Bihar, Rajpur Election 2020: राजपुर में दांव पर लगी परिवहन मंत्री की साख, इस सीट पर यूपी की राजनीति का भी असर

Bihar Assembly Election 2020 बिहार के राजपुर विधासभा क्षेत्र से परिवहन मंत्री संतोष निराला दो बार से जीतते रहे हैं। इस बार वे हैट्रिक लगाएंगे या नहीं यह देखना है। यूपी की सीमा से सटे इस विधानसभा क्षेत्र पर यूपी की राजनीति का भी असर दिखता रहा है।

By Amit AlokEdited By: Publish:Wed, 14 Oct 2020 08:35 AM (IST) Updated:Wed, 14 Oct 2020 08:35 AM (IST)
Bihar, Rajpur Election 2020: राजपुर में दांव पर लगी परिवहन मंत्री की साख, इस सीट पर यूपी की राजनीति का भी असर
मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार के साथ परिवहन मंत्री संतोष निराला। फाइल तस्‍वीर।

बक्सर, कंचन किशोर। Bihar Assembly Election 2020: लगातार दो बार से जीत रहे राज्य के परिवहन मंत्री संतोष निराला (Santosh Nirala) एक बार फिर राजपुर सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र (Rajpur Assembly Seat) से जनता दल यूनाइटेड (JDU) के उम्मीदवार हैं। महागठबंधन (Mahagathbandhan) में यह सीट कांग्रेस (Congres) के पास है। पार्टी ने पिछले चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के प्रत्याशी रहे विश्वनाथ राम (Vishwanath Ram) को पाले में लाकर अपना उम्मीदवार बनाया है। पिछले चुनाव में जेडीयू महागठबंधन (Grand Alliance) में था। तब संतोष निराला लगभग 47 फीसद वोट पाकर विजयी हुए थे। यहां लगातार तीन बार से जेडीयू की जीत हो रही है। पिछले दो चुनाव में लगातार संतोष निराला जीते हैं। इस बार पार्टी उनसे हैट्रिक की उम्मीद लगाए बैठी है। इस सीट पर सीमावर्ती उत्‍तर प्रदेश (UP) की राजनीति का भी असर पड़ता रहा है।

तीन बार से निशाने पर लग रहा जेडीयू का तीर

वहीं बीजेपी से कांग्रेस में आए विश्वनाथ राम के पास विचारधारा के असमंजस से उबरते हुए कांग्रेस के बिखरे जनाधार को समेटने की जिम्मेदारी होगी। बहुजन समाज पार्टी (BSP) के साथ इस बार राष्‍ट्रीय लोक समता पार्टी (RLSP) का समीकरण है। यहां कभी बीजेपी की लहर चली तो कभी वाम दलों ने सिक्का जमाया। उत्‍तर प्रदेश से सटे होने के कारण मायावती (Mayawati) का भी थोड़ा प्रभाव रहा है। पांच साल हाथी का जलवा भी दिखा। पिछले तीन चुनावों से यहां जेडीयू का तीर निशाने पर लग रहा है।  

नवानगर को समाप्त कर बनी राजपुर सीट

1977 में नवानगर विधानसभा क्षेत्र को समाप्त कर राजपुर सुरक्षित क्षेत्र अस्तित्व में आया। तब 1977 की लहर में जनता पार्टी से नंदकिशोर प्रसाद ने यहां से बाजी मारी। इसके बाद 1980 में कांग्रेस से चतुरी राम यहां के विधायक बने। बाद के दो चुनावों में राजपुर भगवामय रहा। बीजेपी से रामनारायण राम ने 1985 और 1990 का चुनाव जीता। तब तक यूपी में मायावती एक ताकतवर चेहरा बन चुकी थीं। उनका समीकरण यूपी से सटे इस क्षेत्र में गहरी छाप छोडऩे लगा। यही वजह रही कि 1995 से लेकर 2005 के मध्यावधि चुनाव तक हुए चार चुनावों में बीएसपी या तो पहले स्थान पर रही या दूसरे। तब तक पहला चुनाव जीतने वाली कांग्रेस हाशिए पर जा चुकी थी और लगातार उसकी जमानत जब्त होने लगी।

यूपी की राजनीति का राजपुर में पड़ा असर

 2010 के चुनाव से यूपी में मायावती के कमजोर पडऩे और राज्य में राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के मजबूत होने का असर क्षेत्र की राजनीति पर भी पड़ा। 2000 में यहां से चुनाव जीतने के बाद 2005 में पार्टी दूसरे स्थान पर रही। उसके बाद से लगातार पिछड़ती चली गई। वहीं, 2005 के फरवरी के चुनाव में चुनाव जीतने वाली भारतीय कम्‍युनिस्‍ट पार्टी माले का भी आधार वोट बिखर गया। दरअसल, तब वाम दल से विधायक बनीं श्यामप्यारी देवी ने उसी साल हुए आठ महीने बाद मध्यावधि चुनाव में जेडीयू का तीर थाम लिया और पार्टी को यहां से पहली जीत दिलाई।

राजपुर से अबतक रहे विधायक

वर्ष               नाम                            पार्टी

1977           नंद किशोर प्रसाद           जनता पार्टी    

1980           चतुरी राम                     कांग्रेस

1985/90      रामनारायण राम            बीजेपी भाजपा

2000           छेदी लाल राम               बीएसपी

2005 फर.    श्यामप्यारी देवी             भाकपा माले

2005 अक्टू   श्यामप्यारी देवी             जेडीयू

2010/15      संतोष निराला                जेडीयू

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