अब नहीं चेते तो गायब हो जाएगी गौरैया, खतरे में है कई पक्षियों का अस्तित्व

दिल्ली के वन एवं पर्यावरण मंत्री कहते हैं कि पक्षियों की होती कमी चिंता का विषय है। मगर इनके संरक्षण के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।

By Amit MishraEdited By: Publish:Mon, 20 Mar 2017 03:41 PM (IST) Updated:Mon, 20 Mar 2017 09:10 PM (IST)
अब नहीं चेते तो गायब हो जाएगी गौरैया, खतरे में है कई पक्षियों का अस्तित्व
अब नहीं चेते तो गायब हो जाएगी गौरैया, खतरे में है कई पक्षियों का अस्तित्व

नई दिल्ली [वीके शुक्ला]। दिल्ली में बढ़ रहा प्रदूषण, संचार साधनों का बेतहाशा उपयोग, इमारतों में तब्दील होते शहर के बीच पक्षियों का ख्याल शायद की किसी को है। देखते-देखते गौरैया सहित दुर्लभ पक्षी या तो लुप्त हो चुके है या फिर लुप्त होने के कगार पर हैं।

दिल्ली वन विभाग के आंकड़ो में यह बात सामने आई है कि दिल्ली में दुर्लभ पक्षियों की 5 प्रजातियां लुप्त हो चुकी हैं। सात प्रजातियां लुप्त होने की स्थिति में पहुंच गई हैं। विशेषज्ञों की मानें तो यदि यही हाल रहा तो आने वाले 10 सालों में गोरैया व बची हुई अन्य प्रजातियां भी लुप्त हो चुकी होंगी।

अनजान नहीं, लाचार है दिल्ली सरकार

इस समस्या से दिल्ली सरकार अनभिज्ञ ऐसा नहीं है, सरकार का कहना है कि हालात ऐसे हो चुके हैं कि इस क्षेत्र में सरकार के स्तर पर ही सभी कुछ संभव नहीं दिख रहा है। दिल्ली के वन एवं पर्यावरण मंत्री कहते हैं कि पक्षियों की होती कमी चिंता का विषय है। मगर इनके संरक्षण के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।

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गौरैया और अन्य पक्षियों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए दिल्ली सरकार असोला भाटी वन्य जीव अभयारण्य में कार्यक्रम का आयोजन करती है। इस दौरान नेचर वॉक का भी आयोजन होता है। राजधानी को प्रदूषण मुक्त बनाने एवं हरियाली को बढ़ाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। दिल्ली में 9 किलोमीटर वन क्षेत्र बढ़ाया गया है। वन क्षेत्रों में जलाशयों का विकास किया गया है। इस सब के पीछे का उद्देश्य पक्षियों को बचाना है।

पक्षियों के संरक्षण के लिए काम कर रहे फैयाज कुदसर कहते है कि पक्षी कैसे बचेंगे आज सबसे बड़ी चुनौती उनके भोजन और आवास को लेकर है। गौरैया जैसे छोटे पक्षियों के लिए न ही रहने की ठौर बची है और न ही उनके लिए भोजन की व्यवस्था है। खेत खलिहान नहीं हैं। संचार के साधनों का हो रहा बेतहाशा उपयोग पक्षियों की जान ले रहा है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि यदि हालात ऐसे ही रहे तो 10 साल में गौरैया सहित अन्य कई पक्षियों का नामोनिशान ही मिट चुका होगा।

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दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र से विलुप्त हो चुके पक्षी

देशी गिद्ध, लंबी चोंच वाला गिद्ध, राज गिद्ध, काला गिद्ध व सफेद गिद्ध। कुछ साल पहले तक दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में काला गिद्ध देखा गया है, अब नहीं है।

गौरैया

गौरैया दिल्ली का राज्य पक्षी है। 2012 में दिल्ली सरकार ने इस पक्षी को राज्य पक्षी घोषित किया था। इसके संरक्षण के लिए दिल्ली सरकार प्रयास कर रही है। मगर इसकी संख्या लगातार कम हो रही है।

दुर्लभ पक्षी जो अभी दिल्ली मेंं दिख रहे हैं

कर्छिया पोचार्ड, चित्रित जांगील, सफेद बुज्जा, पनवा, मधुया व कश्मीरी नीलकंठ

लोग खुद भी प्रयास करें

पक्षियों के संरक्षण के लिए 2005 से काम कर रहे नेचर फारइवर सोसायटी आफ इंडिया के संस्थापक मोहम्मद दिलवार कहते हैं कि गौरैया को बचाने के लिए लोग स्वयं भी प्रयास करें। लोग अपने घरों की बालकनी में लकड़ी के डिब्बे आदि टांग कर इनके रहने और इनके भोजन का इंतजाम कर रहे सकते हैं। अपने इस प्रयास से वह गौरैया और इसके जैसे तमाम पक्षियों को बचाने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। 

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