30 बेगुनाह लोगों का कातिल है IM आतंकी आरिज, फिर चर्चा में आए कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह

19 सितंबर, 2008 को यह ऑपरेशन इंडियन मुजाहिद्दीन के आतंकियों के खिलाफ चलाया गया था, जिसमें दो आतंकी मारे गए थे।

By JP YadavEdited By: Publish:Thu, 15 Feb 2018 02:05 PM (IST) Updated:Fri, 16 Feb 2018 07:48 PM (IST)
30 बेगुनाह लोगों का कातिल है IM आतंकी आरिज, फिर चर्चा में आए कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह
30 बेगुनाह लोगों का कातिल है IM आतंकी आरिज, फिर चर्चा में आए कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह

नई दिल्ली (जेएनएन)। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल द्वारा गिरफ्तार इंडियन मुजाहिद्दीन (IM) के आतंकी आरिज खान उर्फ जुनैद की गिरफ्तारी से 30 लोगों के परिवारों को न्याय की उम्मीद बंधी है। पुलिस जांच में सामने आया है कि 13 सितंबर 2008 में दिल्ली में हुए सीरियल ब्लास्ट में आरिज खान ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी।

यहां पर बता दें कि करोलबाग, कनॉट प्लेस, ग्रेटर कैलाश में हुए बम धमाके में 30 लोग मारे गए थे और 100 से अधिक लोग घायल हो गए थे। कनॉट प्लेस के रीगल सिनेमा हॉल, इंडिया गेट व संसद मार्ग से चार बमों को पुलिस ने फटने से पहले बरामद कर डिफ्यूज कर दिया था। वहीं, ग्रेटर कैलाश के एम ब्लाक मार्केट स्थित पार्क में आरिज ने ही बम रखा था।

रेकी कर आतंकियों ने दिया था सीरियल ब्लास्ट का अंजाम

आइएम के आतंकी मोहम्मद सैफ व खालिद उर्फ कोडी कर्नाटक के उडुपी से विस्फोटक लेकर दिल्ली आए थे। दिल्ली में उन्हें आरिज ने आतिफ अमीन के साथ मिलकर रिसीव किया था। आरिज व साजिद ने लाजपत राय मार्केट समेत विभिन्न बाजारों से विस्फोटक सामान खरीदा था। उसके बाद सभी ने बम तैयार कर पहले कई दिनों तक बम प्लांट करने के लिए रेकी की थी फिर 13 सितंबर को सीरियल धमाके की घटना को अंजाम दिया था।

दिग्विजय सिंह ने एनकाउंटर को बताया था फर्जी

वर्ष 2008 में हुए बटला हाउस एनकाउंटर केस में कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह ने यह कहकर हलचल मचा दी थी कि 'एनकाउंटर फर्जी है'। इतना ही नहीं, काफी हो-हल्ला मचने के बाद भी दिग्विजय अपनी बात पर अड़े रहे और कहा था कि 'बटला हाउस एनकाउंटर फर्जी है। मैं बीजेपी को इसकी न्यायिक जांच की चुनौती देता हूं। मैं अपने बयान पर अडिग हूं। मैं नहीं जानता कि बाबा साजिद या छोटा साजिद कौन है।'

कांग्रेस भी नहीं खड़ी हुई थी दिग्विजय के साथ

यह अलग बात है कि दिग्विजय के इस बयान से उनकी पार्टी कांग्रेस ने भी यह कहकर पीछा छुड़ा लिया था कि उनका अपना बयान है। उस समय पूर्व केंद्रीय मंत्री शिवराज पाटिल ने कहा था कि 2008 में हुआ बटला हाउस एनकाउंटर फर्जी नहीं था। इतना ही नहीं, केंद्र में सत्तासीन तत्कालीन यूपीए सरकार में गृह मंत्री पी चिदंबरम ने भी दिग्विजय के बयान से खुद को अलग कर लिया था।

ऐसे में अब आरिज खान उर्फ जुनैद की गिरफ्तारी के बाद बटला हाउस एनकाउंटर के फर्जी होने का विवाद खत्म होता नजर रहा है। जुनैद का नाम पहली बार तब सामने आया जब बटला हाउस एनकाउंटर में पकड़े गए आतंकी मोहम्मद सैफ और शहजाद अहमद से पूछताछ हुई थी। 

पढ़ें क्या था बटला हाउस एनकाउंटर केस

बटला हाउस एनकाउंटर 2008 में हुआ था। इसे आधिकारिक तौर पर ऑपरेशन बटला हाउस नाम दिया गया था। 19 सितंबर, 2008 को यह ऑपरेशन इंडियन मुजाहिद्दीन के आतंकियों के खिलाफ चलाया गया था, जिसमें दो  आतंकी मारे गए थे और दो को गिरफ्तार किया गया था। एनकाउंटर के दौरान दुखद बात यह रही है कि इस ऑपरेशन में पुलिस टीम की अगुवाई करने वाले इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा शहीद हो गए थे। दावा किया गया था कि जवानों पर गोलियां बरसाने वालों में गिरफ्तार आरिज खान उर्फ जुनैद भी शामिल था। उस एनकाउंटर में मोहम्मद आतिफ और मोहम्मद साजिद उर्फ पंकज मारे गए थे। आरिज खान और शहजाद उर्फ पप्पू भागने में कामयाब हो गए थे।  

आरिज खान बटला हाउस मुठभेड़ के बाद पहले तो एक महीने तक विभिन्न प्रदेशों में छिपता रहा। इसके बाद वह नेपाल भाग गया और अब्दुल सुभान कुरैशी उर्फ तौकीर (इंडियन मुजाहिद्दीन का सह संस्थापक) के साथ पहचान छिपाकर रहने लगा। कुछ साल बाद दोनों सऊदी अरब चले गए।

आइएम के पाकिस्तान में बैठे आकाओं इकबाल भटकल व रियाज भटकल ने दोनों को वापस भारत जाकर आइएम व सिमी को नए सिरे से संगठित करने के निर्देश दिए थे। इसक बाद दोनों पिछले साल मार्च से भारत आने-जाने लगे। इसी क्रम में सेल ने इस साल जनवरी में पहले कुरैशी और अब आरिज को दबोच लिया। आरिज आइएम के आजमगढ़ मॉड्यूल का सक्रिय आतंकी है।

बटला हाउस मुठभेड़ के बाद जब आरिज व कुरैशी के घरों पर पुलिस की छापेमारी शुरू हो गई, तब दोनों भारत में ही इधर-उधर भागते रहे। दोनों परिचितों व रिश्तेदारों के यहां छिपने के लिए गए, लेकिन किसी ने उन्हें शरण नहीं दी। एक महीने तक पुलिस से बचने के लिए दोनों ने देशभर में ट्रेनों व बसों में ही सफर कर समय बिताया।

इसके बाद दोनों नेपाल भाग गए। वहां एक ही जगह रहकर दोनों ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए नेपाल की नागरिकता प्राप्त कर ली। वहां एक युवक निजाम खान के सहयोग से उन्हें नेपाल में किराये पर घर मिल गया।

इसके कुछ माह बाद उन्होंने मतदाता पहचान पत्र व पासपोर्ट भी बनवा लिए। आरिज ने नेपाल की ही युवती से शादी भी कर ली थी। उसने पत्नी को बताया था कि एक विवाद में फंसने के कारण वह उसे पैतृक घर नहीं ले जा सकता है।

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