नोएडा-ग्रेटर नोएडा मेट्रो में आसान नहीं होगा सफर, पैदल भी चलना पड़ेगा

एक्वा लाइन मेट्रो रूट पर यात्रा करने के दौरान आपको तकरीबन आधा किलोमीटर (500 मीटर) तक पैदल चलना पड़ेगा। दोनों के टोकन व यात्रा कार्ड भी अलग होंगे।

By Amit SinghEdited By: Publish:Tue, 28 Aug 2018 01:03 PM (IST) Updated:Tue, 28 Aug 2018 01:03 PM (IST)
नोएडा-ग्रेटर नोएडा मेट्रो में आसान नहीं होगा सफर, पैदल भी चलना पड़ेगा
नोएडा-ग्रेटर नोएडा मेट्रो में आसान नहीं होगा सफर, पैदल भी चलना पड़ेगा

नई दिल्ली/नोएडा (जेएनएन)। नोएडा-ग्रेटर नोएडा के बीच एक्वा लाइन मेट्रो के शुरू होने का इंतजार कर रहे लोगों को इसका संचालन शुरू होने पर मायूषी हाथ लग सकती है। लोगों के लिए इस रूट पर सफर करना बहुत आसान नहीं होगा। खास तौर पर ग्रेटर नोएडा से दिल्ली या गुड़गांव जाने वालों के परेशानी का सामना करना पड़ेगा। इस रूट पर यात्रा करने के दौरान आपको तकरीबन आधा किलोमीटर (500 मीटर) तक पैदल भी चलना पड़ सकता है।

नोएडा मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (एनएमआरसी) ने 29.7 किमी के इस पूरे रूट पर 20 अगस्त 2018 को ट्रायल रन शुरू किया है। करीब दो माह तक ट्रायल रन करने के बाद अक्टूबर 2018 से इसका संचालन शुरू होने की उम्मीद है। नोएडा-ग्रेटर नोएडा के लोग लंबे समय से इस मेट्रो के चलने का इंतजार कर रहे हैं। लोगों को उम्मीद है कि मेट्रो शुरू होने से उनका सफर आसान हो जाएगा। हालांकि संचालन शुरू होने से पहले ही इस रूट पर सफर की चुनौतियां सामने आने लगी हैं।

दिल्ली मेट्रो से नहीं होगा कोई तालमेल

नोएडा-ग्रेटर नोएडा मेट्रो का निर्माण एनएमआरसी के अंडर में दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) की टीम करा रही है। शुरुआती वर्षों में इस रूट पर ट्रेनों का संचालन और रख-रखाव भी डीएमआरसी द्वारा किया जाएगा। डीएमआरसी ही इस रूट के लिए कर्मचारियों की भर्ती और उनके प्रशिक्षण का भी काम देख रही है। बावजूद दिल्ली मेट्रो और नोएडा मेट्रो के संचालन में कोई तालमेल नहीं होगा।

 

टोकन और कार्ड भी अलग होगा

दिल्ली मेट्रो की ब्लू लाइन और नोएडा मेट्रो की एक्वा लाइन में सफर करने के लिए आपको अलग-अलग टोकन या यात्रा कार्ड रखना होगा। दोनों मेट्रो के टोकन और कार्ड एक-दूसरे के रूट पर मान्य नहीं होंगे। निकट भविष्य में भी दोनों रूट के टोकन व कार्ड में समायोजन की कोई योजना नहीं है। दरअसल दोनों मेट्रो का टिकटिंग सिस्टम भी पूरी तरह से अलग है। दिल्ली मेट्रो में सफर के लिए जहां आपको टोकन लेना पड़ता है, वहीं नोएडा मेट्रो में सफर के लिए क्यूआर कोड वाले पेपर टिकट का प्रयोग करने की योजना है।

