CG Election 2018: हर पग पर जांच रहे थे सड़क, तब आगे बढ़ रहा था फोर्स का कारवां

नक्सली घटनाओं के लिहाज से सुरक्षित माने जाने वाले केशकाल घाट में भी सतर्कता बरती जा रही है।

By Sandeep ChoureyEdited By: Publish:Thu, 15 Nov 2018 10:01 AM (IST) Updated:Thu, 15 Nov 2018 10:01 AM (IST)
CG Election 2018: हर पग पर जांच रहे थे सड़क, तब आगे बढ़ रहा था फोर्स का कारवां
CG Election 2018: हर पग पर जांच रहे थे सड़क, तब आगे बढ़ रहा था फोर्स का कारवां

नारायणपुर । बस्तर का मिजाज अलग, व्यवस्थाएं अलग। इलाका नक्सल है इसलिए सरकारी नियम-कायदे भी अलग। यहां लोकतंत्र के महायज्ञ यानी चुनावों में मतदान खत्म होने के 50-60 घंटे बाद तक 'मिशन सक्सेस' खत्म नहीं होता। ईवीएम, वीवीपैट मशीनों, मतदान दलों व बाहर से आई फोर्स की सुरक्षित वापसी के बाद ही इस महायज्ञ की पूर्णाहुति होती है। इस मोर्चे पर जान गंवाने के बाद भी फोर्स अपना हौसला नहीं खोती। जंगल, पहाड़, नदी-नाले जैसे दुर्गम रास्तों से कई किलोमीटर पैदल तय कर यह जंग जीती जाती है।

नारायणपुर जिले में चुनाव कराने के लिए बाहर से आई 55 कंपनियों को दो हजार स्थानीय जवानों की सुरक्षा में कोंडागांव तक भेजा गया था। ओरछा और सोनपुर से लेकर कोडागांव तक सड़क किनारे चप्पे-चप्पे पर जवान तैनात थे। मंगलवार शाम साढ़े चार बजे तक सभी कंपनियों को सुरक्षित बाहर निकाला गया। पूरी रात पुलिस के जवान सड़कों पर नजरें गड़ाए रहे। बुधवार सुबह बम निरोधक दस्तों ने सड़कों की बारीकी से जांच की। सुरक्षाबल के जवानों ने हर पुल-पुलिया के नीचे तक जांच की।

वापस लौटते अर्द्धसैनिक बलों के जवानों को सुरक्षा देते हुए सकुशल लौटाने की जवाबदेही पुलिस के आला अफसरों ने संभाल रखी है। एनएच समेत जिला मुख्यालयों को जोड़ने वाली सड़कों को क्लीयर करने के लिए रोड ओपनिंग पार्टियां लगाई गई हैं। सड़कों के किनारे मेटल डिटेक्टर लेकर बम निरोधक दस्तों के जवान सतर्क हैं।

नक्सली घटनाओं के लिहाज से सुरक्षित माने जाने वाले केशकाल घाट में भी सतर्कता बरती जा रही है। इसके बाद फोर्स की सुरक्षा में कंपनियों की रवानगी को हरी झंडी दिखाई गई।

बस और ट्रकों के जरिए जवानों को विशेष नारायणपुर

सोमवार को मतदान के बाद वापसी के दौरान बुधवार को जंगल से गुजरती फोर्स। सड़कों को क्लीयर करने के लिए लगाई गईं रोड ओपनिंग पार्टियां हर पग पर जांच रहे थे सड़क, तब आगे बढ़ रहा था फोर्स का कारवां बस्तर की विषम भौगोलिक परिस्थितियों में चुनाव कराना कितना कठिन होता है, इसकी बानगी देखिए।

अतिसंवेदनशील कोयलीबेड़ा के जिरामतराई, संबलपुर, पानीडोबिर, गुड़बेड़ा, हुरतरई व गट्टाकाल मतदान केंद्रों में चुनाव कराने पहुंचा मतदान कर्मियों का 19 सदस्यीय दल सोमवार को मतदान खत्म होने के 42 घंटे बाद हेलीकॉप्टर से बुधवार सुबह कांकेर पहुंच सका। इस दौरान यह दल बेहद कठिन भौगोलिक स्थितियों में आठ किलोमीटर पैदल भी चला। बस्तर संभाग में चुनाव करवाने के लिए बीएसएफ, आइटीबीपी, सीआइएसएफ, मिजो व नागा बटालियन समेत हरियाणा, पंजाब, ओडिशा व तमिलनाडु पुलिस की 400 कंपनियां आई थीं।

सोमवार को वोटिंग के बाद मतदान दलों की वापसी का सिलसिला बुधवार को भी जारी रहा। गुरुवार से इन कंपनियों के वापस मूल प्रदेशों में लौटने का सिलसिला भी शुरू हो जाएगा।

बस्तर में मतदान के बाद 50 से 60 घंटों तक चलता रहता है मिशन सक्सेस मतदान के 42 घंटे बाद कांकेर पहुंचा मतदान दल सुरक्षा घेरे में लेकर रवाना किया गया। सुरक्षा के चलते फोर्स को अंतागढ़ मार्ग से नहीं भेजा गया। हालांकि इतनी सुरक्षा के बावजूद भी बुधवार को नक्सलियों ने जवानों को ले जा रहे ट्रक को आइईडी से उड़ा दिया।

तीन सीटों पर और बढ़ा मतदान प्रतिशत

रायपुर। बस्तर संभाग और राजनांदगांव जिले की 18 में से तीन सीट के मतदान प्रतिशत में बुधवार को आंशिक वृद्धि हुई। भानुप्रतापपुर में 76.77 की बजाय 77.25, डोंगरगांव में 85.15 फीसद की बजाय 85.81 व मोहला में 80 की बजाय 80.06 फीसद मतदान दर्ज किया गया।

यह आंकडे संबंधित जिला निर्वाचन कार्यालयों द्वारा अपडेट किए गए हैं। इधर, मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय ने अंतिम घोषणा नहीं की है। सुरक्षा कारणों के चलते कुछ दल कैंप तक नहीं पहुंचे। उनके आने के बाद ही अंतिम परिणाम जारी किए जाएंगे।

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