दंगों की आग नहीं जला सकी परीक्षार्थियों का मुस्तकबिल

शुजाउद्दीन पूर्वी दिल्ली उत्तर-पूर्वी जिले में एनआरसी और सीएए के मुद्दे को लेकर भड़की आग

By JagranEdited By: Publish:Mon, 13 Jul 2020 09:57 PM (IST) Updated:Mon, 13 Jul 2020 09:57 PM (IST)
दंगों की आग नहीं जला सकी परीक्षार्थियों का मुस्तकबिल
दंगों की आग नहीं जला सकी परीक्षार्थियों का मुस्तकबिल

शुजाउद्दीन, पूर्वी दिल्ली : उत्तर-पूर्वी जिले में एनआरसी और सीएए के मुद्दे को लेकर भड़की आग देखते ही देखते कब सांप्रदायिकता में तब्दील हो गई किसी को पता ही नहीं चला। भले ही इस दंगे ने सैकड़ों मकानों व दुकानों को जला दिया हो, लेकिन 12वीं कक्षा के परीक्षार्थियों के मुस्तकबिल को न जला सकी। इसकी बानगी दंगा प्रभावित इलाकों के कई स्कूल हैं, जिन्होंने 100 फीसद परिणाम देकर सांप्रदायिकता का जहर फैलाने वालों के मुंह पर तमाचा मारा है।

ब्रजपुरी रोड पर बने कांग्रेस के पूर्व विधायक भीष्म शर्मा के अरुण मॉर्डन पब्लिक सीनियर सेकेंडरी स्कूल को दंगे में जलाकर राख कर दिया था,इसके बावजूद स्कूल के विद्यार्थियों ने 90 फीसद परिणाम दिया है। परीक्षार्थियों ने साबित कर दिखाया कि किताबें तो जलाई जा सकती है , लेकिन उनके दिमाग में सुरक्षित हुए अक्षरों को मिटाया नहीं जा सकता । वहीं शिवाजी पार्क के लिटिल फ्लावर पब्लिक स्कूल ने भी 100 फीसद परिणाम दिया। पिता बेचते हैं सब्जी, बेटी ने जीता दिल यमुना विहार में ठेले पर सब्जी बेचने वाले मनोहर लाल की बेटी मोनी ने 12वीं कक्षा में 96.4 फीसद नंबर लाकर सबका दिल जीत लिया है। मोनी अपने परिवार के साथ दंगा प्रभावित इलाका चांद बाग में रहती हैं। वह राजकीय कन्या विद्यालय बी-2 की छात्रा हैं। 12वीं की पहली परीक्षा दंगों के समय दी, दंगों में जो कुछ देखा उसे देख कलेजा मुंह को आ गया। बच्ची का जीवन बर्बाद न हो जाए, पिता ने मोनी को अपनी जान पर खेलकर संगम विहार में रहने वाली उसकी बुआ के घर पहुंचाया। मोनी ने कहा कि वह उस दर्दनाक मंजर को कभी नहीं भूल सकती, जीवन में पहली बार उस खौफनाक मंजर को देखा। वो भी उस वक्त में जब उनके जीवन का अहम पड़ाव था। उन्होंने कहा कि उन्होंने दंगों के असर को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया और मेहनत करती रहीं। जिसका फल मिला। मोनी ने बताया कि वह शिक्षक बनना चाहती है।

chat bot
आपका साथी