ट्रेन बदले के लिए चलना होगा पैदल

ब्लू लाइन और एक्वा लाइन मेट्रो कहने को नोएडा के सेक्टर-71 चौराहे पर जुड़ी हैं। हालांकि दोनों मेट्रो के स्टेशनों के बीच कोई स्काई वाक या फुट ओवर ब्रिज नहीं है। ऐसे में यात्रियों को दोनों रूट पर मेट्रो बदलने के लिए एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन तक पैदल चलकर जाना होगा। दोनों मेट्रो स्टेशन एलिवेटेड हैं। ऐसे में पहले एक मेट्रो स्टेशन से नीचे उतरना होगा। इसके बाद दूसरे मेट्रो स्टेशन पर चढना होगा। दोनों स्टेशन के बीच की दूरी तकरीबन आधा किलोमीटर (500 मीटर) है। ऐसे में महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को इस रूट पर सफर करने में खासी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

हादसों की रहेगी आशंका

मालूम हो कि सेक्टर-71 चौराहा मेट्रो का सबसे व्यस्त चौराहा है। यहां पूरे दिन वाहनों का दबाव बहुत ज्यादा रहता है। ऐसे में पैदल एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन जाने के दौरान हर वक्त हादसों का खतरा भी बना रहेगा।

चौराहे पर और बढ़ेगा जाम

दोनों स्टेशन के बीच दूरी ज्यादा होने की वजह से सभी यात्रियों के लिए पैदल एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन तक जाना संभव नहीं होगा। ऐसे में दोनों स्टेशन के बीच सवारी ले जाने के लिए चौराहे पर ऑटो और ई-रिक्शा आदि का दबाव बढ़ सकता है। इसके अलावा दोनों स्टेशनों पर हर वक्त ऑटो और ई-रिक्शा आदि का भी जमावड़ा लगा रहेगा। अगर यात्री पैदल भी दोनों मेट्रो स्टेशन के बीच आते-जाते हैं तो भी इसका असर सड़क के यातायात पर पड़ेगा। ऐसे में चौराहे पर और जाम बढ़ना तय है।

प्राधिकरण को बनाना है स्काई वाक

एनएमआरसी के अधिकारियों का कहना है कि सेक्टर-71 चौराहे पर ब्लू लाइन और एक्वा लाइन मेट्रो को जोड़ने के लिए स्काई वाक का निर्माण नोएडा प्राधिकरण को कराना है। दोनों स्टेशनों के बीच की जगह भी प्राधिकरण की ही है। हालांकि अब तक नोएडा प्राधिकरण ने स्काई वाक बनाने की दिशा में कोई प्रयास शुरू नहीं किया है। इस संबंध में एनआरसी और नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों के बीच कोई वार्ता नहीं हुई है। ऐसे में फिलहाल दोनों स्टेशनों को स्काई वाक से जोड़ने की कोई योजना नहीं है। योजना बनने के बाद भी इसे मूर्त रूप देने में लगभग ढाई साल का वक्त लगेगा।

 

सिटी बसों जैसा न हो जाए हाल

एक्वा लाइन मेट्रो में सफर की दुश्वारियों को देख कुछ लोग आशंका जताने लगे हैं कि कहीं इस लाइन की मेट्रो का हाल एनएमआरसी की सिटी बसों जैसा न हो जाए। मालूम हो कि एनएमआरसी सिटी बसों के तौर पर 50 लो फ्लोर एसी बसों का संचालन भी कर रहा है। डीटीसी व प्राइवेट बसों के मुकावले इनका किराया महंगा होने और सही संचालन न होने की वजह से सिटी बसें शुरू से ही घाटे में चल रहीं हैं। इस वजह से इनकी संख्या में बढ़ोतरी भी नहीं की गई है।

एक्वा लाइन पर 'वन सिटी, वन कार्ड' की योजना

एनएमआरसी के एग्जिक्युटिव डायरेक्टर पीडी उपाध्याय के अनुसार एक्वा लाइन मेट्रो के यात्रा कार्ड का इस्तेमाल टैक्सी, बस, मॉल और ऑनलाइन शॉपिंग आदि के लिए भी किया जा सकेगा। एनएमआरसी 'वन सिटी, वन कार्ड’ के कॉन्सेप्ट पर काम कर रही है। नागपुर और कोच्चि मेट्रो में भी इसी तरह की व्यवस्था है।

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