दिल्ली में ठोस कचरा गंभीर समस्या, SC ने कहा- एक कमेटी गठित करें एलजी

सुप्रीम कोर्ट ने उपराज्यपाल से कहा कि वे इस गंभीर समस्या के मद्देनजर एक कमेटी का गठन करें, जो इस समस्या का हल निकाले।

By JP YadavEdited By: Publish:Fri, 17 Aug 2018 03:08 PM (IST) Updated:Sat, 18 Aug 2018 07:53 AM (IST)
दिल्ली में ठोस कचरा गंभीर समस्या, SC ने कहा- एक कमेटी गठित करें एलजी
दिल्ली में ठोस कचरा गंभीर समस्या, SC ने कहा- एक कमेटी गठित करें एलजी

नई दिल्ली (प्रेट्र)। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में कूड़े की समस्या को गंभीर बताते हुए उपराज्यपाल को समस्या के निपटारे के लिए विशेषज्ञ समिति गठित करने को कहा है। न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने राष्ट्रीय राजधानी में कचरा प्रबंधन मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि दिल्ली में सूखे कूड़े की समस्या गंभीर है। इसकी गहराई में जाकर सभी पहलुओं की जांच कर कचरा प्रबंधन के लिए योजना बनानी होगी। इसमें गाजीपुर, ओखला, भलस्वा की लैंडफिल साइट की सफाई के काम को भी शामिल किया जाना चाहिए।

पीठ ने कहा कि पैनल में विशेषज्ञ, सिविल सोसाइटी और रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) के सदस्यों को शामिल किया जाए। शीर्ष अदालत का कहना था कि यह मुद्दा बहुत महत्वपूर्ण है। संबंधित प्राधिकरणों को जल्दबाजी में कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए, बल्कि सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए कूड़े की समस्या पर इस तरह काम करना चाहिए जो दिल्लीवासियों को स्वीकार हो। पीठ ने उम्मीद जताई कि निर्णय सामूहिक होगा।

उप राज्यपाल की ओर से पेश एडिशनल सॉलीसिटर जनरल पिंकी आनंद ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह इस मसले पर एलजी से बातचीत करके एक हफ्ते में कोर्ट को सूचित करेंगी। कोर्ट की सहायता कर रहे वरिष्ठ वकील कोलिन गोंसाल्विस से कोर्ट ने सिविल सोसायटी और विशेषज्ञों के लिए पांच लोगों के नाम बताने को कहा है, जिन्हें समिति में एक सदस्य के तौर पर शामिल किया जा सके।

पीठ के अनुसार, दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के हलफनामे में कहा गया है कि कुछ इलाकों में कूड़े को अलग करने का काम शुरू कर दिया गया है। कोर्ट ने कूड़े की स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि यह बहुत ही गंभीर मामला है। इसका प्रभाव केवल दिल्ली पर नहीं, बल्कि दूसरे शहरों पर भी पड़ेगा। शीर्ष अदालत ने कहा कि वह समिति गठित नहीं करेगी। उपराज्यपाल को समिति गठित करने दो। कोर्ट मामले पर 27 अगस्त को फिर सुनवाई करेगा।

यहां पर बता दें कि 6 अगस्त को दिल्ली में कचरा प्रबंधन नीति से असंतुष्ट सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के उपराज्यपाल को कड़ी फटकार लगाई थी। कोर्ट ने कहा था कि कचरे के पहाड़ के कारण दिल्ली आपात स्थिति का सामना कर रही है, लेकिन इससे निपटने में उस तरह की तत्परता नहीं दिखाई जा रही है। कोर्ट ने दक्षिणी निगम को कचरा प्रबंधन पर 14 अगस्त तक पायलट प्रोजेक्ट योजना पेश करने का निर्देश देते हुए मामले की सुनवाई 17 अगस्त तक टाल दी थी।

ये तल्ख टिप्पणियां और निर्देश जस्टिस मदन बी. लोकुर व जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने दिल्ली में कचरा प्रबंधन मामले में सुनवाई के दौरान दिए थे। कोर्ट ने घरों से अलग-अलग छांट कर कूड़ा एकत्र करने के बारे में चल रहे पायलट प्रोजेक्ट पर रिपोर्ट मांगी थी।

मामले पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील से कहा था कि सिर्फ दक्षिणी दिल्ली से प्रतिदिन 1800 टन कूड़ा एकत्र होता है। आपका कहना है कि कचरा प्रबंधन प्लांट दिसंबर तक शुरू होंगे। आपको अंदाजा है कि तब तक कितना कचरा इकट्ठा हो जाएगा। सात लाख टन से भी ज्यादा। दिल्ली में आपात स्थिति है, लेकिन उससे निपटने की तत्परता वैसी नहीं है। आपको उसका भान तक नहीं है।

राज निवास मार्ग पर क्यों नहीं फेंकते कचरा

अतिरिक्त महाधिवक्ता (एएसजी) ने जब कहा कि सोनिया विहार के लोग लैंडफिल का विरोध कर रहे हैं, तो नाराज कोर्ट ने कहा कि आप एक घर से कचरा उठा कर दूसरे के घर के सामने कैसे फेंक सकते हैं? आपको विकल्प तलाशना होगा। सोनिया विहार के लोगों का विरोध जायज है। वे लोग वंचित और कमजोर हैं तो आप उनके घर के पास कूड़े का पहाड़ खड़ा करना चाहते हैं। राज निवास मार्ग पर कूड़ा क्यों नहीं फेंक देते? लोगों को यह कहने का अधिकार है कि उनके घर के सामने कूड़ा न डाला जाए।

कोर्ट ने कहा कि गंगाराम अस्पताल की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली की आधी आबादी फेफड़े के कैंसर के खतरे की चपेट में है, जबकि धूमपान नहीं करती। नीति आयोग कहता है कि 2019 तक दिल्ली में पानी की कमी हो जाएगी। ऐसी स्थिति में दिल्ली में कौन जिंदा रह पाएगा। एलजी की ओर से दलील दी गई कि प्लांट लगाने में समय लगेगा। रातोंरात प्लांट नहीं लगाया जा सकता। कचरा प्रबंधन भी किया जा रहा है।

पीठ ने कहा कि घरों से निकलने वाले कूड़े को अलग-अलग किया जाए। मसलन, कौन सा कूड़ा जैविक है और कौन सा नहीं। इसके बाद पूछा कि कचरे को छांटने की क्या योजना है? लोगों को कैसे बताएंगे कि कौन सा कचरा रिसाइकिल हो सकता है और कौन सा नहीं? लोगों के घरों से कूड़े को अलग-अलग लेने की क्या योजना है? जुर्माने का प्रावधान भी होना चाहिए। कोई निर्माण कार्य कर उसका कचरा फेंकता है तो भुगतान भी उसे ही करना चाहिए। कोई मरम्मत का काम करता है तो उस कूड़े के लिए उससे ही पैसे वसूले जाने चाहिए।

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