20 सेकेंड से अधिक हो लालबत्ती तो बंद कर दें गाड़ी का इंजन

जागरण संवाददाता, दक्षिणी दिल्ली : पेट्रोलियम मंत्रालय के पेट्रोलियम संरक्षण एवं अनुसंधान विभाग (पी

By JagranEdited By: Publish:Thu, 20 Sep 2018 11:11 PM (IST) Updated:Thu, 20 Sep 2018 11:11 PM (IST)
20 सेकेंड से अधिक हो लालबत्ती तो बंद कर दें गाड़ी का इंजन
20 सेकेंड से अधिक हो लालबत्ती तो बंद कर दें गाड़ी का इंजन

जागरण संवाददाता, दक्षिणी दिल्ली :

पेट्रोलियम मंत्रालय के पेट्रोलियम संरक्षण एवं अनुसंधान विभाग (पीसीआरए) ने बृहस्पतिवार को सादिक नगर में ईधन एवं पर्यावरण संरक्षण कार्यक्रम आयोजित किया। इसमें तेल संरक्षण के राष्ट्रीय अभियान बनाने का संकल्प लिया गया। इस अभियान में आम लोगों से ट्रैफिक की लालबत्ती पर अपने वाहनों के इंजन बंद कर देने की अपील की जाएगी, ताकि पेट्रोलियम संरक्षण और क्लोरो-फ्लोरो कार्बन (सीएफसी) गैसों के उत्सर्जन में कमी लाई जा सके।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीसीआरए के निदेशक आलोक त्रिपाठी ने कहा कि पिछले वर्ष यह अभियान 'सक्षम' नाम से चलाया गया था जिसका अर्थ है, संरक्षण, क्षमता, महोत्सव। वर्ष 2016-17 में केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (सीआरआरआइ) के साथ संयुक्त रूप से चलाए गए इस अभियान में दिल्ली के भीकाजी कामा प्लेस के निकट चौराहे पर लोगों से लालबत्ती पर इंजन बंद करने की अपील की गई थी। सात दिन चले इस अभियान का निरीक्षण सीआरआरआइ ने किया था, जिसमें अभियान के पहले, अभियान के दौरान और अभियान के बाद के असर का आकलन किया गया था। इसके नतीजों क्रमश: 20 प्रतिशत, 62 प्रतिशत और 52 प्रतिशत के साथ यह अभियान सफल रहा था। इस बार के अभियान को और बड़े स्तर पर चलाने का लक्ष्य है। दिल्ली ट्रैफिक पुलिस की मदद से शहर के 100 चौराहों पर अभियान चलाया जाएगा। उन्होंने बताया कि यह अभियान सफल होता है तो एक साल में ढाई सौ करोड़ रुपयों की बचत होगी।

मुख्य अतिथि सीआरआरआइ के निदेशक प्रोफेसर सतीश चंद्रा ने बताया के वे दिल्ली ट्रैफिक पुलिस के साथ मिलकर रेडलाइट के अलाइनमेंट व इनकी स्थिति में परिवर्तन लाएंगे, ताकि वाहन चालकों को दूर से ही सिग्नल दिख जाए और वे इंजन बंद कर दें। वहीं, दक्षिणी दिल्ली के डीसीपी (ट्रैफिक) ईश ¨सघल ने लोगों से लालबत्ती पर इंजन ऑफ करने को अपनी आदत बनाने की अपील की। उन्होंने कहा कि अभियान चलते हैं तो उनका असर भी देखने को मिल ही जाता है, लेकिन लोग इसे अपने व्यक्तित्व का हिस्सा बना लें तो इस तरह के अभियान की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।

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