Delhi Crime: पुलिस को झटका, गैंगस्टर छेनू पहलवान समेत छह मकोका में बरी

गैंगस्टर छेनू पहलवान समेत छह लोगों को कड़कड़डूमा कोर्ट ने मकोका के मामले में बरी कर दिया है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचल के कोर्ट ने आदेश में कहा कि पुलिस गलत तरीके से इस निष्कर्ष पर पहुंची कि ये लोग संगठित अपराध करने में शामिल थे।

By Ashish GuptaEdited By: Publish:Thu, 03 Nov 2022 11:12 PM (IST) Updated:Thu, 03 Nov 2022 11:12 PM (IST)
Delhi Crime: पुलिस को झटका, गैंगस्टर छेनू पहलवान समेत छह मकोका में बरी
कोर्ट ने कहा कि इन लोगों का संगठित अपराध में लिप्त होने का पुलिस का निष्कर्ष गलत है

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। गैंगस्टर छेनू पहलवान समेत छह लोगों को कड़कड़डूमा कोर्ट ने महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण कानून (मकोका) के मामले में बरी कर दिया है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचल के कोर्ट ने आदेश में कहा कि पुलिस गलत तरीके से इस निष्कर्ष पर पहुंची कि ये लोग संगठित अपराध करने में शामिल थे। इस मामले में संगठित अपराध होना साबित नहीं हो पाया है। ऐसे में इस अपराध से जुटाई राशि से संपत्ति अर्जित करने के आरोप पर विचार करने का कोई अवसर नहीं बचता। बता दें कि वर्ष 2015 में कड़कड़डूमा कोर्ट परिसर में पेशी के दौरान छेनू पहलवान पर गोलियों से हमला हुआ था। कुछ दिन पहले ही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) उसके घर छानबीन करने आई थी।

अपराध से जुटाई संपत्ति

सीलमपुर थाना पुलिस ने 14 अगस्त 2015 को छेनू पहलवान उर्फ इरफान, अफसर, नब्बीर उर्फ शब्बीर, मुमताज उर्फ वाहिद, मोहम्मद आसिफ और नदीम के खिलाफ मकोका की विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी की थी। इस मामले में दायर आरोपपत्र में पुलिस दावा किया गया था कि इन आरोपितों ने संगठित गिरोह के रूप में हत्या, हत्या के प्रयास, रंगदारी वसूली, अपहरण, फिरौती समेत कई वारदातों को अंजाम दिया। अपराध से जुटाई राशि से इन्होंने संपतियां अर्जित की हैं। पुलिस ने आरोपपत्र में यह भी बताया था कि छेनू पहलवान पर 26, अफसर पर 13, मुमताज पर 16, नब्बीर पर 15, नदीम पर तीन और मोहम्मद आसिफ पांच आपराधिक मामले पंजीकृत हो चुके हैं।

कोर्ट ने सभी पक्षों को देखने के बाद किया बरी 

आरोपितों की पैरवी कर रहे वकीलों ने कोर्ट में सुनवाई के दौरान मकोका लगाने का विरोध किया था। साथ ही कहा था कि पुलिस द्वारा बताई गई कई संपत्तियां उनके मुवक्किलों के स्वजन के नाम हैं। कई आपराधिक मामले मुवक्किलों के खिलाफ बताए गए हैं, जिसमें वह बरी हो चुके हैं। ऐसे में उन मामलों की गिनती मकोका लगाने के लिए नहीं की जा सकती। आरोपों के बिंदुओं पर बहस के दौरान ही कोर्ट ने सभी पक्षों और तथ्यों को देखने के बाद आरोपितों को बरी कर दिया।

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