उठे सवाल, दिल्ली के मुख्य सचिव और अफसरों से कब माफी मांगेंगे CM केजरीवाल
इसके बाद से अब यह बात उठने लगी है क वह दिल्ली के अधिकारियों से कब माफी मागेंगे।
नई दिल्ली [ जेएनएन ]। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पंजाब सरकार के पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया पर लगाए गए आरोपों पर तो माफी मांग ली है। इसके बाद से अब यह बात उठने लगी है क वह दिल्ली के अधिकारियों से कब माफी मागेंगे। अधिकारी अपनी इसी मांग को लेकर पिछली 20 फरवरी से टकराव की स्थिति में हैं। अधिकारी मांग कर रहे हैं कि मुख्य सचिव के साथ मारपीट मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया लिखित में माफी मांगें।
अधिकारियों ने साफ किया हुआ है कि जब तक दोनों नेता माफी नहीं मांगेंगे, दिल्ली का कोई भी अधिकारी मंत्रियों के साथ होनी वाली बैठकों में भाग नहीं लेगा। इसका अधिकारी कड़ाई से पालन कर रहे हैं। यहां तक कि मंत्रियों के फोन भी नहीं उठा रहे हैं। केवल बजट और कैबिनेट बैठकों में ही शामिल होने के लिए अधिकारियों को छूट दी गई है। इससे दिल्ली सरकार की तमाम बैठकें निरस्त हो चुकी हैं। सरकार का कामकाज बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।
तीन साल गुजर जाने के बाद दिल्ली में विकास कार्य नहीं होने की चिंता सरकार को सता तो रही है मगर उनके व्यवहार मेें बदलाव नहीं है। सरकार झुकने को तैयार नहीं दिख रही है। सरकार इस मामले को सुलझाने के लिए आगे आती नहीें दिख रही है। उल्टे गत दिनों उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ऐसे अधिकारियों पर कार्रवाई के लिए उपराज्यपाल को पत्र लिख चुके हैं जो अधिकारी उनकी बैठकों में शामिल नहीें हो रहे हैं।
वहीं मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी इस मामले में गत दिनों बयान दे चुके हैं कि उनके निवास पर मुख्य सचिव के साथ मारपीट नहीं हुई है। ज्वाइंट फोरम से टूट कर उनके निवास पर गए डी एन सिंह और उनके साथियों के सामने मुख्यमंत्री ने बयान दिया था कि मैं जिद्दी हो सकता हूं, मगर कायर नहीं हो सकता है। उनका कहना था कि मारपीट कायर कहते हैं।
जब मुख्यमंत्री के सलाहकार रहे वी के जैन बयान दे चुके हैं कि मुख्यमंत्री निवास पर मुख्य सचिव के साथ 19 फरवरी को मारपीट हुई थी। उस समय केजरीवाल व मनीष सिसोदिया वहीं मौजूद थे। अधिकारी इसी बात को लेकर अधिक नाराज हैं कि मुख्यमंत्री माफी नहीं मांग रहे हैं और उनका आरोप है कि वे झूठ बोल रहे हैं।
बिक्रम सिंह मजीठिया के मामले में केजरीवाल के रुख सामने आने के बाद दिल्ली सरकार में यह मामला चर्चा का विषय बन गया है। सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रहे अधिकारियों को इस बात की भी चर्चा है कि शायद मुख्यमंत्री अपनी गलती स्वीकारते हुए माफी मांगें।