बच्चियों की मौत के मामले में आया नया मोड़, कमरे से मिली कीटनाशक दवा, लापता है पिता

पुलिस को बच्चियों के कमरे से कई तरह की दवाएं मिली हैं। इनमें कुछ कीटनाशक दवा (मच्छर मारने वाली लिक्विड दवा) भी शामिल हैं, जिन्हें अब जांच के लिए लैब भेज दिया गया है।

By Amit MishraEdited By: Publish:Sat, 28 Jul 2018 09:53 PM (IST) Updated:Sun, 29 Jul 2018 07:00 AM (IST)
बच्चियों की मौत के मामले में आया नया मोड़, कमरे से मिली कीटनाशक दवा, लापता है पिता
बच्चियों की मौत के मामले में आया नया मोड़, कमरे से मिली कीटनाशक दवा, लापता है पिता

नई दिल्ली [शुजाउद्दीन]। मंडावली के पंडित चौक इलाके में एक ही परिवार की तीन बच्चियों की मौत का रहस्य गहराता जा रहा है। लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल में 24 जुलाई को हुए पोस्टमार्टम की रिपोर्ट और गुरु तेग बहादुर अस्पताल में मेडिकल बोर्ड द्वारा किए गए पोस्टमार्टम के बाद मौत का कारण भूख को माना जा रहा है। लेकिन, एसडीएम व पुलिस द्वारा की जा रही जांच में कुछ अलग पहलू भी सामने आ रहे हैं। पुलिस को बच्चियों के कमरे से कई तरह की दवाएं मिली हैं। इनमें कुछ कीटनाशक दवा (मच्छर मारने वाली लिक्विड दवा) भी शामिल हैं, जिन्हें अब जांच के लिए लैब भेज दिया गया है।

कीटनाशक दवा तो नहीं थी

एसडीएम अरुण गुप्ता ने डिविजनल कमिश्नर को जो घटनाक्रम की लिखित जानकारी दी है और उसमें उन्होंने बच्चियों के पिता मंगल के दोस्त नारायण यादव के बयान का भी जिक्र किया है। इसके अनुसार, नारायण ने पुलिस और एसडीएम से बताया कि 22 जुलाई को मंगल ने उल्टी दस्त रोकने के लिए एक दवा खरीदकर बच्चियों को पिलाई थी, लेकिन दवा क्या थी, इसकी उन्हें जानकारी नहीं है। ऐसे में आशंका यह भी है कि कहीं वह कीटनाशक दवा तो नहीं थी। वहीं, बड़ी बच्ची मानसी के बैंक अकाउंट में करीब दो हजार रुपये होने और मौत से एक दिन पहले मानसी के मिड-डे-मील खाने का भी जिक्र है।

विसरा रिपोर्ट से खुलेगा मौत का राज

पहले पोस्टमार्टम की रिपोर्ट में बच्चियों की मौत भूख से बताई गई है, जबकि दूसरे पोस्टमार्टम और विसरा की रिपोर्ट अभी नहीं आई है। अब विसरा रिपोर्ट पर सबकी नजर टिकी है।

मंगल की तलाश में पश्चिम बंगाल गई पुलिस

दिलशाद गार्डन स्थित मानव व्यवहार एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान (इहबास) में भर्ती बच्चियों की मां वीणा देवी के बयान पर मंडावली थाना पुलिस ने मंगल की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज की है। बच्चियों के पिता मंगल घटना के दिन से ही लापता हैं। सूत्रों के अनुसार, पुलिस की एक टीम मंगल की तलाश के लिए तीन वर्ष पहले मंगल की चाय और पराठे की दुकान पर काम करने वाले कर्मचारी को साथ लेकर पश्चिम बंगाल भी गई है।

बच्चियों के पिता का दोस्त भी शक के दायरे में

सूत्रों की मानें तो पुलिस और एसडीएम की जांच में नारायण यादव की भूमिका भी संदिग्ध लग रही है। पुराने पड़ोसियों ने भी नारायण पर शक जाहिर किया था। उन्होंने कहा था कि जब नारायण साकेत ब्लॉक स्थित मंगल के पुराने घर जाते थे तो बच्चियां डरकर पड़ोसी के घर आ जाती थीं। पुलिस अभी उससे सख्ती से इसलिए पूछताछ नहीं कर रही है, क्योंकि मानसिक रूप से कमजोर बच्चियों की मां की देखभाल करने वाला कोई नहीं है। इस बीच नारायण द्वारा दिए गए बयान का विश्लेषण किया जा रहा है।

बच्चियों को कौन सी दवा दी गई 

नारायण यही कह रहे हैं कि उन्हें नहीं पता कि मंगल ने बच्चियों को क्या दवा दी और न ही उन्होंने देखा। वहीं, जिलाधिकारी कार्यालय में नारायण ने कहा था कि वह मंगल से बार-बार बच्चियों को अस्पताल ले जाने के लिए कह रहे थे, लेकिन मंगल उल्टी दस्त खुद ही ठीक होने की बात कहकर टाल रहे थे। 

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