार्टी मुख्यालय में उन्होंने कहा कि संजय गहलोत ने सफाई कर्मियों के लिए खूब संघर्ष किया। इन्हें समझ में आ गया कि दिल्ली सरकार का गलती नहीं है। तब आप में शामिल होकर उनके लिए संघर्ष का फैसला लिया।

बता दें कि दिल्ली में सियासी घमासान चरम पर है। सभी दल अपने अपने वादों, दावों को लेकर जनता के बीच जा रहे हैं। अब यह मतदाताओं के ऊपर है कि वो किसे चुनते हैं इस पर गजल गायक शकील अहमद ने कहा कि यहां मैं कहना चाहूंगा कि मतदाताओं को प्रत्याशियों के चयन को लेकर बेहद सजग होना चाहिए क्योंकि यह पांच साल के लिए लिया गया फैसला है। इसलिए जब भी प्रत्याशी चुनें, ऐसा चुनें जो इलाके की समस्याओं से भलीभांति परिचित हो। वो इलाके की समस्याओं को तय समयसीमा में सुलझाए। मतदाताओं को मतदान वाले दिन किसी तरह के आलस्य में न पड़ें और सुबह-सुबह जाकर मतदान करें। 

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